भाद्रपद कृष्ण ७ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, क्या कभी मस्जिद अथवा चर्चकी व्यवस्थापन समिति
निरस्त करनेका समाचार पढा है ? कर्नाटकके कांग्रेस शासनका हिंदूद्रोही निर्णय !
कद्री मंजुनाथ मंदिर, मंगलोर
बेंगलुरू : कर्नाटक शासनने राज्यमें ४१ प्रमुख मंदिरोंकी व्यवस्थापन समितियां निरस्त करनेका निर्णय लिया है । इसमें प्रमुखरूपसे दक्षिण कन्नड तथा उडुपी जनपदके २० विख्यात मंदिर समाविष्ट हैं । मंदिर व्यवस्थापन समितिके कुछ सदस्योंने यह मत व्यक्त किया है कि शासनका यह निर्णय धक्कादायक है । साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया है कि मंदिरोंके व्यवस्थापनमें राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है । (हिंदुओंद्वारा किए गए अर्पणसे इकट्ठा हुआ मंदिरोंका धन एवं संपत्ति बलपूर्वक अधिकारमें लेनेवाले हिंदूद्रोही राजनेताओंको हटानेके लिए हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) मंदिर व्यवस्थापन समिति वैध मार्गसे स्थापन की गई थी ।
पनंबुरके नंदनेश्वर मंदिरके अध्यक्ष श्री. अनंत ऐथलने बताया कि राज्यशासनद्वारा इन अधिनियमोंका पालन नहीं किया जाता । मंदिर समितिनिरस्त करनेके पीछे कोई भी कारण स्पष्ट नहीं किया गया था । कुक्के सुब्रह्मण्यम् मंदिरके भूतपूर्व सदस्य हरिकृष्ण पुनरूरने बताया कि कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्था तथा धर्मादाय मंडल अधिनियम, १९९७ के अधिनियमनुसार यदि मंदिर व्यवस्थापन समितियोंको तीन वर्षका कार्यकाल दिया गया है, तो इन समितियोंको उनका कार्यकाल पूरा करनेकी संधि देनी आवश्यक थी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात