चीनकी एपल कंपनीके ‘आइ फोन फोर’ पर अरुणाचल प्रदेशको चीनका हिस्सा दिखाया गया है । चीन प्रशासनकी अधिकृत भूमिका प्रस्तुत करनेकी सहमति `आइ. फोन फोर’ को प्राप्त हुई है ।
अरुणाचल प्रदेशका विभाजन कर उसका कुछ हिस्सा मांगनेवाला चीन कांग्रेस प्रशासनकी विफल परराष्ट्रनीतिका परिणाम है !
भारत-चीनके बीच पिछले कुछ दशकोंसे सीमावाद चल रहा है । धूर्त एवं विस्तारवादी चीनने भारतपर इस प्रश्नके संदर्भमें दबाव डालने हेतु भारतमें दो वर्षोंमें न्यूनतम ५०० बार घुसपैठ की है । हाल ही में दोनों राष्ट्रोंमें सीमाके प्रश्नपर हुई १५ वीं दौरकी बैठकमें चीनके प्रतिनिधि डाई बिंगूने आक्रामक पद्धतिसे भारतके भूतपूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेमनसे पूछा, भारतद्वारा अरुणाचल प्रदेशका कितना हिस्सा चीनको देनेकी सिद्धता है ? चीनके प्रतिनिधिके इस प्रश्नसे आश्चर्यचकित भारतीय प्रतिनिधि मंडलने चर्चाको इस सूत्रसे दूसरे सूत्रपर ले जानेका प्रयास किया; किंतु चीन पुन:पुन: अरुणाचल प्रदेशका कितना हिस्सा चीनको देंगे, इसी सूत्रपर अटल था ।
कांग्रेसके पुरुषार्थहीन शासनकर्ताओंके कारण ही कश्मीर एवं अरुणाचल प्रदेश उसका भूप्रदेश है, चीन ऐसा कहनेका साहस दिखाता है !
चीनने `मैप वर्ल्ड’ नामका संकेतस्थल आरंभ किया है । उसपर चीनने भारतके अरुणाचल प्रदेश राज्यको तिब्बतका दक्षिण हिस्सा तथा जम्मू-कश्मीर राज्यके अक्साई चीनको जिनजियांग प्रांतका हिस्सा दिखाया है । इस संकेतस्थलका उपयोग ‘आइफोन’ एवं चीनका भ्रमणभाष तथा संकेतस्थल उपभोक्ता पहलेसे ही कर रहे हैं । सीमावादपर अबतक भारत-चीनमें १४ बार चर्चा हो चुकी है; किंतु उससे कुछ भी निष्पन्न नहीं हुआ । नए प्रकाशित प्रारूपके संदर्भमें जानकारी देते हुए चीनकी अधिकृत शासकीय वृत्तसंस्थाने कहा कि `मैप वर्ल्ड’ के माध्यमसे विश्वसनीय एवं अधिकृत जानकारी देनेका हमारा प्रयास है । संकेतस्थलपर दिए प्रारूपके माध्यमसे चीनकी विस्तृत जानकारी दी है । इसमें छोटे छोटे गावोंकी जानकारी दी है ।
अरुणाचल प्रदेशका हक छोडने हेतु धमकानेवाले चीनको मित्र समझनेवाले कांग्रेसके पुरुषार्थहीन शासनकर्ता !
अगले वर्ष भारत अरुणाचल प्रदेशमें सेनाके दो डोंगरी दल नियुक्त करनेवाला है । अत: अगले वर्ष इस क्षेत्रमें १ सहस्र २६० अधिकारी तथा ३५ सहस्र ११ अतिरिक्त सेनाकी नियुक्ति की जाएगी । इन दलों हेतु अधिकारी एवं सैनिकोंकी नियुक्ति की जा रही है । इन दलोंको अत्याधुनिक शस्त्रास्त्र दिए जाएंगे तथा अरुणाचल प्रदेश सीमाकी रक्षा हेतु स्थानीय युवकोंके सहभागसे बनी अरुणाचल स्काऊट्सका पहला दल मई २०११ तक उसके कामका प्रारंभ करेगा, चीनके समाचारपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने ऐसा वृत्त दिया है । ग्लोबल टाइम्सने चीनकी रक्षा मंत्रालयके प्रवक्ता जेक्सूके माध्यमसे कहा है कि भारतने इन डोंगरी दलोंको चीनकी सेनाका सामना करने हेतु ही नियुक्त किए हैं । भारतद्वारा उनकी सेना दलका ‘अरुणाचल स्काऊट्स’ नामकरण करना ही अनुचित है । भारत चीनकी इस गंभीर चिंताकी ओर ध्यान दे । भारत ऐसा कोई भी कदम न उठाए, जिससे इस क्षेत्रमें अशांति उत्पन्न हो । यदि ऐसा हुआ तो भारत-चीन संबंध अच्छे बननेंमें बाधा होगी । अक्तूबर २००९ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अरुणाचल प्रदेशके दौरेपर गए थे, उसपर भी चीनके विदेश मंत्रालयने आपत्ति उठाई थी ।
यह है भारताकी सुरक्षाका दायित्व कंधेपर ढोनेवाले रक्षा विभागकी सिद्धता !
भारतके रक्षा मंत्रालयने अरुणाचल प्रदेशके तवांगमें चीनी सैनिकोंद्वारा भारतमें २५० मीटर प्रवेश कर एक दीवार गिरानेके प्रयास करनेकी घटनाकी कुछ मास पश्चात पुष्टि की ।
कांग्रेसके पुरुषार्थहीन शासनकर्ताओंके कारण ही उद्दंड चीन कश्मीर तथा अरुणाचल प्रदेश पर अधिकार दर्शाता है तथा भारतके पडोसी राष्ट्रोंको भारतके विरुद्ध भडकाता है !
चीनने इससे पूर्व जम्मू-कश्मीरके भारतीयों हेतु अलग प्रवेशकी अनुज्ञप्ति दी थी, अब वैसी ही प्रवेश अनुज्ञप्ति चीन अरुणाचल प्रदेशके नागरिकों हेतु दे रहा है । चीनने अरुणाचल प्रदेश तथा जम्मू एवं कश्मीर विवादग्रस्त क्षेत्र है, तथा वह हमारा है, ऐसा अधिकार दर्शाया है । हाल ही में चीनद्वारा जम्मू एवं कश्मीरके लद्दाख क्षेत्रमें घुसपैठ करनेकी घटना सामने आई है । इसे पूर्व चीनने सिक्किम राज्यका `फिंगर टिप’ क्षेत्र उसका है ऐसा दावा किया है । चीनने भारतके नियंत्रणका अक्साई चीनका ३८ सहस्र वर्ग किलोमीटरका प्रदेश बलपूर्वक अपने नियंत्रणमें रखा है । चीनने पाककी सहायतासे पाकव्याप्त कश्मीरपर भी नियंत्रण प्राप्त किया है । इस क्षेत्रमें चीनके न्यूनतम सात से ग्यारह सहस्र सैनिकोंके घुसपैठ करनेकी बात सुरक्षा विशेषज्ञोंने की है । चीनने इस स्थानपर द्रुतगति रेलमार्ग, महामार्ग एवं सेना छावनियोंकी स्थापना की है । चीनने बांगलादेश, म्यानमार तथा श्रीलंकामें भी सेना छावनी स्थापित की है । चीनने नेपालके माओवादियोंकी सहायता कर उन्हें भारतके विरुद्ध खडा किया है ।
अरुणाचल प्रदेशके पश्चात कश्मीरको भी अपना क्षेत्र कहनेवाले चीनसे मित्रता प्रस्थापित कर अर्थात जवाहरलाल नेहरू जैसे `हिंदी-चीनी भाई भाई’ कहकर राष्ट्रघात करनेवाली कांग्रेस !
एशियाड क्रीडाप्रकार आरंभ ग्वांजोके मुख्य वृत्तआवेदन केंद्रमें चीनने चीन एवं उसके आसपासके क्षेत्रका प्रारूप प्रदर्शित किया है ।
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इस प्रारूपमें चीनने जम्मू-कश्मीर भारतमें न दिखाकर सफेद रंगमें अलग दिखाया है । तथा अवैध पद्धतिसे चीनके नियंत्रणमें स्थित जम्मू-कश्मीरका अक्साई चीन क्षेत्र चीनके प्रारूपमें दिखाया है ।
राजस्थानकी सीमाके निकट सैनिकी अभ्यास कर युद्धसदृश स्थिति उत्पन्न करनेवाले पाकिस्तान तथा चीनसे मित्रतापूर्ण संबंध प्रस्थापित करना चाहनेवाले कांग्रेसके पुरुषार्थहीन शासनकर्ता !
कुछ दिनों पूर्व भारतकी सीमासे केवल २५ किलोमीटरकी दूरीपर चीन तथा पाककी सेनाने युद्धाभ्यास किया । राजस्थानके जैसलमेर एवं बीकानेर जिलोंसे लगी पाककी सीमाके निकट यह अभ्यास आरंभ था । अभ्यासमें चीनके `पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ के `१०१ इंजीनियरींग रेजीमेंट’के तथा पाकिस्तान रेंजर्सके सैनिकोंका सहभाग था । युद्ध विशेषज्ञोंने चीनी सेनाके भारतीय सीमाके निकट इतना सक्रिय होनेकी बात पहली बार बताई । सूत्रोंकी दी जानकारीके अनुसार इससे पाकिस्तानद्वारा चीनी सेनाकी सहायता लेनेकी बात सामने आई है । चीनी सेना पाकिस्तानको ‘टैंक अपग्रेड टेक्नॉलॉजी’ एवं मानवरहित हवाई जहाजोंकी जानकारी दे रही है ।
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात