वैशाख कृ १४, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदु जनजागृति समितिके साथ हिंदुत्ववादी संगठनोंद्वारा तीव्र विरोध !
हिंदुओ, आपकी धर्मभावनाओंसे खेलनेवाले चलचित्र निर्माताओं तथा अभिनेताओंके साथ इस चलचित्रसहित अन्य चलचित्रोंपर तथा वे जिस उत्पादका विज्ञापन करते हैं उन उत्पादोंका बहिष्कार करें तथा आपका विरोध वैधानिक मार्गसे संबंधित व्यक्तियोंतक पहुंचाएं ।
मंगलुरू – मुनिरत्न निर्मित `कठारीवीर सुरसंदरांगी’ चलचित्रमें हिंदु देवी-देवता एवं पौराणिक पात्रोंको अत्यधिक निम्न स्तरपर दर्शाकर हिंदुओंकी धार्मिक भावनाओंका अनादर किया गया है । चलचित्रमें किए गए हिंदु देवी-देवताओंके अनादरके विरोधमें पूरे राज्यमें हिंदु आक्रोशित हो उठे हैं एवं कुछ स्थानोंपर हिंदुत्ववादी संगठनोंद्वारा विरोध करनेके कारण चलचित्रका प्रदर्शन निरस्त किया गया है । बजरंग दल एवं विहिंपद्वारा मांग की गई है कि चलचित्रमें दर्शाए गए उपहासात्मक दृश्य हटानेके पश्चात ही मंगलुरू एवं उडुपीमें यह चलचित्र प्रदर्शित किया जाना चाहिए । इस चलचित्रका कथानक इस प्रकार है कि पृथ्वीसे एक युवक स्वर्गमें जाता है एवं वहांपर इंद्र भगवानकी लडकीसे प्रेमसंबंध स्थापित करता है । यमधर्मपदके लिए वह स्वर्गमें चुनाव किए जानेकी मांग करता है । यह सब प्रदर्शित करते समय इस चलचित्रमें हिंदु देवी-देवताओंको वासनांध दर्शाकर उनका अत्यंत अश्लील चित्रीकरण किया गया है । इस चलचित्रका पूरा कथानक ही अनादर करनेवाला है ।
हिंदु धर्माभिमानी आगे दिए पतेपर विरोधकी प्रविष्टि कर रहे हैं ! १. श्रीमुनिरत्ना, चलचित्र निर्माता |
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हिंदु जनजागृति समितिद्वारा चलचित्रका विरोध
हिंदु जनजागृति समितिद्वारा इस चलचित्रके प्रदर्शनका तीव्र विरोध कर संबंधित व्यक्तियोंको एक निवेदन दिया गया है, जिसमें चलचित्र निरस्त करनेकी मांग की है । समितिके कार्यकर्ताओंद्वारा मंगलुुरू, शिवमोग्गा, रायचुरू, हुब्बल्ली, गदग, भटकल, हासन, चिकमंगलूरके चलचित्रगृहोंके मालिकोंको निवेदन देकर चलचित्र प्रदर्शित न करनेकी मांग की गई । १२ मईको निर्माता मुनिरत्न, वितरक व्यंकटेश तथा मुतालिक, संतोष गुरुजी, शीरुरु मठके लक्ष्मीवर तीर्थ स्वामीजी, कर्नाटक चेंबर ऑफ कॉमर्स (चलचित्र) के अध्यक्ष चंद्रशेखरके बीच इस चलचित्रके विषयमें विचार-विमर्श हुआ तथा चलचित्रमें प्रदर्शित आपत्तिजनक दृश्य हटानेका निर्णय इस बैठकमें लिया गया ।
मंगलुरूमें हिंदुत्ववादी संगठनोंद्वारा प्रदर्शन
इस fहंदुद्वेषी चलचित्रके fवरोधमें बजरंग दल एवं दुर्गावाहिनी संगठनोंद्वारा नगरके कुछ चलचित्रगृहोंके बाहर चलचित्रके प्रदर्शनके विरोधमें प्रदर्शन किए गए । चलचित्रके विज्ञापन फलकको आग लगाई गई तथा चलचित्र निर्माता एवं चलचित्रमें प्रधान भूमिका अपनानेवाले उपेंद्र एवं अंबरीश- इन कलाकारोंके विरोधमें आंदोलनकारियोंने घोषणाएं कीं एवं चेतावनी दी कि यदि इस चलचित्रका प्रदर्शन निरस्त न किया गया, तो कडे कदम उठाए जाएंगे । इस प्रदर्शनमें ५० धर्माभिमानी सहभागी हुए थे ।
‘नम्म टीवी’पर प्रदर्शित चर्चासत्रमें चलचित्रका विरोध
इस चलचित्रके संदर्भमें `नम्म टीवी’ के स्थानीय प्रणालपर ‘फोन इन’ कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रममें हिंदु जनजागृति समितिद्वारा श्री. रमेश नायक, सनातन संस्थाद्वारा श्री. प्रशांत हरिहर, दर्शक श्री. सुजीत सहभागी हुए थे । चलचित्रसे बच्चोंपर होनेवाले विपरीत परिणामोंके विषयमें विचार-विमर्श कर चलचित्रका विरोध किया गया ।
चलचित्रके कुछ उपहासात्मक प्रसंग
१. ‘श्रीराम एवं श्रीकृष्णद्वारा चूकें हुर्इं, तो उन्हें दंड क्यों नहीं दिया गया ? मनुष्योंको ही दंड क्यों’, इस प्रकारका वक्तव्य कर श्रीराम एवं श्रीकृष्ण देवताओंकी मानवसे तुलना की गई है ।
२. ‘चित्रगुप्तका एक स्रीके साथ असभ्य आचरण, चित्रगुप्तका एक स्रीको आंख मारना’ ऐसे अनेक दृश्य निम्न स्तरपर इस चलचित्रमें प्रदर्शित किए गए हैं ।
३. चलचित्रमें यमराजको `द्रोही, धूर्त’, कहा गया है ।
४. इंद्रकी लडकीसे प्रेम करनेवाला एक व्यक्ति उसे लेकर पृथ्वीपर आता है, ऐसा दृश्य इस चलचित्रमें प्रदर्शित किया गया है ।
५. चित्रगुप्तके साथ एक स्रीके देहसंबंधोंका अश्लील चित्रीकरण कर उसके माध्यमसे चित्रगुप्तको ‘ब्लैकमेल’ करना, स्वर्गमें इंद्रकी लडकीसे प्रेम करनेके उद्देश्यसे निम्न स्तरपर जाकर उससे बात करना, यमराजको उनके स्थानसे च्युत करने हेतु चुनाव लडना तथा प्रचारके समय यदि हम सफल हुए, तो आपका दंड न्यून किया जाएगा ऐसा कहना, इसके विरोधमें यमराजद्वारा रंभा, उर्वशी अप्सराओंको प्रचारके लिए आमंत्रित करना तथा उपेंद्रद्वारा देवताओंसे संघर्ष करते समय उनकी छातीपर लात मारना आदि प्रसंग दर्शाए गए हैं । (ऐसे प्रसंग क्या इन चलचित्र निर्माताओं, निर्देशकों एवं कलाकारोंने ईसाई अथवा मुसलमानोंके संदर्भमें दर्शानेका साहस किया होता ? यदि किया भी होता, तो दोनों समूहके कट्टरतावादियों एवं केंद्र-राज्य स्तरके उनके समर्थकोंने क्या उन्हें छोडा होता ? हिंदुओ, इस बातपर विचार करें एवं आपकी धर्मभावनाओंसे खिलवाड करनेवालोंको वैधानिक मार्गसे सबक सिखाएं ! – संपादक)
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात