भाद्रपद शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५
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महिलाओंपर होनेवाले अत्याचार केवल हिंदू महिलाओंपर ही नहीं होते, अपितु भारतके सभी धर्मोंकी महिलाओंपर होते हैं; तो फिर अन्य धर्मियोंके श्रद्धास्रोतवाले छायाचित्र क्यों नहीं रेखांकित किए गए ?
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क्या मदर मेरी अथवा अन्य धर्मियोंके श्रद्धास्रोतवाले महिलाओंके छायाचित्र प्रयुक्त करनेका साहस हो सकता है ?
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हिंदू अपने श्रद्धास्रोतके विषयमें असंवेदनशील हैं । इसलिए कोई भी उठता है, एवं उनके श्रद्धास्रोतोंका अनादर करता है !
मुंबई – विज्ञापनोंकी निर्मिति करनेवाले टैपरूट-इंडिया प्रतिष्ठानद्वारा पारिवारिक हिंसाका विरोध करते समय श्री लक्ष्मी, दुर्गा एवं सरस्वती देवीके छायाचित्रोंका अनादर किया है । इन देवियोंको पारिवारिक हिंसाकी बलि चढते हुए दर्शाया गया है । प्रतिष्ठानका कहना है कि भारतमें महिलाओंको देवीका रूप माना जाता है; परंतु उनपर अत्याचारकी घटनाएं सबसे अधिक होती हैं । ( भारतमें हिंदू महिलाओंको देवीका रूप माना जाता है । उसके लिए प्रत्यक्ष देवीकीr तुलना करनेकी क्या आवश्यकता है ? महिलाओंपर होनेवाले अत्याचारोंके लिए शासक, पुलिस एवं सामाजिक स्थिति उत्तरदायी हैं । इसके लिए उन्हें उत्तरदायी सिद्ध कर फटकारनेकी आवश्यकता होते हुए देवियोंके चित्रका प्रयोग क्यों किया जा रहा है ? इन देवताओंका मानवीकरण कर उनका अनादर ही किया गया है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. इस प्रतिष्ठानद्वारा श्री लक्ष्मी, दुर्गा एवं सरस्वती देवियोंके छायाचित्र प्रकाशित किए गए हैं, जिसमें दिखाया गया है कि उनके साथ मारपीट हुई है ।
२. इस प्रतिष्ठानने महिलाओंके सम्मानका सूत्र लेकर ये छायाचित्र प्रयुक्त किए हैं । इन छायाचित्रोंद्वारा भारतमें होनेवाला महिलाओंका शोषण एवं अत्याचार दर्शाया गया है तथा ऐसा संदेश देनेका प्रयास किया गया है कि भारतमें महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं ।
३. इन छायाचित्रोंके साथ लिखित स्वरूपमें, 'ऐसा दिन देखनेका अवसर न आने हेतु प्रार्थना करें । आज भारतमें ६८ प्रतिशतसे अधिक महिलाएं पारिवारिक हिंसाकी बलि सिद्ध हो रही हैं । यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही, तो देशमें एक भी महिला सुरक्षित नहीं रहेगी । हम जिनकी पूजा करते हैं, वह भी सुरक्षित नहीं रहेगी,’ इस प्रकारका संदेश दिया गया है ।
४. ‘सेव द चिल्ड्रेन इंडिया’ संस्थाने ये छायाचित्र प्रकाशित किए हैं । यह संस्था भारतमें महिला एवं छोटे बच्चोंपर होनेवाले अत्याचारोंपर ध्यान केंद्रित करनेका प्रयास कर रही है । संस्थाका कहना है कि अल्पायु लडकियोंका लैंगिक शोषण करनेकी घटनाएं द्रुतगतिसे बढ रही हैं ।
धर्माभिमानी हिंदू आगे दिए क्रमांक एवं इमेलपर संपर्क कर विरोध प्रविष्ट कर रहे हैं ।टैपरूट-इंडिया कम्युनिकेशन प्रा.लि. माहिम, मुंबई.
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स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात