भाद्रपद शुक्ल ३, कलियुग वर्ष ५११५
|
गुड़गांव – खाद्य सुरक्षा गारंटी बिल को लेकर सरकार भले ही ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन हकीकत यह है कि बीपीएल परिवार अपने भोजन को ज्यादा असुरक्षित मान रहे हैं। वजह, इस बिल के बाद उन्हें मिलने वाले गेहूं की मात्र तो कम हुई है, ऐसे में उन्हें बाजार से जो गेहूं खरीदना पड़ रहा है, उसके लिए उनकी जेब पर दो से तीन गुना अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। हालांकि सरकारी अमला तर्क दे रहा है कि जिन बीपीएल परिवारों में सदस्यों की संख्या ज्यादा है, उन्हें इसका फायदा मिलेगा। मगर हकीकत यही है कि अकेले गुड़गांव में पांच से कम सदस्यों वाले बीपीएल परिवारों की तादाद सत्तर प्रतिशत के आसपास है।
उदाहरण के तौर पर गुड़गांव के जैकबपुरा में रहने वाले रामलाल के परिवार को लें तो चार सदस्यों वाले इस बीपीएल परिवार को पहले ३५ किलो गेहूं मिलता था और भुगतान करना होता था १७५ रुपये, अब नया बिल लागू होने के बाद चार सदस्यों को गेहूं मिल रहे हैं सिर्फ बीस किलो और भुगतान भी करना पड़ रहा है चालीस रुपये। भले ही गेहूं की कीमत पांच रुपये से घटकर दो रुपये प्रति किलो हो गई है लेकिन फिर भी रामलाल को यह सौदा तो घाटे का ही नजर आ रहा है। वजह साफ है, सीधे-सीधे पन्द्रह किलो गेहूं कम हो गए, पेट भरने के लिए भोजन में तो कटौती हो नहीं सकती पेट भरना है तो यह गेहूं बाजार से खरीदने पड़ेंगे जो कम से कम बीस रुपये किलो के हिसाब से तीन सौ रुपये के आएंगे, यानि अब रामलाल को तो ३५ किलो गेहूं के लिए १७५ रुपये के स्थान पर ३४० रुपये देने पड़ेंगे यानि उसकी जेब पर सीधे-सीधे १६५ रुपये का अतिरिक्त बोझ इस बिल के लागू होने से पड़ रहा है। वैसे यह चिंता अकेले रामलाल की नहीं अपितु उसके जैसे श्याम लाल की भी है, जिनके परिवार में वह खुद और उनकी पत्नी है, बीपीएल परिवार की श्रेणी में हैं, पहले ३५ किलो गेहूं मिल जाते थे, माह में घर पर दो-चार रिश्तेदारों का आना-जाना भी लगा रहता है। दस किलो जाहिर है अब २५ किलो गेहूं बीस रुपये किलो के भाव से बाजार से खरीदने भी पड़ेंगे तो जिसके लिए पांच सौ रुपये का भुगतान बाजार में करना होगा और दस किलो गेहूं के लिए बीस रुपये सरकारी कीमत तो देनी पड़ेगी यानि पहले ३५ किलो गेहूं जो श्याम लाल को १७५ रुपये में मिल जा रहे थे अब वह उन्हें मिलेंगे ५२० रुपये में यानि इसके लिए उन्हें ३४५ रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे।
स्त्रोत : जागरण