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शरदमियां, राष्ट्रवादी कांग्रेसकी खुले आम सुंता करें ! – शिवसेना दलप्रमुख उद्धव ठाकरे

श्रावण शुक्ल ८ , कलियुग वर्ष ५११५

आतंकवादी धर्मांधोका समर्थन करनेवाले राष्ट्रवादी कांग्रेसके शरद पवारको फटकारनेवाले शिवसेना दलप्रमुख उद्धव ठाकरेजीका अभिनंदन ! 

देवताओंके अनादरके विरोधमें साधारण पटाखे बम तोडनेवालोंके प्रति राष्ट्रवादियोंको सहानुभूति प्रतीत क्यों नहीं होती ?

श्री. उद्धव ठाकरेजीने यह भी टिप्पणी की कि कुछ वर्ष पूर्व हिंदू देवताओंका अनादर करनेवाली नाटिकाके विरुद्ध हिंदूनिष्ठ प्रक्षुब्ध हुए थे । उसका निषेध प्रदर्शित करने हेतु गडकरी रंगायतनमें मामूली पटाखे बम फोडे गए ; किंतु उन्हें बंदी बनाकर दंड दिया गया । इन सभी हिंदू युवकोंके प्रति इन तथाकथित राष्ट्रवादियोंको कभी सहानुभूति प्रतीत नहीं हुई; किंतु मालेगांवके धर्मांध युवकोंने अपराध किया, तो भी उन्हें अभय दान दिया जाता है ।

मुंबई – शरदमियांने यह प्रश्न पूछा था कि धर्मांध युवक इस देशको अपना क्यों मानें ? इस प्रश्नपर शिवसेना दलप्रमुख श्री. उद्धव ठाकरेजीने शिवसेनाका मुखपत्र `दैनिक सामना’में निर्भीकतापूर्वक अपना मत व्यक्त करते हुए यह प्रतिपश्न पूछा कि यह सत्य है । किंतु शरदमियां इस बातका भी उत्तर दें कि वंदे मातरम् यह राष्ट्रगीत अस्वीकार करनेवाले, समान नागरी अधिनियम ठुकरानेवाले, आजाद मैदानपर पुलिस दलपर आक्रमण करनेवाले तथा शहीद जवानोंके स्मारकोंपर लातोंसे प्रहार करनेवाले इन धर्मांध युवकोंको यह देश अपना क्यों लगे ? हमारा विरोध केवल इस प्रकारकी प्रवृत्तिवाले धर्मांधोके प्रति था एवं रहेगा भी । यदि धर्मांधोके  मतोंके लिए शरदमियांने अपने राष्ट्रवादी कांग्रेसकी खुले आम सुंता की, तो भी कुछ नहीं बिगडता । ( देशद्रोही तथा आतंकवादी धर्मांधोका पूरी तरहसे समर्थन करनेवालोंका निषेध केवल शिवसेना ही क्यों करती है ? अपने आपको बलशाली कहनेवाले हिंदूनिष्ठ संगठन इस समय क्या कर रहे हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

इस लेखद्वारा उद्धव ठाकरेजीने शरद पवारको इस प्रकार फटकारा है…..

१. मालेगांव विस्फोटमें फंसे धर्मांध युवक निर्दोष थे । अतः इस घटनासे संतप्त होकर यदि किसीने अपराध किया, तो उसे अपराधी कैसे सिद्ध कर सकते हैं ? यह प्रश्न शरदमियांके सामने होनेके कारण यदि उन्हें ऐसा लगता है कि महाराष्ट्रके धर्मांधोके मत अपनी झोलीमें गिरेंगे, तो समझें कि वे बारामतीके पागलोंके नंदनवनमें ही संचार कर रहे हैं ।
२. महाविद्यालयमें पढनेवाली इशरत नामकी एक लडकी निरीह एवं मासूम (इनोसेंट) थी, तो वह धोखादायक आतंकवादियोंके साथ मुंब्रासे अहमदाबाद कैसे पहुंची ?
इसी निरीह एवं मासूम इशरतका उल्लेख लश्कर-ए-तोयबाका मानव बम, हेडलीने शिकागोके न्यायालयमें इस प्रकार क्यों किया ? यह पहेली भी शरदमियांको सुलझानी होगी । मालेगांव विस्फोट तथा इशरत संदर्भमें धर्मांधोकी अपेक्षा महाराष्ट्रके धर्मांतरित कांग्रेस-राष्ट्रवादियोंको ही अधिक चिंता है । वे संसद चुनावके समय इशरतकी कबरपर गर्दन झुकाकर उसे निरपराधी सिद्ध करनेका प्रयास कर रहे हैं ।
३. शरद पवार अथवा कांग्रेसवालोंको लश्करी जवानोंकी वीरता एवं वीरगति प्राप्त होनेका मूल्य भी कभी नहीं था । किंतु शरदमियांकी आंखोंसे अब आंसू टपक रहे हैं, उसका लक्षण क्या होगा ? यही बदलेका न्याय आत्महत्यापीडित किसानोंके बच्चे यदि पवारके प्रति करते, तो क्या उन्हें अपराधी कह सकते हैं ? ( इस प्रश्नका उत्तर शरदमियां खुले आम दे सकते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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