भाद्रपद शुक्ल ९, कलियुग वर्ष ५११५
क्या हिंदुओंको सदैव सर्वधर्मसमभाव एवं धर्मनिरपेक्षता की शिक्षा देनेवाले तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी अब सो गए हैं ?
मुंबई – नातालकी छुट्टी २ दिन न्यून कर उसे गणेशोत्सवके समय संलग्न करनेके महाराष्ट्र सरकारके निर्णयपर मुंबईके ईसाईयोंने आपत्ति उठाई है ।
१. मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहाणको भेजे गए एक निवेदनमें महाराष्ट्र ईसाई युथ फोरम, कैथोलिक फॉर प्रिजर्वेशन ऑफ फेथ एवं एसोसिएशन ऑफ कन्सर्नड् कैथोलिक इन तीन प्रमुख कैथोलिक संगठनोंने कहा है कि शिक्षा विभागके निर्णयसे ईसाईयोंकी भावनाओंको ठेस पहुंची है । (महाराष्ट्रमें लगभग ३प्रतिशत जनसंख्या वाले ईसाईयोंके नाताल त्यौहारको १० दिनोंकी छुट्टी दी जाती है, जबकि बहुसंखक हिंदुओंके गणेशोत्सवसमान उत्सवके लिए केवल एक दिनकी छुट्टी दी जाती है । यदि सरकारने यह अंतर दूर करनेका प्रयास किया, तो ईसाई धर्मनिरपेक्षताका विचार कर उसको स्वीकार क्यों नहीं करते ? क्या ईसाईयोंकी धर्मांधता तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियोंको दिखाई नहीं देती ? यदि हिंदुओंने ईसाईयोंके विरुद्ध इस प्रकारकी मांग की होती, तो एक साथ सभी ढोंगी धर्मनिरपेक्षतावादियोंने हिंदुओंको तालिबानी सिद्ध किया होता ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. इस वर्ष महाराष्ट्र सरकारद्वारा मुंबईमें विद्यालयोंके लिए गणेशोत्सवके अवसरपर दो अतिरिक्त छुट्टियां घोषित की गई । कैथोलिक संगठनोंने दावा किया है कि नाताल त्यौहारकी २३ दिसंबर एवं ३१ दिसंबर ये दो छुट्टियां निरस्त कर गणेशोत्सवमें संलग्न की गई हैं ।
३. एसोसिएशन ऑफ कन्सर्नड् कैथोलिकके प्रधान सचिव जुदीथ मांतेरोने कहा कि शिक्षा विभागने हमासे विश्वासघात किया है । उसको समानताका उदाहरण डालना चाहिए । यह सीधे पक्षपात करना ही है, जिससे कोमल बच्चोंपर चूकके संस्कार होंगे । (सुविधानुसार समानताके सूत्रका स्मरण करनेवाले ईसाई ! – दैनिक सनातन प्रभात )
४. मांतेरोका कहना है कि २३ दिसंबरकी नाताल एवं ३१ दिसंबरकी ईसाई नववर्षकी छुट्टी निरस्त करनेसे ईसाईयोंके लिए असुविधा होगी । (ईसाई कालगणनाके अनुसार नववर्ष १ जनवरीके दिन आता है तथा ३१ दिसंबरकी मध्यरात्रिमें संपन्न किया जाता है । यदि ऐसा है, तो इस दिन छुट्टीकी क्या आवश्यकता है ? – संपादक)
५. मांतेरोने कहा कि इस विषयमें मुख्यमंत्रीसे भेंट कर यह निर्णय वापस लेनेकी मांग की जाएगी ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात