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जयपुरके चर्चमें १३ लडकियोंपर किए गए बलात्कारकी घटनाके अन्वेषणका क्या हुआ ?

कार्तिक कृष्ण २ , कलियुग वर्ष ५११५

दैनिक सनातन प्रभातमें प्रकाशित समाचारके आधारपर अधिवक्ता प्रसाद पाठारेद्वारा राजस्थानके राज्यपाल तथा मुख्यमंत्रीको वैधानिक परिवाद

मुंबई : जयपुर, दैनिक सनातन प्रभातमें ४ सितंबर २०१३ को राजस्थानके ग्रेस चर्च होममें १३ अल्पवयीन लडकियोंपर बलात्कार किए जानेका समाचार प्रकाशित हुआ था । वह समाचार पढकर मुंबई उच्च न्यायालयके ज्येष्ठ अधिवक्ता राजेश बिंद्राके मार्गदर्शनानुसार अधिवक्ता प्रसाद पाठारेने राजस्थानके राज्यपाल मार्गरेट आल्वा, मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत, राज्य महिला आयोगकी अध्यक्षा श्रीमती लाड, कुमारी जैन तथा जयपुर पुलिस आयुक्तको वैधानिक परिवाद भेजा तथा इस परिवादद्वारा सीधा यह प्रश्न पूछा कि इस बलात्कारके अन्वेषणका क्या हुआ ? ( इस प्रकार सतर्कतासे संबंधित सर्व शासकीय तंत्रोंको वैधानिक परिवाद पंजीकृत कर स्पष्टीकरण मांगनेवाले अधिवक्ता राजेश बिंद्रा तथा अधिवक्ता प्रसाद पाठारेका अभिनंदन ! यदि इस प्रकारके सतर्क अधिवक्ता होें, तो ही निधर्मीपनके नामपर देशमें शासकीय स्तरपर फैला हुआ दुराचार निश्चितरूपसे नियंत्रणमें लाया जा सकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

अधिवक्ता पाठारेने परिवादमें यह प्रस्तुत किया है कि ४ सितंबर २०१३ को दैनिक सनातन प्रभातमें प्रकाशित समाचारकी ओर मैं आपका ध्यान ले जा रहा हूं । उसमें वैद्यकीय जांचमें जयपुरके ग्रेस चर्च होममें १३ लडकियोंपर बलात्कार किए जानेकी बात स्पष्ट हुई है । इस परिवादके साथ उस समाचारकी प्रति जुडी हुई है । इस संदर्भमें मैंने आपको अधिक जानकारी दी है, किंतु उसके अनुसार क्या आपने इस गंभीर विषयका अन्वेषण किया है ?

महिला आयोगद्वारा अपने आपको बचानेका प्रयास !

उपरोक्त ४ जनोंद्वारा १० सिंतबर २०१३ को वैधानिक परिवाद पंजीकृत करनेके पश्चात जयपुर महिला आयोगने २५ सितंबर २०१३ को उत्तर देनेकी सौदार्हता दिखाई है; किंतु उसमें भी आयोगने यह बताया कि इस बलात्कारका अन्वेषण महिला आयोगद्वारा नहीं अपितु वह राजस्थान बाल अधिकार आयोगद्वारा हो रहा है । इस संदर्भमें आप उनसे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।

प.पू. आसारामबापूके पीछे लगे हुए सभी अन्वेषण तंत्र कहां गए ? – अधिवक्ता राजेश बिंद्रा

ज्येष्ठ अधिवक्ता बिंद्राने बताया कि प.पू. आसारामबापूपर लैंगिक अत्याचारके केवल आरोप लगाए गए थे; किंतु देशके सर्व तंत्र उनके पीछे लगे हैं । प्रसारमाध्यम झूठे परिवाद कर रहे हैं ।किंतु यहां वैद्यकीय जांचमें १३ लडकियोंपर चर्चमें बलात्कार होनेकी बात सिद्ध हुई है । ऐसा होते हुए भी जयपुरकी महिला आयोगको स्वयं इसकी ओरस्वयं ध्यान देनेकी इच्छा ही नहीं है । बाल अधिकार आयोगद्वारा इस घटनाकी जांच की जा रही है, यह बताकर सहजतासे अपना दायित्व दूर करनेवाले (झटकनेवाले) महिला आयोगद्वारा चर्चमें व्यभिचार होनेके कारण इस प्रकारका व्यवहार किया जा रहा है । इस संदर्भमें जयपुरके राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा पुलिस आयुक्तको भी परिवादकी प्राप्ति (पोच) देनेकी इच्छा नहीं हुई, इस बातका अर्थ क्या निकाल सकते हैं ?

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात


वैद्यकीय जांचमें १३ मणिपुरी लडकियोंपर जयपुरके ‘ग्रेस चर्च होम’ में बलात्कार होनेकी बात उजागर

भाद्रपद अमावस्या, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदुओंके धर्मगुरुओंपर बलात्कारका आरोप लगाए जानेपर उनपर धावा बोलनेवाले प्रसारमाध्यमोंको क्या चर्चमें होनेवाला वासनाकांड दिखाई नहीं देता ? क्या ऐसे चर्चमें ‘स्टिंग आपरेशन’ करनेकी इच्छा नहीं होती ?

इंफाल – वैद्यकीय जांचमें जयपुरके ‘चर्च होम’ से मुक्त की गई १५ लडकियोंमें १३ अल्पायु मणिपुरी लडकियोंपर बलात्कार होनेकी बात सामने आई है । ये सभी लडकियां ७ से १५ वर्षके आयुवर्गकी हैं । उखरूल जनपद रुग्णालयके वैद्यकीय अधीक्षकके नेतृत्वमें आधुनिक वैद्यके एक पथकने इन लडकियोंकी वैद्यकीय जांच की । तदुपरांत प्रसिद्ध वैद्यकीय अहवालमें कहा गया है कि इन लडकियोंपर बलात्कार हुए हैं । (राजस्थान सरकारकी पुfिलसने ही प.पू. आसारामबापूपर कथित लैंगिक शोषणके अपराधमें कार्यवाही की । यह पुलिस इस ‘ग्रेस चर्च होम’ पर कार्यवाही क्यों नहीं करती ? कहीं ऐसा तो नहीं कि किसीने उन्हें वैसे आदेश दिए हों ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

१. ईसाई पादरी जाकोब जानद्वारा चलाए जानेवाले जयपुरके ‘ग्रेस चर्च होम’ पर छापा मारकर इन लडकियोंको मुक्त किया गया था ।

२. मुक्त किए गए बच्चोंमें १५ लडकियां एवं ५ लडके थे, जिसमें १९ बच्चे मणिपुरके उखरूल जनपदके एवं एक चांदेल जनपदका है ।

३. उखरूलके पुलिस अधीक्षक के.कबीबने उखरूल जनपदके सभी चर्चोंको सूचना पत्र भेजकर सूचित किया है कि अल्पायु लडकियोंको अन्यत्र न भेजें ।

४. पादरी जाकोब जॉनको पुलिसने बंदी बनाया है । जॉनकी पत्नी वर्ष १९९७से जयपुरसे आकर मणिपुरके उखरूल जनपदमें चर्चमें धर्मशिक्षा देती थीं ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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