भाद्रपद कृष्ण १४, कलियुग वर्ष ५११५
प.पू. डॉ. आठवले |
१. प.पू. आसारामबापू के जीवन की पूर्ण रूपसे जानकारी ली गई, तो भगवान को माननेवाला कोई भी उनके चरणो में नतमस्तक होगा !
वर्तमान समय में प.पू. आसाराम बापू पर लगाया गया आरोप सिद्ध नहीं हुआ है । ऐसा होते हुए भी नियतकालिक एवं दूरचित्रप्रणालो में दिनरात विषवमन करने की प्रतियोगिता चल रही है । इस संदर्भमें आगे दिए गए सूत्रों को ध्यान में लेना आवश्यक है ।
अ. प.पू. बापू ने करोडों हिंदुओंको साधना करने का संस्कार दिया । इसके विपरीत विपक्षियों ने ना किसीको साधना करनेकी प्रेरणा दी, ना स्वयं साधना की । इतना ही नहीं, अपितु सहस्रावधि हिंदुओंको साधनासे दूर किया ।
आ. प.पू. बापूके लाखों भक्तोंको उनके संदर्भमें अनुभूतियां हुई हैं । अध्यात्ममें अधिकारी रहे बिना ऐसी अनुभूतियां नहीं आतीं ।
इ. प.पू. बापूके संदर्भमें मनचाहा भाष्य करनेवालो, क्या आपमें उनके समान आगे बताए अनुसार सामाजिक, राष्ट्रीय एवं धार्मिक कार्य करनेका साहस है ?
१. प.पू. आसारामबापूके ‘योग वेदांत समिति’ द्वारा सर्वत्र बालसंस्कारवर्ग लिए जाते हैं ।
२. समाजको अनैतिकताकी ओर ले जानेवाले ‘वैलंटाइन डे’का विरोध करने हेतु उन्होंने मातृ-पितृदिवस मनाना आरंभ किया ।
३. हिंदुओंका ईसाईकरण करनेके विरुद्ध जागृति कर हिंदुओंके धर्मपरिवर्तनको रोका ।
४. हिंदूधर्मियोंके बच्चोंके लिए सहस्रों हिंदू विद्यालयोंकी स्थापना की ।
५. गुजरातमें निर्धन लोगोंके लिए घरोंका निर्माणकार्य किया ।
६. गोसंवर्धन होने हेतु सहस्रों गोशालाएं खडी कीं ।
७. संपूर्ण आसारामबापू संप्रदाय सामाजिक सेवाकार्यमें अग्रणी है ।
इतनाही नहीं, अपितु प.पू. आसारामबापूने इससे भी अधिक भव्य सामाजिक, राष्ट्रीय एवं धार्मिक कार्य किया है ।
ई. प.पू. आसारामबापूके कार्यसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों एवं ईसाई मिशनरीकी सबसे बडी हानि हो रही है; इसीलिए उनकी यह अपकीर्ति एक अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र है । प्रत्येक व्यक्तिको इस बातका विचार करना चाहिए कि जिस व्यक्तिके पास इतना कुछ करनेकी नीतिमत्ता है, क्या वह बलात्कारके समान नीचकर्म करेगा ?
२. प.पू. आसाराम बापूका समर्थन न करनेवाले संत क्या कभी हिंदुओंको एकत्रित कर सकेंगे ?
प.पू. बापूकी इतनी निंदा की जा रही है । ऐसी स्थितिमें कोई संत उनके पक्षमें एक भी शब्द नहीं बोलता, यह बात अत्यंत दुखदायी है । क्या ऐसे संत हिंदुओंको एकत्रित करनेके संदर्भमें कभी कोई मार्गदर्शन करते होंगे ? इसलिए अब हिंदुओंको एकत्रित होनेके संदर्भमें संतोंके मार्गदर्शनकी प्रतीक्षा न कर स्वयं दायित्व लेकर अग्रणी होना आवश्यक है ।
३. क्या प.पू. आसाराम बापूसमान संतोंको सहायता न करनेवाले तथाकथित हिंदूनिष्ठ राजनीतिक पक्ष ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करने हेतु कभी प्रयास करेंगे ?
४. हिंदुओ, ‘हम १०५’ धर्मराजका यह वचन ध्यानमें रखें !
जब धर्मराजको ज्ञात हुआ कि गंधर्वोंने कौरवोंपर आक्रमण किया, तो उसने कौरवोंकी सहायता करनेका निर्णय लिया । उस समय भीमने उनसे पूछा, ‘कौरवोंने इतना कष्ट दिया । ऐसा होते हुए भी हमें उनकी सहायताके लिए क्यों दौडना है ?’ इसपर धर्मराजने उत्तर दिया़ ‘कुछ भी हो, कौरव हमारे बांधव हैं; इसलिए हम उन्हें सहायता करेंगे !’ यहां तो करोडों हिंदुओंको साधनाकी प्रेरणा देनेवाले प.पू. आसारामबापू हैं । कोई किसी भी संप्रदायके अनुसार साधना करे, तब भी उसका कर्तव्य है कि वह प.पू. बापूके समर्थनमें निश्चित रूपसे खडे रहकर उनके भक्तोंके मनमें ‘हम आपके साथ हैं’ ऐसा विश्वास जागृत करें ।
– डॉ. आठवले (२.९.२०१३)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात