भाद्रपद शुक्ल १४, कलियुग वर्ष ५११५
आग्रा : पुडुचेरीके ‘अरबिंदो फाऊंडेशन'के संचालक संपदानंद मिश्राद्वारा यह सूचना प्राप्त हुई है कि, अमरिकाके ‘नासा' नामक अंतराल संस्थाद्वारा अंतराल अभियानके समय `संस्कृत’, इस प्राचीन भारतीय भाषाका उपयोग किया जाएगा । ‘नासा'में संगणकीय भाषाके रूपमें संस्कृतका उपयोग किया जाएगा । अनेक वर्षोंसे अमेरिकामें संस्कृतका अभ्यास किया जा रहा है । अमेरिकाने छोटे बच्चोंको संस्कृत भाषा सीखनेका आवाहन किया है ।
१. ‘नासा' संकेतस्थलने मिशन संस्कृत आरंभ किया है । ‘नासा’ने बताया कि, संगणकके लिए संस्कृत ही उत्तम भाषा है । ‘नासा'ने पिछले २० वर्षोंसे इस योजनापर(प्रकल्पपर) अधिक समय एवं धन व्यय किया है ।
२. ‘नासा’के शास्त्रज्ञोंने यह ऐसा मत व्यक्त किया है कि, ‘गणित एवं विज्ञानके लिए संस्कृत उपयुक्त भाषा है । साथ ही वाचा(स्पीच) उपचारपद्धतिके लिए भी संस्कृत ही अत्यंत उपयुक्त भाषा है । इस भाषाके कारण एकाग्रतामें वृद्धी होती है । संस्कृत भाषाके मूलाक्षर शास्त्रीय दृष्टिसे परिपूर्ण हैं । इस भाषाके स्पष्टष्ट उच्चारोंसे शब्दसूसुरमें सुधार होता है । यह भाषा कल्पकता प्रतिभाको/मेधाको गति देनेवाली है । साथ ही स्मरणशक्तिकी वृद्धिगत करनेवाली है ।' (संस्कृत भाषा की ओर अनदेखा करनेवाले कांग्रेस के राजनेता क्या इससे कुछ शिक्षा लेंगे ? या संस्कृतको मृत भाषा संबोधित करनेवाले नेहरू का साथ देने में स्वयं को धन्य मानेंगे ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. कॉल सेंटरपर कर्मचारी संस्कृत भाषा पढकर अपने आवाजमें सुधार करनेका प्रयास कर रहे हैं । समाचार पढनेवाले भी संस्कृत भाषाका उपयोग करते हैं ।
४. श्री. मिश्राने बताया कि, ‘चित्रपट एवं रंगमंचके कलाकार भी आवाजमें सुस्पष्टता लाने हेतु संस्कृत भाषाका उपयोग करते हैं ।'
५. 'नासा'के शास्त्रस्त्रज्ञ रिक ब्रिग्सने १९८५ में बताया था कि, संस्कृत एक ऐसी भाषा है कि, जिसमें संगणकके माध्यमसे संदेश भेजनेके लिए अल्प शब्दोंका उपयोग किया जाता है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात