भाद्रपद शुक्ल १४, कलियुग वर्ष ५११५
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द ऑल इंडिया ईसाई काऊन्सिलका आरोप !
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हिंदू सहिष्णु होनेके कारण वे कभी भी अन्य धर्मियोंपर आक्रमण नहीं करते । इसके विरुद्ध ईसाई अशिक्षित तथा निर्धन हिंदुओंको प्रलोभन दिखाकर उनका धर्मपरिवर्तन करते हैं तथा ऐसे हिंदुओंको पुनः स्वधर्ममें लानेके लिए संत एवं धर्माभिमानी हिंदुओंपर धर्मांध ईसाई ही आक्रमण करते हैं !
नई देहली : द ऑल इंडिया ईसाई काऊन्सिलके नेताओंने यह आरोप लगाया कि ईसाई धर्म अपनानेवाले बिलिवर्सने ईसाई धर्मका प्रसार रोकनेसे अस्वीकार किया, इसलिए हिंदुओंने उनपर आक्रमण किया ।
१. कर्नाटकके चिकमंगलुरूमें दोडाम्मा नामक विधवा महिला तथा उसकी २२ वर्षकी लडकी हिंदुओंके घरमें जाकर ईसाई धर्मका प्रसार कर रही थीं । कुछ धर्माभिमानी हिंदुओंने १८ अगस्तको उनसे मिलकर ईसाई धर्मका प्रसार करनेसे रोकनेके लिए, साथ ही उन्हें मंदिरमें ले जाकर पुनः हिंदू धर्म स्वीकार करनेके लिए बताया । किंतु उन्होंने अस्वीकार किया । अतः हिंदुओंने उनके घरपर आक्रमण किया तथा मारपीट की । ऐसा आरोप द ऑल इंडिया ईसाई काऊन्सिलके नेताओंद्वारा किया गया ।
२. द ऑल इंडिया ईसाई काऊन्सिलके नेताओंद्वारा यह आरोप भी लगाया गया कि छत्तीसगडके कोंडागांव जनपदके काकडी बेडा गांवमें तीन धर्माभिमानी हिंदुओंने ईसाई धर्मपरिवर्तन किए लक्ष्मी सोवी नामक एक विधवाको उसके दो बच्चोंके साथ पुन: हिंदू धर्मको स्वीकार करनेके लिए बताया । उनकी अस्वीकृतिके कारण उनके साथ मारपीट की गई ।
३. द ऑल इंडिया ईसाई काऊन्सिलके नेताओंद्वारा तीसरा आरोप लगया गया कि ३ सितंबरको विजापुर जनपदके अलमट्टी नगरके धर्मांतरित सोमशेखर, उनकी पत्नी तथा सात बच्चोंको पुन: हिंदू धर्मको स्वीकार करनेके लिए बताया गया । किंतु उनके अस्वीकार करनेके कारण धर्माभिमानी हिंदुओंके एक गुटने उनके साथ मारपीट की । उनपर घर छोडकर जानेके लिए दबाव डाला गया । बेलगांव जनपदके थिमदोली नगरके दो धर्मांतरित हिंदू परिवार पुनः हिंदू धर्मको स्वीकार करें, इसलिए हिंदू उनपर दबाव डाल रहे हैं ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात