भाद्रपद कृष्ण ५ , कलियुग वर्ष ५११५
दाऊद इब्राहिम |
देश में बम धमाकों की साजिश पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई और तंजीमों (आतंकी संगठन) के चीफ मिलकर रचते हैं। जब हमले का षड्यंत्र रचा जाता है तो सिर्फ तंजीमों के चीफ और आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी ही बैठक में शामिल होते हैं।
वहीं, आईएसआई पाकिस्तान में छुपे भारत के दुश्मनों से रकम वसूलती है। दिल्ली पुलिस ने टुंडा की इंट्रोगेशन रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें ये बातें हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में २६/११ हमले की साजिश भी इस तरह की बैठक में ही रची गई थी। डेविड हेडली, आईएसआई एजेंट और लश्कर चीफ जकी उर रहमान के बीच साजिश रची गई।
बैठक में राणा इफ्तेखार और इफ्तेखार भावलपुरी भी मौजूद थे। राणा इफ्तेखार जकी उर रहमान का बहुत खास आदमी है। मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान के कैदाबाद में स्थित भैंस कॉलोनी में कंट्रोल रूम बनाया गया था।
वर्ष १९९३ में मुंबई में हुए बम धमाकों से पहले लश्कर ने मुंबई में दो आतंकियों अल्वी और शकील को डॉ. जालिस अंसारी की सहायता के लिए भेजा था।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि आईएसआई पाक में छुपे देश के दुश्मनों से मोटी रकम वसूलती हैं। दाऊद इब्राहिम और इकबाल काना आईएसआई को मोटी रकम देते हैं। हालांकि, टुंडा ने यह खुलासा नहीं किया कि ये दोनों आईएसआई को कितनी रकम देते हैं।
जैश पर आईएसआई के ऑपरेशन का जिम्मा
पाक में लश्कर के अलावा हरकत-उल-अंसार और हरकत-उल-जिहाद नामक दो आतंकी संगठन बनाए गए थे। आईएसआई के इशारे पर इन दोनों को मिलाकर जैश-ए-मोहम्मद बनाया गया। मसूद अजहर जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है। जैश का काम आईएसआई के ऑपरेशन को अंजाम देना है।
मुंबई हमले में सिर्फ भारतीयों को ही बनाना था निशाना
टुंडा ने खुलासा किया है कि लश्कर ने अपने आतंकियों को मुंबई में हुए हमले के दौरान सिर्फ भारतीय को निशाना बनाने को कहा था। मगर मुंबई के ओपेरा हाउस के पास आतंकियों की गोली के शिकार विदेशी भी हो गए थे। इसके बाद आईएसआई ने लश्कर से नाराजगी जताई थी।
स्त्रोत : अमर उजाला