भाद्रपद शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५
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नरेंद्र मोदीने मुसलमानी टोपी नहीं पहनी; इसलिए वे यदि धर्मांध सिद्ध होते हैं, तो हिंदू बहुसंख्यक देशमें हिंदुओंके त्यौहारके लिए छुट्टी न देनेवाले ईसाई क्या धर्मनिरपेक्ष सिद्ध होते हैं ?
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क्या कभी ऐसा हुआ है कि इस्लामी एवं ईसाई राष्ट्रोंमें ईद एवं नातालको छुट्टी नहीं है ?
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ईसाई अध्यक्ष कांग्रेसके हिंदूबहुल देशमें इससे अधिक और क्या होगा ?
मुंबई – मुंबईमें ईसाईयोंके कान्वेंट विद्यालयोंने घोषित किया है कि हिंदू विद्यार्थियोंकी संख्या सर्वाधिक होते हुए भी नातालकी छुट्टी अल्प कर गणपतिकी छुट्टी नहीं दे सकते । इन विद्यालयोंने ९ से १२ सितंबरकी कालावधिमें गणेशोत्सवकी छुट्टी देनेके संदर्भमें राज्यशासनके आदेशको ठुकरा दिया है । (हिंदुओ, आप निश्चित करें कि आपके धर्म अर्थात संस्कृतिपर आघात करनेवाले विद्यालयोंमें आपके अभिरक्ष्यको/बच्चोंको प्रवेश देना चाहिए अथवा नहीं ! जबतक इस देशमें हिंदूद्वेषी राजनेता राज्य करेंगे, तबतक हिंदू धर्म एवं संस्कृति नष्ट करने हेतु सिद्ध अन्य धर्मियोंपर धाक नहीं जमेगी, यह सत्य जानें एवं ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करनेकी शपथ लें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. एक ओर छुट्टीके लिए मनाही करते समय विद्यालयोंके पादरियोंने ‘हमें हिंदुओंके उत्सवके प्रति सम्मान है’, ऐसा भी कहा है; जबकि दूसरी ओर सरकारी आदेशको कचरा कुंडीमें डाल दिया अर्थात अनदेखा किया (धूर्ततासे भरे ईसाई ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. इस वर्ष शिक्षा विभागद्वारा विद्यालयोंको नातालकी छुट्टी अल्प कर गणपतिकी छुट्टी देनेका निर्णय सूचित किया गया था ।
३. १० सितंबरको सभी अभिभावकोंको छुट्टीके विषयमें जानकारी देने हेतु विद्यालय खुले रखे गए थे । (क्या मुसलमानोंके त्यौहारके संदर्भमें शिक्षा विभागद्वारा इस प्रकारकी चूक होती ? हिंदू सहिष्णु हैं । इसीलिए शासक एवं प्रशासनको उनके संदर्भमें इस प्रकारकी चूकें करनेका साहस होता है – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. शिक्षा विभागके अधिकारियोंने सूचित किया कि विद्यालय बृहस्पतिवारतक बंद रहेंगे ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात