भाद्रपद शुक्ल ९, कलियुग वर्ष ५११५
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रोम – दुनियाभर में पैदा किए जाने वाला अन्न का एक-तिहाई हिस्सा हम बर्बाद कर देते हैं। यह हाल तब है, जब ८७ करोड़ लोग प्रतिदिन भूखे रहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बुधवार को कहा कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल ७५० अरब डालर से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। अन्न की इस बर्बादी के लिए चीन को सबसे बड़ा जिम्मेदार बताया गया है।
रोम स्थित खाद्य व कृषि संगठन के अनुसार हर वर्ष दुनिया में १.३ अरब टन अन्न की बर्बादी होती है। खाद्य संस्था के महानिदेशक जो ग्रेजियानो डी. सिल्वा ने बुधवार को बताया कि हर वर्ष धरती पर पैदा किया गया एक-तिहाई अन्न बर्बाद हो रहा है। नुकसान का यह आंकड़ा स्विटजरलैंड की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बराबर बैठता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के प्रमुख एशिम स्टीनर ने इसे चिंताजनक बताते हुए कहा कि अभी हम अन्न की बर्बादी के अप्रत्यक्ष परिणामों से वाकिफ नहीं हैं। इसका बड़ा खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ी को भुगतना पड़ेगा। अगले ३७ वर्षो में हमारी जनसंख्या दो अरब और बढ़ने वाली है। तब हम सबको अन्न कैसे उपलब्ध करा पाएंगे?
स्टीनर ने कहा, अन्न की बर्बादी रोककर हम भुखमरी पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं। उन्होंने इसके लिए लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर पहल करने की अपील की।
संयुक्त राष्ट्र ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अन्न की इस बर्बादी से भारी मात्रा में कार्बन गैसों का उत्सर्जन होता है। इससे उत्सर्जित ग्रीन हाउस गैसों का आंकड़ा चीन और अमेरिका को छोड़ किसी अन्य देश द्वारा उत्सर्जित गैसों से ज्यादा है।
स्त्रोत : जागरण