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हिंदू छात्रोंके नाम यदि ‘कॉन्वेंट’ पाठशालाओंसे हटाए गए, तो पाठशालाओंको ताला लगाना पडेगा !

भाद्रपद शुक्ल १४, कलियुग वर्ष ५११५

धर्मशिक्षाके अभावमें पाश्चात्त्य संस्कृतिका अंधानुकरण करनेवाले हिंदू अभिभावक क्या यह वास्तविकता स्वीकारेंगे ?

मुंबई – कैथोलिक धर्म अल्पसंख्यक होनेके कारण उन्हें पाठशाला चलाने हेतु ५० प्रतिशत छात्र उस धर्मके होना आवश्यक है । वास्तवमें कैथोलिक छात्रोंकी संख्या उंगलियोंपर गिनने जितनी ही है । कैथोलिक धर्मकी इस कॉन्वेंट पाठशालामें हिंदू छात्र ५७ प्रतिशत हैं, तथा मुसलमान छात्र ४० प्रतिशत हैं । यदि ये अन्य धर्मीय छात्र पाठशालामें प्रवेश न लें, तो इन पाठशालाओंको ताला लग सकता है । (हिंदू छात्रोंके बलपर ही यहांके कॉन्वेंट पाठशालाएं चल रही हैं, हिंदुओंको इसकी समझ नहीं है, अत: पादरी हिंदुओंका अनुचित लाभ उठा रहे हैं तथा बहुसंख्य हिंदू लडकोंपर ईसाई संस्कार कर रहे हैं । हिंदुओ, आपके बलपर कॉन्वेंट पाठशालाएं चल रही हैं, यह सत्य जानें तथा उन पाठशालाओंको छात्रोंपर हिंदू संस्कार करनेके लिए बाध्य करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
दुर्भाग्यवश पादरियोंके कैथोलिक धर्मकी कॉन्वेंट पाठशालाओंने हिंदू धर्मीय अभिभावकोंको पागल बना दिया है तथा उन पाठशालाओंमें यदि अपना बच्चा नहीं गया तो वह अंग्रेजी बोल ही न सकेगा, ऐसा उन्हें लगता है । अत: जन्महिंदू अभिभावक अपने बच्चोंको कॉन्वेंट पाठशालाओंमें प्रवेश दिलाते हैं, ये कॉन्वेंट पाठशालाएं सारे हिंदू छात्रोंपर ईसाई धर्मके इतने दृढ संस्कार करती हैं कि इन पाठशालाओंसे बाहर आनेवाले छात्र मंदिरमें जानेपर भी ईसाईयों जैसे छाती एवं मस्तकपर हाथ रखकर नमस्कार करते हैं । (केवल पाश्चात्य संस्कृतिके दुष्परिणामोंके कारण एवं पैसोंके पीछे पडे मध्यमवर्गीय तथा धनवान वर्गके हिंदू अभिभावक अपने बच्चोंको कॉन्वेंट पाठशालाओंमें भरती कराते हैं । अत: हिंदू छात्रोंके बहुसंख्य होनेपर भी उन्हें गणेश चतुर्थीकी छुट्टी न मिलकर नातालकी छुट्टी मिलती है । लडकियोंको चूडियां तथा कानमें बाली पहनना, मेंहंदी लगाना आदिपर प्रतिबंध होता है । जन्महिंदू अभभावकोंको इन पाठशालाओंसे होनेवाले अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक दुष्परिणाम ध्यानमें नहीं आ रहे । हिंदू अभिभावको, ईसाई पादरियोंकी कॉन्वेंट पाठशालामें पढनेसे आपका बच्चा सर्वश्रेष्ठ हिंदू धर्मके संस्कार पानेसे वंचित हो रहा है, यह सत्य जानें तथा क्या उसे कॉन्वेंट पाठशाला भेजना है  यह निश्चित करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
(दैनिक सामना, १५.९.२०१३)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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