श्रावण शुक्ल १४, कलियुग वर्ष ५११५
रत्नागिरीमें उत्पादकने जलेबीके विज्ञापन हेतु वितरण किए हस्तपत्रक वापस लिए ।
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रत्नागिरी (महाराष्ट्र) : यहांके `अपूर्व केटरर्स’ के उत्पादकसे स्वतंत्रता दिवसके अवसरपर (हस्तपत्रकपर १५ अगस्त छापा गया है । ) विक्रय की जानेवली जलेबीके विज्ञापन हेतु सिद्ध किए हस्तपत्रकोंपर राष्ट्रध्वजका चित्र छपा है । ये हस्तपत्रक सारे समाचारपत्रोंमें देने हेतु शहरके समाचारपत्र विक्रेताओंको वितरित किए गए थे । सनातनके साधक श्री. विष्णु बगाडेने एकसमाचारपत्र विक्रेताके पास ये हस्तपत्रक देखे । श्री. बगाडेने हस्तपत्रक रास्तेपर बिखरनेसे राष्ट्रध्वजकी होनेवाली विडंबनाको समाचारपत्र विक्रेताके ध्यानमें लाकर दी । इसपर समाचारपत्र विक्रेताने इस विषयमें हस्तपत्रकपर दिए खेमराज नामके व्यक्तिके भ्रमणभाषपर संपर्क करनेकोकहा । इसके उपरांत श्री. बगाडेने हिंदू जनजागृति समितिके श्री. अनिल जठारसे संपर्क कर हस्तपत्रकोंके विषयमें जानकारी दी ।
तदुपरांत श्री. जठारने श्री. खेमराजसे भ्रमणभाषद्वारा संपर्क कर राष्ट्रध्वजकी हो रही विडंबना ध्यानमें लाकर दी । इसपर खेमराजने सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए इस विषयमें ‘अपूर्व केटरर्स’ के स्वामी श्री. केतन रेडिजसे संपर्क करनेको कहा । तदनुसार श्री. जठारने श्री. रेडिजसे भ्रमणभाषद्वारा संपर्क करराष्ट्रध्वजके अपमानकी जानकारी दी । उसपर श्री. रेडिजने क्षमा याचना कर कहा कि यहचूक अनावधानीसे हुई है, आगे ऐसा न हो,इस हेतु दक्ष रहेंगे । तदुपरांत श्री. खेमराज उस समाचारपत्र विक्रेताके पास गए, तथा वितरण हेतु दिए गए सारे पत्रक वापस मांग लिए । (राष्ट्रध्वजकी विडंबना होती है, यह सूत्र समझनेपर तुरंत उचित कृत्य करनेवाले श्री. केतन रेडिज एवं श्री. खेमराजका अभिनंदन ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात