भाद्रपद शुक्ल ८, कलियुग वर्ष ५११५
ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाले हिंदुओ, ईसाई धर्मका वास्तविक रूप पहचानें तथा ‘न घरका न घाटका' ऐसी स्थिति आनेसे पूर्व अपने आपको बचाएं !
हजारीबाग (झारखंड) – कुछ वर्ष पूर्व ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेवाली कांति केरकेट्टा नामक मूल हिंदू महिलाका पार्थिव दफन करनेके लिए यहांके चर्चके अधिकारियोंद्वारा अस्वीकृति दर्शाई गई । अतः कांति केरकेट्टाकी मृतदेह उसके हजारीबागके केसुरा गांवके निवासस्थानपर ३६ घंटोंसे अधिक समयतक वैसी ही पडी रही । कांतिद्वारा ईसाई धर्मपरिवर्तन करनेके कारण ग्रामीणोंने हिंदू श्मशानभूमिमें उसका अंतिम संस्कार करनेसे अस्वीकृति दर्शाई । कांतिके पतिने चारों चर्चके अधिकारियोंसे मिलकर मृत पत्नीको दफन करनेकी विनती की; किंतु चारों चर्चने अस्वीकृति ही दर्शाई । कांतिके ईसाई पति शिवप्रकाश रामने पुलिससे संपर्क किया । पुलिसने चर्चसे संपर्क कर कांतिकी मृतदेह दफन करनेकी विनती की; कांतिने धर्मपरिवर्तन किया है, यह कारण बताकर चर्चने दफनविधिके लिए अस्वीकृति दर्शाई । (स्वयंको मानवतावादी कहनेवाले ईसाईयोंके चर्चकी अमानवता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
तदुपरांत पुलिसने आगे बढकर, ईसाई धर्मके अनुसार, शासकीय भूखंडमें कांतिकी मृतदेहको दफन किया ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात