श्रावण शुक्ल ९ , कलियुग वर्ष ५११५
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पटना । देश की सरहद की सुरक्षा में फौलाद बने सैनिकों के प्रति सरकारें किस संजीदगी से पेश आती हैं, इसका उदाहरण पूर्व सैनिक राजदेव प्रसाद सिंह हैं। इन्हें १२ बरस से बिहार सरकार के मुआवजे का इंतजार है। इसी मुआवजे की उम्मीद में वे विकलांग बेटी सूर्या के साथ सोमवार को 'जनता दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम में आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके पास जाकर वृतांत सुना तो हैरान रह गए। उन्होंने कागजात देखे और विकलांगता के आधार पर सूर्या को पढ़ाई हेतु छात्रवृत्ति एवं सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पेंशन देने संबंधी कार्रवाई का निर्देश दिया। उन्होंने पूर्ववर्ती राज्य सरकार द्वारा घोषित दो लाख मुआवजा देने संबंधी रिपोर्ट भी जिलाधिकारी से मांगी है।
पूर्व सैनिक की कहानी छपरा जिले के दिघवारा निवासी राजदेव प्रसाद सिंह की कहानी कुछ इस प्रकार है:२००३ तक ये भारतीय सेना के जवान के रूप में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। तब इनका परिवार कालूचक सेक्टर के आर्मी क्वाटर में रहता था। १४ मई २००२ को आर्मी क्वाटर पर हुए आतंकी हमले में ३७ लोग मारे गए थे और ५७ व्यक्ति जख्मी हुए थे। राजदेव प्रसाद सिंह की मां [अवलोधन देवी] और बड़ी बेटी [प्रिया] भी मारी गई थी। छोटी बेटी [सूर्या] को आतंकियों ने दस गोली मारी थी, उसकी जान तो बच गई पर वह ८० फीसद विकलांग हो गई। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सैनिक को सम्मान देते हुए दो लाख मुआवजा और अन्य सहायता देने की घोषणा की थी। मगर हैरानी की बात कि तत्कालीन राज्य सरकार सैनिक को मुआवजा देना ही भूल गई। वहीं जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपनी ओर से घोषित मुआवजे की राशि दो लाख दे भी दी। खुश हुए राजदेव प्रसाद सिंह के मुताबिक मां और बेटी को गंवाने के बाद 'आकस्मिक सेवानिवृत्ति' के लिए आवेदन दिया और फिर २००३ में बिहार आ गया, तब कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री से मुआवजे के लिए गुहार लगाई। आज नीतीश कुमार द्वारा आवश्यक कार्रवाई संबंधी निर्देश दिए जाने से वे खुश हैं। बेटी को पेंशन व छात्रवृत्ति मिलेगी तो उसे आगे की पढ़ाई में बल मिलेगा। वह नौवीं कक्षा में है। वे सैप जवान के रूप में राजधानी के बाइपास थाने में तैनात हैं। उनका परिवार हाजीपुर में किराये के मकान में रहता है।
स्त्रोत : जागरण