हिंदु देवी-देवताओंको नदीमें डूबोकर ईसा मसीहकी भक्तिके लिए प्रवृत्त करनेवाले ईसाई मिशनरियोंपर रोक लगानेकी मांग
अलिबाग, २६ मई – अलिबागके सुधागड क्षेत्रमें स्थानीय बस्तीयोंमें ईसाई मिशनरी बैठके लेते हैं । उसमें ‘गणपति तथा अन्य देवी-देवताओंको नदीमें डूबोकर ईसा मसीहकी भक्ति करें’ ऐसा बलपूर्वक कहते हैं । इससे अदिवासी तथा कातकरी समाजमें भेद र्माण गया है । हम सभी अदिवासी तथा कातकरी समाजके हैं । शतकोंसे रायगढके पहाडी क्षेत्रमें हम रहते आए हैं, किंतु हमें हिंदु धर्म, रूढी-परंपराओंका अभिमान है । इसलिए धर्मांतरणका प्रयास करनेवाले यहांके ईसाई मिशनरियोंपर रोक लगाएं, इस मांगके लिए कल यहांके २५० से भी अधिक नागरिकोंने जनपद अधिकारीके कार्यालयपर रोष यात्रा निकाली । (हिंदुओ, किसी भी तथाकथित बलवान हिंदुत्ववादी संगठनोंका समर्थन प्राप्त किए बिना, इस धर्मांतरणके विरोधमें संगठित होकर वैधानिक मार्गसे उन्हें विरोध दर्शानेवाले इन स्थानीय नागरिकोंसे बोध लें ! – संपादक) स्थानीय नागरिकोंकी यह रोष यात्रा कोई घोषणा दिए बिना एवं यातायातमें किसी भी प्रकारकी बाधा न हों, इसकी ओर ध्यान देते हुए अनुशासनपूर्वक चल रही थी । (दुर्गम क्षेत्रमें रहनेवाले आदिवासी पिछडे हुए हैं, ऐसा कहनेवाले तथाकथित प्रगतोंके लिए यह चपत ही है ! – संपादक)
ईसाई मिशनरियोंद्वारा अंधत्वको दूर हटानेका असत्य आमिष दिखानेका प्रकार
इस रोष यात्रामें सहभागी सिद्धेश्वर वाडीके श्री. गोविंद जाधवको दोनों आंखोंसे पांच वर्षोंसे दिख नहीं रहा है । उन्हें ईसाई मिशनरियोंद्वारा ऐसा आश्वासन दिया गया था कि, ‘तुम बैठकमें आ जाओ, तुम्हारा अंधत्व चला जाएगा ।’ तद्नुसार श्री. जाधव प्रति रविवार बैठकमें जाते थे एवं १० रूपये भरते थे । श्री. जाधवने इस समय ऐसा अनुभव बताया कि इस प्रकार लगातार तीन महीने जानेके उपरांत भी उनका अंधत्व नहीं गया । (ईसाई मिशनरी हिंदुओंको किस प्रकारसे धोखा देकर उनका धर्मांतरण करते हैं, इसका इससे अन्य प्रमाण क्या हो सकता है ? – संपादक)
स्थानीय नागरिकोंद्वारा बताए गएनुसार ईसाई मिशनरी ऐसा करते हैं धर्मांतरण !
१. ईसाई मिशनरी स्थानीय नागरिकोंकी बैठके लेकर उनमें महिलाओंद्वारा कुमकुम लगाए जाने तथा मंगलसूत्र धारण करनेकी आलोचना कर ये रूढीयां बंद करनेके लिए बताते हैं ।
२. हिंदु देवी-देवताओंकी पूजा न कर ईसा मसीहकी करनेको बताते हैं ।
३. चंद्रपूरसे आए ईसाई प्रचारक थॉमसद्वारा हमारी वेलकरबाडीका नाम परिवर्तित कर ‘विकासबाडी चर्च’ ऐसा किया गया है ।
४. ईसाई मिशनरी पहले पाठशालामें जानेवाले हमारे बच्चोंको चाकलेट एवं मिठाई देते हैं । तदुपरांत माता-पिताके साथ बैठकमें आमंत्रित करते हैं । वहांपर धर्मातरण करनेको बताते हैं ।
५. मिशनरी स्थानीय निर्धन तथा विवश नागरिकोंको गृहोपयोगी वस्तुएं देते है, जिसके कारण वे उनके प्रचारके बलि होते है । इससे देवी-देवताओंको लेकर हममें कलह आरंभ हुए हैं । (देशके ग्रामीण क्षेत्रमें ईसाई मिशनरी किस प्रकारसे नियोजनपूर्वक धर्मांतरण कर रहे हैं, यह बात इससे स्पष्ट होती है । अतः देशभरमें धर्मांतरण विरोधी कानून होना क्यों आवश्यक है, यह बात ध्यानमें आती है ! – संपादक)
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात