ज्येष्ठ शु.१, कलियुग वर्ष ५११४
महाराणा प्रतापके विषयमें केवल २४ पंक्तियां देकर उनका तेजस्वी इतिहास छिपानेका एनसीईआरटीद्वारा निंद्य प्रयास
उदयपुर – महाराणा प्रतापद्वारा किए गए त्याग एवं बलिदानके विषयमें केवल २४ पंक्तियोंमें जानकारी दी गई है । पिछले कुछ वर्षोंमें पुस्तकोंके पृष्ठ अल्प करनेकी आडमें ‘ राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ‘ (एन्सीईआरटी) एवं ‘राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ‘ (एन्सीईआरटी) द्वारा महाराणा प्रतापसे संबंधित पाठ्यक्रमको ही संक्षिप्त किया गया है । मंडलद्वारा महाराणा प्रतापका चित्र भी पाठ्यपुस्तकमें समाविष्ट करनेकी उदारता नहीं दर्शाई गई । इतनाही नहीं, अपितु ८ वीं से लेकर १० वीं कक्षातक की पाठ्यपुस्तकोंमें महाराणा प्रतापकी चर्चा केवल १२ से १५ पंक्तियोंमें ही की गई है । कक्षा ६ठी से १० वीं तककी ‘सामाजिक विज्ञान’ पाठ्यपुस्तककी २५ पुस्तकोंकी जांच करनेपर यह निष्कर्ष निकाला गया है । स्थानीय इतिहास विशेषज्ञ एवं नागरिकोंने इस विषयमें अप्रसन्नता व्यक्त की है । (इन लोगोंको केवल अप्रसन्नता व्यक्त कर रुकना नहीं चाहिए, अपितु हिंदुद्वेषियोंको सबक सिखानेके लिए वैधानिक मार्गसे संघर्ष करना चाहिए ! -संपादक)
धर्माभिमानी हिंदु आगे दिए पतेपर विरोधकी प्रविष्टि कर रहे हैं !धीरज जांदियाल, जनसंपर्क अधिकारी, एनसीईआरटी दूरभाष क्रमांक : ९१-११-२६५६९१५७ संपत्रके लिए पता : [email protected] |
क्रीडा राज्यमंत्री मांगीलाल गरासियाने कहा कि इस घटनाकी जानकारी मुझे अनेक लोगोंसे प्राप्त हुई है । महाराणा प्रताप केवल मेवाडके लिए ही नहीं, अपितु समूचे देशके लिए गौरवशाली हैं । पाठ्यपुस्तकमें उनके त्यागकी जो उपेक्षा की गई है, उस संदर्भमें मैं मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्रीसे वार्तालाप करुंगा । (यह ध्यानमें रखें कि औरंगजेबी मानसिकता रखनेवाले कांग्रेसियोंके उदगार जनताकी आंखोंमें धूल झोंकनेके लिए ही हैं !-संपादक)
इ.स.२०१२-१३ शैक्षणिक वर्षके लिए ‘सामाजिक विज्ञान ‘ इन एन्सीईआरटी एवं एस्सीईआरटीद्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकोंमें महाराणा प्रतापके विषयमें अलगसे पाठ नहीं है, जबकि एन्सीईआरटीकी पाठ्यपुस्तकमें महाराणा प्रतापकी जानकारी केवल कुछ पंक्तियोंमें दी गई है । इस संदर्भमें एनसीईआरटीके एक उच्चस्तरीय अधिकारी बी.एस.सांदूको पूछे जानेपर उन्होंने उत्तरमें कहा, ‘मुझे इस विषयमें कुछ जानकारी नहीं है । मै पुस्तक देखनेके पश्चात ही बता सकूंगा ।’
इसके संदर्भमें दोनों संस्थाओंके प्रधान अधिकारियोंने अपना दायित्व झटकनेका प्रयास किया । एन्सीईआरटीके उच्च अधिकारी हेमंत कुमारने कहा कि पाठ्यपुस्तकोंके विषयमें निर्णय राज्य एवं केंद्र सरकारकी होती है । इसमें एस्सीईआरटीका दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होता है । महाराणा प्रतापकी जानकारी केवल संदर्भके रूपमें है, जिसका दायित्व राज्यसरकारका है । (किसी मुसलमान सुलतानके विषयमें इस प्रकारकी जानकारी पुस्तकमें दी गई होती, तो क्या हेमंतकुमारने ऐसा उत्तर दिया होता ? यदि हां, तो क्या ऐसा उत्तर सुनकर मुसलमानसमर्थक कांग्रेसियोंने सहन किया होता ? -संपादक)
पाठ्यपुस्तकमें क्या है ?
१. महाराणा प्रतापद्वारा मेवाडकी स्वतंत्रताके लिए किया गया
संघर्ष (७ पंक्तियां)
२. हल्दिघाटीका युद्ध (६ पंक्तियां)
३. दीवेर युद्ध (६ पंक्तियां)
४. महाराणा प्रतापका भारतीय इतिहासमें स्थान (५ पंक्तियां)
‘एन्नसीईआरटी’ हिंदुद्वेषी कांग्रेसके मंत्री कपिल सिब्बलके नियंत्रणमें ही है । इससे पूर्व इस शिक्षामंडलद्वारा क्रांतिकारियोंको आतंकवादी ही सिद्ध किया गया है । सिक्ख धर्मगुरुओं एवं छत्रपति शिवाजी महाराजके विषयमें भी अवमानजनक लेखन किया गया है । संक्षेपमें, इस कांग्रेसीकरण प्राप्त शिक्षामंडलकी पोर-पोरमें राष्ट्र एवं हिंदुद्रोह नीति समाई हुई है । हिंदु राष्ट्रपुरुषोंका तेजस्वी इतिहास छिपाकर उनका अनादर करनेवाले इन अधिकारियों एवं उनके समर्थकोंको हिंदु राष्ट्रमें (रामराज्य, आदर्श राज्यमें) कानूनके अनुसार कडा दंड दिया जाएगा ! -संपादक
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात