अश्विन कृष्ण १ , कलियुग वर्ष ५११५
नई दिल्ली – तेरह सितम्बर को अयोध्या की ८४ कोसी परिक्रमा के समय पर संपूर्ण होने के उपरान्त दक्षिण भारत के पूज्य संतों द्वारा की जाने वाली अयोध्या की पंच कोसी परिक्रमा आश्विन कृष्ण तृतीया यानि इस माह की २२ तारीख से प्रारम्भ होगी। विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महा मंत्री श्री चम्पत राय ने आज एक बयान जारी कर बताया है कि दक्षिण भारत के चार राज्यों – केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के लगभग एक दर्जन संत तथा उनके लगभग सौ राम भक्त अनुयायी बीस दिनों तक चलने वाली अयोध्या की पंच कोसी परिक्रमा में भाग लेंगे। आन्ध्र के संत दस दिन, कर्नाटक के छ: दिन तथा तमिलनाडु और केरल के पूज्य संत दो-दो दिन परिक्रमा करेंगे। अलग-अलग टोलियों में आने वाले संत अयोध्या की एक परिक्रमा कर अपने-अपने स्थान पर लौटेंगे। भगवान श्री राम की पतित पावनी जन्म स्थली अयोध्या नगरी की इस परिक्रमा को ये संत अगले माह आने वाली विजया दशमी यानि १३ अक्टूबर को पूर्ण करेंगे।
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़र नगर में हुए सांप्रदायिक दंगों को दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महा मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार अयोध्या में मात्र दो सौ संतों के लिए यदि सुरक्षा बलों की एक कम्पनी भी तैनात कर देती तो भी बहुत होती। यदि सरकार विवेक से काम लेती और शेष सुरक्षा बलों को समय रहते मुजफ़्फ़र नगर भेज देती तो वहां हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों को रोका जा सकता था। उन्होंने यह भी कहा कि धारा १४४ के उल्लंघन के नाम पर पूज्य संतों को तो अपने आराध्य प्रभु श्री राम की जन्म स्थली की परिक्रमा से रोका गया किन्तु उसी धारा के गंभीर उल्लंघन को मुजफ़्फ़र नगर के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मूक दर्शक बने देखते रहे और हिन्दू समाज प्रताडित होता रहा।
स्त्रोत : विहिप प्रेस नोट