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आतंकवादकी छायातले मुंबई तथा पुणेमें विसर्जन समारोह सम्पन्न !

भाद्रपद पूर्णिमा , कलियुग वर्ष ५११५

  • हिंदुओ, गणेशोत्सवकी पवित्रताका पालन करें !

  • समुद्रतटोंपर आंतकवादियोंके बडे छायाचित्र प्रकाशित किए गए !

  • सावधानी हेतु टेडीबियर एवं डब्बेके आकारकी प्रतिकृति !

  • ढोल-नगाडे दलकी ओरसे पुणे पुलिसको सी.सी.टी.वी. छायाचित्रक !

यासीन भटकल एवं टुंडा इन दो भयानक आंतकवादियोंको बंदी बनानेके पश्चात देशमें आंतकवादी आक्रमणकी संभावना अधिक मात्रामें बढ गई है । प्रतिवर्षकी अपेक्षा इस वर्ष गणेशोत्सवपर आंतकवादकी छाया कितनी अधिक मात्रामें थी, यह पुलिसद्वारा की गई सुरक्षाव्यवस्थासे ध्यानमें आता है । (हिंदुओ इस वास्तविकताको पहचानें कि आपके उत्सव भयमुक्त वातावरणमें मनानेके लिए अब हिंदू राष्ट्र स्थापित होना अनिवार्य हो गया है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )


मुंबई – इस वर्ष पुलिसने अनंतचतुर्दशीके विसर्जन समारोहमें टेडीबियर नामक संकल्पनाका आयोजन किया है । साथ ही समुद्रतटपर टेडीबियर एवं भोजनके डब्बोंके बडे आकारकी प्रतिकृतियां लगाई गई थीं । उसके पीछे यह उद्देश्य था कि उसे देखकर नागरिक आतंकवादी आक्रमणके विषयमें सतर्क रहें । (बंदी बनाए गए आतंकवादियोंको त्वरित मौतका दंड देना तथा आतंकवाद रोकने हेतु निश्चित उपाययोजना करना, ये आतंकवादके मूल उपाय हैं । टेडीबियरके समान ऊपरी तौरकी उपाययोजना अर्थात नागरिकोंकी जानसे खेल ही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) जुहू तटपर गणेशमूर्ति विसर्जनके समय आतंकवादियोंके छायाचित्र प्रकाशित कर श्रद्धालुओंको सजग किया गया था । साथ ही संदेहास्पद वस्तु तथा वाहनोंके विषयमें नागरिकोंको सतर्क रहनेकी सूचना दी गई थी । सुरक्षा हेतु दो दिन पूर्व कुछ दिनोंसे बांधके नीचे पडे चारपहिएवाले वाहनोंको पुलिसने जलाया था ।
सहायक पुलिस आयुक्त अनंत जाधवने बताया कि मुंबईकी सुरक्षा तथा सुव्यवस्था हेतु सर्वत्र कडी सुरक्षाव्यवस्था की गई है । गुप्तचर तंत्रद्वारा आतंकवादी आक्रमणके संदर्भमें सूचना प्राप्त हुई थी; इसलिए विशेष सतर्क रहकर मुंबई पुलिसके साथ, राज्य सुरक्षा दल, शीघ्र कृति दल, केंद्रीय सुरक्षा दल, सामान्य वेश परिधान कर पुलिस, महिलाओंके लिए विशेष दल, श्वानपथक, परिवहन पुलिस दल, साथ ही उनकी सहायताके लिए राष्ट्रीय छात्र सेनाके विद्यार्थी, पाठशाला-महाविद्यालयके विद्यार्थी इस प्रकारके तंत्रोंका आयोजन किया गया था । मुंबईमें २०० से अधिक सी.सी.टी.वी. छायाचित्रक लगाए गए थे ।
मुंबईके विभिन्न समुद्रतटोंपर आज ४५ सहस्त्रोंसे अधिक गणेशमूर्तियां विसर्जित हुई । उनमें १२ सहस्त्रोंसे अधिक सार्वजनिक गणेशोत्सवकी गणेशमूर्तियोंका २७ समुद्रतटोंपर विसर्जन हुआ । २७ स्थानोंपर कृत्रिम हौद बनाए गए थे तथा पालिकाने उसमें अधिकाधिक मूर्तियोंको विसर्जित करनेका आवाहन किया; किंतु श्रद्धालुओंद्वारा इन हौदोंमें गणेशमूर्ति विसर्जन करनेके संदर्भमें अत्यंत अल्प परत्युत्तर प्राप्त हुआ । (बहते पानीमें गणेशमूर्तिका विसर्जन कर श्रद्धालुओने धर्मपालन ही किया ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) मुंबईके समुद्रतटोंपर २४० जीवनरक्षक, नौदल, मुंबई पोर्ट ट्रस्टकी सहायता प्राप्त की गई थी । गिरगांव चौपाटीके लिए दो बोटोंका प्रबंध किया गया था ।
पुणे – पूनामें ढोल-नगाडोंकी घोषणाके मध्य बुधवार सुबहसे गणेशमूर्तिका विसर्जन आरंभ हुआ । समाजप्रबोधनका विषय लेकर पथपर रंगबिरंगी बडी-बडी रंगोलियां निकाली गई थीं । पहला कसबा गणपति, दूसरा तांबडी जोगेश्वरी तथा तीसरा गुरुजी तालीम, चौथा तुलसीबागका गणपति एवं पांचवा केसरीवाडा गणपति इस क्रमसे विसर्जनका आरंभ हुआ । शहरके १७ घाटोंपर १०२ सुरक्षारक्षक, स्वयंसेवक तथा जवान कार्यरत थे । नदीके पात्रमें आधारके लिए रस्सी लगाई गई थी । प्रत्येक घाटपर अग्निशामक दलके अधिकारियोंका ध्यान था । गुम हुए व्यक्तियोंके लिए आधुनिक तंत्रका प्रायोगिक तत्त्वपर आयोजन किया गया था ।
पुणेमें भी इस वर्ष आतंकवादके भयसे अधिक मात्रामें कडा प्रबंध रखा गया था । राज्य सुरक्षा दलकी टुकडी आयोजित की गई थी । पुणे शहरमें कुल मिलाकर ८ सहस्त्र पुलिसका प्रबंध था, तो मंडलके २८ सहस्त्र कार्यकर्ताओंको पुलिसने मित्र बनाकर सुरक्षाका दायित्व सौंपा था ।
ढोल-नगाडा दलकी ओरसे पुलिसको सी.सी.टी.वी. छायाचित्रक दिया गया था ।
विशेषरूपसे गणेशमूर्तिके विसर्जनके लिए खडकवासला बांधसे एक सहस्त्र क्युसेक्स पानी बाहर निकाला गया था । विसर्जन शोभायात्रा समयपर समाप्त करनेके लिए वाद्यदलोंकी संख्या मर्यादित की गई थी ।

हिंदुओ, वास्तविक उत्सव हिंदू राष्ट्रमें ही मनाए जाएंगे !

राज्यमें सर्वत्र अनाचारोंकी मात्रामें वृद्धि !

१. महाराष्ट्रके सभी शहरोंमे ऊंची आवाजकी डौल्बी तंत्र निर्माण की गई थी । अतः ध्वनिप्रदूषण अधिक मात्रामें हुआ । पुलिसने कोल्हापुरमें छोटी आवाजमें ध्वनितंत्र लगानेका करनेका आवाहन किया था ।
२. शोभायात्रा अत्यंत धीमी गतिसे जा रही थी, इसलिए अनेक स्थानोंपर परिवहनमें रुकावट उत्पन्न हुई तथा नागरिकोंको असुविधा हुई ।
३. मद्यपान, अश्लील अंगविक्षेप करते हुए चित्रपटगीतोंपर नृत्य करनेमें अनेक जन्महिंदुओंने अपना समाधान मान लिया था ।
४. अधिक मात्रामें गुलालकी बौछार की गई तथा पटाखे उडाए गए । इसलिए प्रदूषणकी मात्रा बढ गई ।
५. जिन स्थानोंपर उपर्युक्त अनाचारोंकी मात्रा सर्वाधिक थी, वहां उत्सवकी पवित्रता एवं मांगल्य न्यूनतम हुआ । (ऐसे हिंदू ही हिदू धर्मके वैरी हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)

 

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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