गोरक्षाके कार्यका महत्त्व एवं मर्यादा

श्रावण शुक्ल १२, कलियुग वर्ष ५११५


१. गायका महत्त्व

बेलपत्रमें शिवतत्त्व, तुलसीमें विष्णुतत्त्व तथा जास्वंदीमें (अडहूल) गणेशतत्त्व होते हैं । इस प्रकार विविध वनस्पतियोंमें विविध देवताओंके तत्त्व अंतर्निहित होते हैं । वह वनस्पति देवताको अर्पण करनेपर हमें उन वनस्पतियोंद्वारा उन देवताओंका तत्त्व प्राप्त होता है । उदा. भगवान शिवको बेलपत्र अर्पण करनेपर बेलपत्रमें शिवतत्त्व आकृष्ट होनेसे वह हमें प्राप्त होता है । विविध वनस्पतियोंकी तुलनामें गाय सबमें महत्त्वपूर्ण है; क्योंकि उसमें ३३ कोटि देवताओंके तत्त्व हैं, तथा वे हमें उसका दूध, मूत्र, गोबर आदिके माध्यमोंसे प्राप्त होते हैं । अत: मानव हेतु गाय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।

२. अध्यात्मशास्त्रकी दृष्टिसे गायसे मानव श्रेष्ठ

मानव हेतु गाय भले कितनी भी उपयुक्त क्यों न हो, वह एक प्राणी ही है । अध्यात्मशास्त्रानुसार प्राणीयोनिसे मानवयोनि श्रेष्ठ है; क्योंकि मनुष्यजन्ममें ही साधना कर ईश्वरप्राप्ति कर सकते हैं । गाय वैसा नहीं कर सकती । अत: अध्यात्मशास्त्रानुसार गायके माध्यमसे ईश्वरप्राप्ति करनेवालेके लिए प्रधानता देकर मानवकी रक्षा करना महत्त्वपूर्ण है ।

३. गोरक्षा एवं हिंदूरक्षाकी दृष्टिसे हिंदू राष्ट्र-स्थापनाका महत्त्व !


सद्यस्थितिमें गाय जैसे हिंदू भी असुरक्षित हो गए हैं । कब, कहां हिंदूद्वेषियोंपर आक्रमण होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन है । हिंदू कन्याएं भी लव जिहादके कारण असुरक्षित हो गई हैं । आनेवाले भयंकर आपत्कालमें स्थान-स्थानपर दंगे होकर हिंदुओंकी भीषण हत्या होगी । इस आपत्कालमें हिंदुओंकी रक्षा करना अधिक महत्त्वपूर्ण है । अत: कालानुसार हिंदुओंको सुरक्षित जीवन प्रदान करनेवाला हिंदू राष्ट्र स्थापित करना है तथा उस हेतु अत्यधिक प्रयास करना आवश्यक है । हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होनेपर, उसी दिनसे सर्वत्रकी गायोंकी रक्षा की जाएगी ।

४. भावनाकी दृष्टिसे मानवकी अपेक्षा गायकी रक्षा महत्त्वपूर्ण

भावनाके स्तरपर कार्यरत कुछ व्यक्तियोंको गोरक्षा करना हिंदुओंकी रक्षा करनेसे अधिक महत्त्वपूर्ण लगता है । उसके अनुसार वे  कृत्य अवश्य करें । अनेक हिंदू आज निष्क्रिय हैं, उनकी अपेक्षा यह निश्चित ही श्रेष्ठ है ।

५. गोरक्षाका पुत्रकर्तव्य निभानेवाले गोरक्षकोंद्वारा हिंदू बांधवोंके प्रति धर्मबंधुत्व बढाना भी आवश्यक !

भावनाकी दृष्टिसे पुत्र तथा गाय इनमेंसे यदि एकको ही बचाना हो, तो गोरक्षक अपने पुत्रको ही बचाएंगे, उसी प्रकार सारे हिंदू अपने पुत्र अथवा भाई हैं, ऐसा लगा तो हर गोरक्षक हिंदुओंको बचाने हेतु हिंदू  राष्ट्रकी स्थापनामें पूर्णरूपसे सम्मिलित होगा ।

६. गोरक्षा कार्यकी मर्यादा

भारतसे प्रतिदिन २५ सहस्र गायोंको बांगलादेशके पशुवधगृह भेजा जाता है । भारतके पशुवधगृहमें प्रतिदिन ५० सहस्र गायोंकी हत्या की जाती है । ऐसी स्थितिमें हमने ५ – २५ गायोंको बचाया, हमारी गोशालामें १०० गाएं हैं, ऐसा कहकर प्रसन्न होना ठीक नहीं है । हमें गोरक्षाका राष्ट्रव्यापी ध्येय सिद्ध करना है, अत: उस हेतु भी हिंदू राष्ट्रकी स्थापना आवश्यक है ।

७. गोरक्षा कार्यके साथ हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु प्रयास करना आवश्यक

पूरा समय कार्य करनेवाले बहुतसे गोरक्षकोंको गोरक्षाका कार्य प्रतिदिन ७ – ८ घंटे नहीं होता । गोरक्षाका कार्य न होनेपर, यदि वे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु कार्य करें, तो सर्वत्रकी गायोंकी रक्षा हेतु उनके परिश्रम सहायक सिद्ध होंगे ।

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