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शासनकर्ताओंका मदरसोंको अनुदान अर्थात शासकीय व्ययसे धर्मांधोंकी उपज !

भाद्रपद शुक्ल ३, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदुत्ववादी संगठनपर आरोप लगानेवाले शासनकर्ताओंका मदरसोंको अनुदान अर्थात शासकीय व्ययसे धर्मांधोंकी उपज !

दैनिक सामनका ‘जैसेको तैसा’ संपादकीय

मुंबई – एक ओर सनातन जैसे हिंदुत्ववादी संगठनपर आरोप लगाकर दूसरी ओर राज्यके जिहादी कारखानोंपर अनुदानकी खैरात । शासकीय व्ययसे धर्मांध एवं सिरफिरोंकी उपज करनेवाली घटना संपूर्ण विश्वमें कहीं नहीं होगी । मदरसोंपर की जानेवाली खैरात, अर्थात शासकीय पैसोंसे धर्मांधोके मत खरीदना है । मदरसोंसे जिहादी  उत्पन्न करनेका काम किया जाता है तथा ये जिहादी ही हिंदुस्थानको नष्ट करनेपर तुले हुए हैं, ५ सितंबरको प्रसिद्ध दैनिक `सामना’के संपादकीयमें ऐसा कहा गया है ।

संपादकीयसे अन्य सूत्र

१. महाराष्ट्रकी राजनीति ‘गटरगंगा’ हुई है, तथा इसमें जिसे देखो वह अपने हाथ गंदे कर हम ही कैसे निधर्मी हैं, इसकी बांग देते हैं ।

२. पृथ्वीराजबाबाका प्रशासन अन्य कोई भी निर्णय न लेता हो, तथा भले ही फाईलोंपर सोता हो, किंतु मुसलमानोंकी चापलूसीमें कोई किसी भी तरहका  अभाव रखनेको तैयार नहीं है । मदरसोंके अध्यापकोंको ‘मानदेय’ नामकी घूस देना तथा मदरसोंके छात्रोंको छात्रवृत्ति देना, अर्थात स्वयंको निधर्मी कहलानेवाले प्रशासनकी बेईमानी है । चुनाव सामने रखकर ही यह निर्णय लिया गया है ।

३. धर्मशिक्षा हेतु राज्य प्रशासनके कोषसे सहायता नहीं मिलती । हिंदुओंके संदर्भमें निरंतर मुंह टेढा करनेवाले प्रशासनने मुसलमानोंके विषयमें  चापलूसीकी बहार लाई है ।

४. धर्मांधोको पाठशाला एवं महाविद्यालयोंसे शिक्षा लेनेसे किसने मना किया है ? वर्तमानमें धर्मांध लडकोंको बहकानेका काम चल रहा है । उसकी जडें मराठवाडा, विदर्भ, मालेगाव, भेंडीबजारके मदरसोंमें हैं ।

५. पाकजैसे देशमें भी मदरसोंको अनुदान नहीं; किंतु हिंदुस्थानका इस्लामीकरण ही हुआ है ।

६. पृथ्वीराजबाबाकी देहमें औरंगजेब तथा अजीत पवारकी देहमें जैसे अफजलखानका संचार हुआ है । महाराष्ट्र नष्ट करने हेतु आए इन दोनों पापियोंको मराठोंने इसी मिट्टीमें गाड दिया है ।

७. महाराष्ट्रकी पाठशालाओंकी स्थिति बहुत बुरी होनेपर भी बाबामियांने (पृथ्वीराज चौहानने) मदरसोंपर सोनेका छप्पर चढाया है । राज्यके भूमिपुत्र, किसान सुस्थितिमें न होते हुए मदरसों हेतु जिरी खाली करनेकी दुर्बुद्धि इन्हें हुई है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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