भाद्रपद शुक्ल ४, कलियुग वर्ष ५११५
- जिहादीयोंकी गुंडागर्दी सहन करने को बेलगांव भारत में है अथवा पाकिस्तान में ?
- क्या ऐसा समाचार कभी पढनेमें आया कि ईद अथवा नातालका फलक लगानेमें हिंदुओंका विरोध ?
- धर्मांध जिहदियोंने हिंदू महिलाओं पर हाथ उठाया ।
- पुलिसकर्मियोंने दोनों पक्षोंके १०-१० व्यक्तियोंको नियंत्रणमें लिया ।
बेलगांव (कर्नाटक) : यहांके अनगोल राजहंस गलीमें हिंदू युवक गणेशोत्सवके निमित्त फलक लगा रहे थे । इस समय धर्मांध जिहादीयोंने अडचन उत्पन्न कर उनके साथ मारपीट की । तत्पश्चात धर्मांध जिहादीयोंने गुटमें आकर हिंदुओंके घरमें घुसकर महिलाओंपर हाथ उठाया । (प.पू आसारामबापूके विरुद्ध कथित लैंगिक शोषणके आरोपको निमित्त कर २४ घंटे समाचार दर्शानेवाले (कु) प्रसिद्धिमाध्यम धर्मांध एवं वासनांध जिहादीयोंके ये समाचार क्यों नहीं दर्शाते ? क्या उन्हें धर्मांध जिहादीयोंद्वारा होनेवाले हिंदू महिलाओंके विनयभंग उचित प्रतीत होते हैं ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इसलिए हिंदुओंने भी उनका प्रतिकार किया परंतु पुलिसने दोनों पक्षोंके १०-१० व्यक्तियोंको नियंत्रणमें लिया । (हिंदुओंको अब स्थायी रूपसे यह निश्चित कर लेना चाहिए कि हिंदूओंके प्रत्येक त्यौहारके अवसरपर जिहादी आक्रमण करें एवं ठीक उत्सवकी कालावधिमें हिंदू कारागृहमें रहें, यह कितने दिन चलने देना है ! -संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. राजहंस गलीमें रहीम एवं करीम मुल्लाबांधव रहते हैं । इस वर्ष गणेशोत्सवमें हिंदुओंको फलक एवं विद्युत माला न लगाने देनेके लिए मुल्ला एवं उसके सहयोगी जिहादी बार-बार प्रयास कर रहे थे । (नरेंद्र मोदीने टोपी नहीं धारण की; इसलिए उन्हें धर्मांध सिद्ध करनेवाले तथाकथित निरपेक्षतावादी क्या इन जिहादीयोंको धर्मनिरपेक्षतावादी कहेंगे ? हिंदुओंद्बारा गणेशोत्सवमें विद्युत माला लगानेके कारण क्या जिहदियोंका धर्म भ्रष्ट होगा ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. यह प्रकरण पुलिसमें जानेपर पुलिसने धर्मांध जिहदियोंको शांति बनाए रखनेका परामर्श दिया था । (इसका अर्थ यह कि हिंदुओंके उत्सवमें मारपीट करना पूर्वनियोजित था । यदि पुलिसको इसकी जानकारी थी, तो पुलिसद्वारा इन धर्मांध जिहदियोंपर पूर्वमें ही प्रतिबंधात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की गई ? केवल परामर्श देनेसे धर्मांध जिहादीयोंने सुना होता, तो क्या आजतक ऐसे दंगे होते ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. ८ सितंबरको सवेरे दो हिंदू युवक फलक लगाने हेतु मुल्लाके घरके समीप गए । उस समय रहीम एवं करीमने उनका विरोध किया । ( इसका अर्थ यह कि रहीम एवं करीम हिंदुओंके साथ छेडखानी करने हेतु प्रतीक्षा ही कर रहे थे । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. हिंदू युवकोंने दोनोंके विरोधको न मानते हुए कहा, ‘फलक निश्चित रूपसे लगाएंगे’ वहां तत्काल ५५-६० जिहादी एकत्रित हुए तथा उन्होंने दोनोंके साथ मारपीट की । इन दोनों हिंदुओंमें एक हिंदूके घर घुसकर घरकी महिलाओंको भी मारा । ( जिहादीयोंका कुछ क्षणोंमें इतनी बडी संख्यामें एकत्रित आकर हिंदुओंके घरमें घुसकर उन्हें मारना यह मुगलाई नहीं तो और क्या है ? क्या हिंदू यह ध्यानमें लेंगे कि जहां जहां कांग्रेसका राज्य है, वहां वहां धर्मांध जिहादीयोंकी इसी प्रकार की गुंडागिरी चलती है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
५. तबतक वहां हिंदूभी भारी संख्यामें एकत्रित हुए एवं उन्होंने धर्मांध जिहादीयोंका तीव्र रूपसे प्रतिकार किया । इस समय रहीम, करीम एवं अन्य तीन लोग घायल हुए, जिन्हें रुग्णालयमें प्रविष्ट किया गया ।
६. तदुपरांत पुलिसकर्मिओं ने दोनों पक्षों के लोगोंको बंदी बनाकर स्थितिपर नियंत्रण पाया ।
७. जिहादीयोंकी उद्दंडताके कारण ठीक गणेशोत्सवमें तनावका वातावण उत्पन्न हुआ है ।
८.पुलिस महानिरीक्षक के.एस.आर.चरणरेड्डी एवं पुलिस अधीक्षक चंद्रगुप्तने इस स्थानका भ्रमण कर उसका निरीक्षण किया । सायंकालमें दोनों समाजके प्रतिष्ठित व्यक्तियोंकी एकत्रित बैठक आयोजित कर यह विवाद समाप्त करनेका प्रयास किया गया । ( यदि इस प्रकारसे मारपीटतक पहुंचनेवाली समस्याका समाधान विचार-विमर्शसे होता, तो क्या आजतक धुलिया, नंदुरबार तथा राबोडीसमान स्थानोंपर बार-बार दंगे होते ? भविष्यमें यदि पुनः धर्मांध जिहादीयोंद्वारा आक्रमण किया गया, तो क्या पुलिस उसका दायित्व लेगी ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात