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धर्मशिक्षाके अभावके कारण ही समाजमें हिंदुओंकी ‘हिंदु’ के रूपमें स्वतंत्र पहचान नहीं है ! – लिंडा

ज्येष्ठ कृ.१३, कलियुग वर्ष ५११४



अमेरिकामें ‘फोरम फॉर हिंदु अवेकनिंग’ द्वारा आयोजित धर्मसभामें १२५ जिज्ञासुओंकी उपस्थिति


दीपप्रज्वलन करते समय श्रीमती भावना शिंदे-हर्ली, उनके साथ
श्री. नीलेश शिरोडकर एवं श्रीमती लिंडा जॉनसन

सॅनफ्रान्सिसको (अमेरिका), १६ मई (वृत्तसंस्था)- यहांके फ्रीमॉन्ट हिंदु मंदिरमें ‘फोरम फॉर हिंदु अवेकनिंग’ द्वारा कुछ समय पूर्व ही हिंदु धर्मजागृति सभाका आयोजन किया गया । इस सभामें हिंदुत्ववादी लेखिका श्रीमती लिंडा जॉनसनने प्रतिपादित किया कि धर्मशिक्षाके अभावके कारण ही समाजमें हिंदुओंकी ‘हिंदु’ के रूपमें स्वतंत्र पहचान नहीं है । हिंदुओंको स्वयंका अस्तित्व संजोए रखनेके लिए धर्मशिक्षाकीआवश्यकता है । इस सभामें १२५ जिज्ञासु उपस्थित थे । धर्मजागृति सभाका आरंभ शंखनाद एवं मंत्रपठनसे हुआ ।

इस अवसरपर श्रीमती जॉनसनने कहा कि पिछले कुछ वर्षोंमें हिंदु धर्मका अभ्यास करने हेतु विभिन्न स्थानोंपर आयोजित योगवर्गोंमें जानेका अवसर मिला । ‘हिंदु’ के रूपमें जन्मे हिंदु-ओंको हिंदु धर्मका तथा भारतके आध्यात्मिक महत्त्वके विषयमें ज्ञान नहीं है, परंतु योगाभ्यास करनेवाले विदेशियोंको इस विषयमें अत्यधिक ज्ञान है । हिंदु धर्मपर होनेवाले विभिन्न आघातोंका यदि सफलतापूर्वक सामना करना होगा, तो हिंदुओंको हिंदु धर्मका महत्त्व बताकर उनमें जागृति लाना आवश्यक है । अमेरिका समान  अहिंदु देशमें हिंदुओंको अपनी अगली पीढीमें ‘हिंदु’ के रूपमें पहचान संजोए रखना है, तो उन्हें धर्मशिक्षा देनेकी आवश्यकता है ।

हिंदु धर्मका संवर्धन करनेके लिए हिंदुओंको धर्माचरण करना आवश्यक ! – श्रीमती भावना शिंदे-हर्ली, फोरम फॉर हिंदु अवेकनिंग       

स्वयंमें सत्त्वगुणोंकी वृद्धि करनेके लिए निरंतर प्रयास करनेवाला `हिंदु’ कहलाता है । हिंदु धर्मका संवर्धन करना है, तो धर्मतत्वोंका अभ्यास कर प्रत्येक हिंदुको धर्माचरण कर स्वयंमें सत्त्वगुणोंकी वृद्धि करना आवश्यक है । प्रत्येक हिंदुको दिनमें कुछ समय साधनाके लिए देना अनिवार्य है ।

अमेरिकामें स्थित हिंदु धर्माभिमानी श्री. नीलेश शिरोडकरद्वारा हिंदु धर्मपर विभिन्न माध्यमोंसे होनेवाले आघातोंके विषयमें जानकारी दी गई । स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशनके साधक श्री. अमेय रानडेने सामिष आहारके स्थानपर निरामिष आहार किसप्रकार लाभदायी है, मृत्युके पश्चात देहको गाडनेकी अपेक्षा अग्निसंस्कार क्यों करने चाहिए, इस विषयमें संस्थाद्वारा किए गए शोधनके संदर्भमें जानकारी दी ।

सभामें लिए गए प्रस्ताव

१. संस्कृतको विदेशी भाषाकी श्रेणी देकर उसे अमेरिकाके स्थानीय विद्यालयोंमें पढाना चाहिए ।

२. बांग्ला देशमें रहनेवाले हिंदुओंके मानवाधिकारोंके हननके प्रकरणोंके विषयमें जांच-पडताल होनी चाहिए ।

क्षणिका : सभाके पश्चात आधा घंटा प्रश्नोत्तरका कार्यक्रम संपन्न हुआ ।

स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात

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