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‘हत्या के लिए उकसाने’ पर इस्लामी चैनल पर जुर्माना

भाद्रपद कृष्ण ३ , कलियुग वर्ष ५११५


ब्रिटेन के प्रसारण नियामक ऑफकॉम ने एक इस्लामी टीवी चैनल पर हिंसा को बढ़ावा देने के लिए ८५,००० यूरो यानी लगभग ७३ लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

दिसंबर में दिए अपने फैसले में ऑफकॉम ने कहा था कि चैनल नूर टीवी ने प्रसारण नियमों का उल्लंघन किया था।

नूर टीवी के एक प्रस्तोता ने कहा था कि अगर मुसलमानों के पैगंबर मोहम्मद का कोई अपमान करता है तो किसी मुसलमान द्वारा उस व्यक्ति की हत्या को स्वीकार किया जा सकता है और ये उसका कर्तव्य होगा।

ऑफकॉम ने कहा, उल्लंघन गंभीर होने के कारण ये भारी जुर्माना लगाया गया है।

कम सजा

लेकिन यह चैनल का लाइसेंस रद्द करने से कम सजा है।

नूर टीवी, अल-अहया डिजिटल टेलीविजन नाम की कंपनी का हिस्सा है। ब्रिटेन में और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्काई नेटवर्क के प्लेटफॉर्म पर इसका प्रसारण होता है।

'पैगाम-ए-मुस्तफा' नाम का ये सवाल-जवाब वाला कार्यक्रम तीन मई २०१२ को प्रसारित हुआ था।

प्रस्तोता अल्लामा मोहम्मद फारुख निजामी ने इस्लाम से संबंधित बहुत से विषयों पर दुनियाभर के दर्शकों के सवालों के जवाब दिए थे।

कॉल करने वाले एक दर्शक ने पूछा था कि पैगम्बर मोहम्मद का अपमान करने वाले की क्या सजा होनी चाहिए।

'मौत'

निजामी ने जवाब दिया था, इसमें कोई दो राय नहीं है। इसमें कोई शक नहीं है कि पैगम्बर का अपमान करने वाले की सजा मौत ही होगी।ठ

उन्होंने २०११ में पकिस्तान के पंजाब प्रांत के राज्यपाल सलमान तासीर की हत्या करने वाले अंगरक्षक मुमताज कादरी को सही ठहराया। तासीर ने पकिस्तान के विवादित ईश निंदा कानून में संशोधन की बात की थी।

जुर्माने के साथ ही चैनल को ऑफकॉम के निष्कर्ष के परिणाम की विज्ञप्ति प्रसारित करने और कार्यक्रम को दोबारा प्रसारित न करने के आदेश दिए गए।

बचाव और स्पष्टीकरण

अपने बचाव में चैनल ने कहा कि हत्या के लिए उकसाने की बजाय प्रस्तोता ने उनसे पैगम्बर का अपमान होते देख कर जिम्मेदारी उठाने और मामले से जुड़ने की बात कही थी ।

उन्होंने कहा, प्रस्तोता ने पिछले पांच साल से नूर टीवी पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए हैं और ये आकस्मिक था और इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी।

उन्होंने ये भी स्पष्टीकरण दिया कि चैनल मुख्य रूप से सूफीवाद को मानता है और चैनल का लक्ष्य विश्व में शांति और समझ को बढ़ावा देना है।

अल-अहया ने व्यक्तिगत राजनीतिक विचारधारा को बढ़ावा देने और कार्यक्रम के दौरान हिंसा का समर्थन करने के लिए निजामी को मई में बरखास्त कर दिया था।

जुलाई में ऑफकॉम ने डीएम डिजिटल टीवी चैनल पर भी ८५,००० यूरो का जुर्माना लगाया था। चैनल ने एक इस्लामी धर्मगुरु का भाषण प्रसारित किया था जिसमें कहा गया था कि पैगम्बर मोहम्मद का अपमान करने वाले को 'मारना' मुसलमानों का कर्तव्य है।

स्त्रोत : अमर उजाला

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