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‘समस्या सीमा पर नहीं बल्कि दिल्ली में’ : नरेंद्र मोदी

भाद्रपद शुक्लपक्ष १२, कलियुग वर्ष ५११५

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने आगामी चुनावों के लिए ताल ठोक दी है।

उन्होंने रविवार को केंद्र सरकार पर वोट बैंक की राजनीति के लिए सेना को भी संप्रदाय के आधार पर बांटने का आरोप लगाते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान के साथ समस्या सीमा पर तैनात सेना के कारण नहीं बल्कि दिल्ली में बैठी कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की वजह से है। इसे बदलना ही सभी समस्याओं का समाधान है।

देश की सुरक्षा और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली में सक्षम सरकार की जरूरत है। रैली में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौजूदगी से मोदी गदगद दिखे और उन्होंने इस बार सोनिया व राहुल समेत किसी कांग्रेसी नेता पर निजी हमला नहीं बोला।

पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह समेत डेढ़ दर्जन लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के पूर्व फौजियों के साथ मंच पर बैठे मोदी ने कहा, ‘चीन व पाकिस्तान के साथ सीमा पर परेशानी सेना के लिए समस्या नहीं है, असली समस्या तो दिल्ली में है।’

पीएम पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अपनी पहली रैली में मोदी ने केंद्र में मजबूत नेतृत्व की पुरजोर वकालत की।

मोदी ने सबसे पहले पूर्व फौजियों की दुखती नब्ज पर हाथ रखते हुए केंद्र सरकार से ‘एक रैंक-एक पेंशन’ पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग कर दी।

मोदी ने कहा कि ताकतवर सेना तभी जीतती है, जब सक्षम नेतृत्व हो। उन्हें रैली में भावी प्रधानमंत्री कह कर पुकारा जाता रहा, सिर्फ जनरल सिंह ने ही उन्हें गुजरात का सीएम कहकर पुकारा।

रैली में पहुंची अपार भीड़ भी सिर्फ मोदी को देखने व सुनने के लिए बेताब दिखी। यहां तक कि सभा की शुरुआत करने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी और जनरल सिंह को भी अपनी बात जल्दी समाप्त करनी पड़ी।

मोदी ने चीन की घुसपैठ व पाकिस्तान की ओर से भारतीय सैनिकों के सिर काटने की घटनाओं का जिक्र कर यूपीए सरकार व बिहार की जदयू सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया।

मोदी ने कहा कि दिल्ली में बैठे लोगों को यह पता नहीं रहता कि सेना में क्या हो रहा है, लेकिन उन्हें मालूम रहता है कि सेना के लिए विदेशों से हथियार खरीदने का टेंडर कब निकल रहा है।

मोदी ने कहा कि हथियारों के लिए आयात पर निर्भर रहने की बजाए ऐसी परिस्थितियां बनानी होंगी कि हम हथियारों का निर्यात करें। सेना की उपेक्षा के चलते अब युवा लोग सेना में जाने से बच रहे हैं।

उन्होंने बिहार के मंत्री के नाम का उल्लेख किए बगैर कहा कि बेशर्मी की भी हद होती है, एक मंत्री ने यह कहता है कि लोग सेना में मरने के लिए ही जाते हैं।

सेक्युलरिज्म का राग अलापने वाले नेताओं को फटकारते हुए मोदी ने कहा कि सच्ची धर्मनिरपेक्षता सीखनी है, तो सेना से सीखें।

नये अंदाज में दिखे मोदी ने देश की सुरक्षा पर सबसे ज्यादा जोर दिया, लेकिन इस बार वे पाकिस्तान के खिलाफ पहले से कुछ नरम दिखे।

मोदी ने पाकिस्तान से पिछले ६० साल से भारत के साथ जारी दुश्मनी और आतंकवाद को समर्थन देने की नीति को छोड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि हिंसक रास्ते से लौट आओ।

उन्होंने पाक शासकों से कहा कि मात्र १० साल के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देना छोड़कर देखो, पाकिस्तान बहुत तरक्की करेगा।

उन्होंने कहा कि आज भारत, पाक और बांग्लादेश को गरीबी व अशिक्षा से लड़ने की जरूरत है। हालांकि उन्होंने आतंकवाद और माओवाद को सबसे बड़ी चुनौती करार दिया।

स्त्रोत : अमर उजाला

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