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हिंदूद्रोहियोंने हनुमान मंदिर में मांस फेंका, हंगामा !

भाद्रपद पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११५

आज हिंदू संगठित नहीं है, इसी लिए हिंदूद्रोही हिंदू मंदिरोंपर इस तरह से आक्रमण करने की चेष्टा कर सकते है । यह स्थिती बदलने के लिए अब सभी हिंदूआें को संगठित होकर ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना शीघ्रातीशीघ्र करनी चाहिए । – संपादक


मेरठ : एक बार फिर शहर की फिजा बिगाड़ने की साजिश रची गई। बुधवार तड़के कोतवाली के खंदक बाजार में धार्मिकस्थल पर मांस फेंक दिया गया। जानकारी होते ही भाजपाई व स्थानीय लोग मंदिर पहुंच गए और हंगामा करते हुए इंस्पेक्टर को खरी-खोटी सुनाई। जानकारी पर पुलिस मौके पर पहुंची और मांस को हटाया। कड़ी कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों को शांत किया।

कोतवाली थाना क्षेत्र के खंदक बाजार में हनुमान मंदिर है। मंगलवार रात आठ बजे मंदिर के पुजारी राकेश तिवारी गेट बंद कर घर चले गए। सुबह छह बजे राकेश मंदिर पहुंचे तो गेट पर केले के गमले के पास मांस के टुकड़े पड़े हुए थे। यह देखकर पुजारी ने आसपास के लोगों को जानकारी दी। खबर मिलते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। जानकारी पर भाजपा नेता संदीप रेबड़ी, गौरव परिधान, दीपक शर्मा, विशाल सिंघल, राहुल, उज्जैन, सचिन व जयनारायण आदि मंदिर पहुंच गए और घटना पर आक्रोश जताते हुए हंगामा किया। सूचना पर इंस्पेक्टर आलोक सिंह मौके पर पहुंच गए। इस दौरान भाजपाइयों ने घटनाओं की रोकथाम न होने पर पुलिस-प्रशासन को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। लोगों की इंस्पेक्टर से तीखी नोकझोंक हुई। लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ शरारती तत्व लगातार माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं। इंस्पेक्टर आलोक सिंह ने बताया कि उन्होंने स्वयं मांस के टुकड़े को हटाकर मंदिर के गेट को पानी से साफ किया। इंस्पेक्टर ने दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

हवा हो गया कप्तान का आदेश

कोतवाली क्षेत्र ही नहीं, पूरे शहर में इस तरह की कई घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। तनावग्रस्त माहौल में कई बार अब तक दोनों संप्रदाय के धार्मिक स्थलों से छेड़छाड़ की जा चुकी है। इसके चलते एसएसपी दीपक कुमार ने भोर चार बजे से थानेदारों को स्वयं धार्मिकस्थल पर नजर रखने का फरमान सुनाया था, मगर नतीजा जीरो रहा। शरारती तत्व पुलिस की आंख में धूल झोंक कर अपने नापाक मकसद को अंजाम दे रहे हैं और पुलिस लगाम लगाने पर पूरी तरह नाकाम है।
स्त्रोत :  जागरण  

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