भाद्रपद शुक्ल ३, कलियुग वर्ष ५११५
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कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हो रही अन्तर-मंत्रालय समूह (आईएमजी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण उत्तराखंड की हाल के आपदा में क्षतिग्रस्त हुए श्री केदारनाथ मंदिर का संरक्षण करेगा। इसलिए, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) और भारतीय इंजीनियरिंग परियोजना लिमिटेड (ईपीआईएल) के सदस्यों की एक संयुक्त टीम ने मंदिर और इसके आस-पास के इलाके को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए ०२-०३ अगस्त के बीच केदारनाथ का दौरा किया।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की प्रारंभिक रिपोर्ट इस बात की ओर संकेत करती है कि मंदिर की संपूर्ण बाह्य संरचना को संरक्षित करने की खास जरूरत है जबकि मंदिर के उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी हिस्से पर बाढ़ और शिलाखण्ड के गंभीर झटकों का असर हल्का हुआ है। उत्तरी हिस्से में किसी बड़े शिलाखण्ड के आकर टिक जाने के कारण पानी और पत्थर मंदिर के ढांचे को क्षतिग्रस्त नहीं कर सके और संभवतः इसी कारण मंदिर प्रत्यक्ष रूप से क्षतिग्रस्त होने से बच गया।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने राज्य सरकार, केदारनाथ विकास प्राधिकरण और बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के परामर्श से श्री केदारनाथ मंदिर के संरक्षण का काम शुरू करने के लिए अपनी टीम भेजी है। एएसआई को सलाह दी गई है कि वह पहले चरण के लिए ९ सितंबर तक अपनी कार्य योजना प्रस्तुत करे, और ११ सितंबर के बाद ही, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की केदारनाथ यात्रा संपन्न होने पर, संरक्षण का काम शुरू करे। शुरूआत में इस काम में मंदिर के भीतरी हिस्से की सफाई, बिखरे पत्थरों की पैकिंग और मंदिर के भीतरी शिलालेख का जायजा लेने का काम शामिल होगा।
संरक्षण कार्य के पहले चरण में लगभग २.४० करोड़ रुपए की लागत आएगी।”
स्त्रोत : niti central