भाद्रपद शुक्ल ५, कलियुग वर्ष ५११५
प्रसिद्ध गुरुवायुर मंदिर |
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रिजर्व बैंककी हिंदूद्वेषी मांग !
क्या रिजर्व बैंक किसी चर्च अथवा मस्जिदके पैसोंके संदर्भमें इस प्रकारकी मांग करनेका साहस दिखाएगी ? ‘रिजर्व बैंक’ भ्रष्ट राजनेताओंको ‘स्विस बैंक’ का काला पैसा घोषित करनेकी मांग क्यों नहीं करती ? हिंदुओ, रिजर्व बैंककी इस मांगका वैधानिक मार्गसे विरोध करें !
तिरुवनंतपुरम् – देवस्थान मंडलके एक अधिकारीने पत्रकारोंको ऐसी जानकारी दी कि केरलके प्रसिद्ध गुरुवायुर मंडलके व्यवस्थापकीय समितिको ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ की ओरसे एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें मंडलके पास संग्रहित सोनेकी विस्तृत जानकारी देनेकी मांग की गई है । (हिंदुओ, आपके मंदिरका सोना गिरवी रखनेके लिए हिंदूद्वेषी सरकारका यह षड्यंत्र विफल करें ! – संपादक़, दैनिक सनातन प्रभात )
१. राज्यमें स्थित अधिकांश मंदिर पांच देवस्थान मंडलोंके अधिकारक्षेत्रमें हैं, जिसमें त्रावणकोर देवस्थान मंडल सबमें बडा है । यहांका प्रसिद्ध सबरीमला मंदिर इस देवस्थान मंडलके अधिकारमें है ।
२. ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ के क्षेत्रीय संचालक सलीम गंगाधरन्ने देवस्थान मंडलको पत्र भेजनेके समाचारकी पुष्टि की; परंतु ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ के पास यह सोना क्रय करनेकी कोई योजना नहीं है । उन्होंने कहा कि वह सांख्यिकी विश्
लेषणका एक हिस्सा है । (क्या रिजर्व बैंक ऐसा विश्लेषण मस्जिद एवं चर्चके संदर्भमें करती है ? एवं क्या गंगाधरन् बताएंगे कि अभी यह विश्लेषण करनेकी आवश्यकता क्यों प्रतीत हुई ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. वर्ष २०११ में सर्वोच्च न्यायालयकी समितिने तिरुवनंतपुरम्के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिरके छः बंद कक्ष खोलनेके आदेश दिए थे, जिसमें पांच कक्ष खोले गए । एक कक्ष अबतक नहीं खोला गया । पांच कक्षोंमें प्राप्त सोनेका मूल्य १ लाख करोड रुपए है । ( सोमनाथ मंदिरको लूटनेवाले गजनीके मुहम्मद समान राजनेताओंके सत्तामें रहनेपर इसके अतिरिक्त और क्या होगा ? हिंदुओ, ऐसे राजनेताओंको सत्ताच्युत करने हेतु संगठित हों ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात