भाद्रपद शुक्ल ५, कलियुग वर्ष ५११५
सीरिया : एक तरफ असद सेना और विद्रोहियों के बीच सीरिया के मुख्य शहरों में जंग जारी है। वहीं, अलकायदा समर्थित विद्रोहियों द्वारा ग्रामीण इलाकों में धर्मपरिवर्तन कराने की दावे भी किए जा रहे हैं। सीरिया के एक गांव में डरे हुए ईसाई समूदाय के लोगों ने दावा किया है कि विद्रोहियों द्वारा उनके गांव पर कब्जा करने के बाद गैरमुस्लिमों को इस्लाम कबूल करने या मार डालने का आदेश दिए हैं।
असद सेना से गांव छीनने के बाद अलकायदा समर्थित एक विद्रोही संगठन ईसाई बहुल मालौला गांव में धर्म परिवर्तन करने का दबाव बना रहा है। इस रिपोर्ट के आने के बाद पश्चिमी देशों द्वारा कट्टरपंथी विद्रोहियों के समर्थन करने को लेकर सवाल खड़ा हो गया है। गांव के रिहायशी ने बताया कि दाढ़ी वाले विद्रोही अल्लाहू अकबर के नारे लगाते हुए ईसाई लोगों के घरों और चर्च पर हमला बोल दिया। वे लोगों को गोली मारने लगे। उसने बताया, मैंने गोली की आवाज सुनी और सड़क के बीच में तीन लोगों की लाशें पड़ी देखीं। अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को देखना चाहिए कि हम पर कैसी मुसीबत आ पड़ी है।
एक और दूसरे ग्रामीण ने कहा, विद्रोहियों ने ऐसे पांच गांवों पर कब्जा कर लिया है और इस्लाम कबूलने की धमकी दी है। अगर यह नहीं किया तो सिर कलम भी कर दिया जाएगा। उन्होंने चर्च को तोड़ा और लूट लिया। दमिश्क से 25 मील की दूरी पर पहाड़ियों पर बसा सुं दर गांव दुनिया के उन चंद प्राचीन जगहों में से एक हैं, जहां लोग अरैमिक भाषा बोलते हैं। यह भाषा जीसस और उनके अनुयायियों द्वारा बोली जाती थीं।
सीरियाई गृहयुद्ध के लिए यह गांव जंग के मैदान बने हुए हैं। राजधानी के निकट होने के कारण इसका राजनीतिक महत्व भी है। पहले इस पर असद का शासन था, लेकिन पिछले दिनों कट्टरपंथ इस्लामी संगठन के अल नूसरा फ्रंट ने इसे कब्जे में लेते हुए बढ़त बनाई है। गांव वालों ने बताया कि विद्रोहियों में कई अलग-अलग भाषा और लहजों में बात करने वाले लोग हैं। इनमें ज्यादातर टच्यूनीशियन, लीबियन, मोरोक्कन, चेचन लहजे हैं। एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें कमांडर कैमरे के सामने चिल्ला रहा है। वह कहा रहा है कि हमने मलौला गांव से असद के सभी कुत्तों को खदेड़ दिया है।
स्त्रोत : दैनिक भास्कर