Menu Close

प.पू. आसारामबापूपर किए गए षडयंत्रके विरुद्ध संतोंद्वारा चेतावनी

अश्विन कृष्ण २, कलियुग वर्ष ५११५

संतगणोंके भाषणके समय की जानेवाली घोषणाएं

  • ब्रह्मांड बापूजी की जय !

  • रोना हो तो भक्तिसे और रुलाना हो तो शक्तिसे !

हिंदुओ, संतोंपर होनेवाले आक्रमणके विरुद्ध शक्ति बढाएं ! – स्वामी चक्रपाणि महाराज, राष्ट्रीय अध्यक्ष, संतसभा, नई देहली

‘चैतन्य महाप्रभु हरे कृष्ण हरे राम’ यह कहनेवालोंको प्रतिबंधित किया गया । वर्तमानमें दूरचित्रप्रणालोंद्वारा हिंदू धर्मकी बदनामी की जा रही है । संतोंने राष्ट्रसेवा कार्य अधिकांश मात्रामें किया है । ऐसा होते हुए भी संतोंकी लैंगिक जांच की जाती है । एक ओर संसदमें शरद यादव ‘ओसामाजी’ कहते हैं, तो दूसरी ओर प.पू. बापूका अनादर करते हैं । अब तो यह उनका मनोरंजन ही हो गया है । इस अवसरपर हिंदुओंको अपने स्वयंकी शक्ति बढानी चाहिए ।

हिंदुओ, हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करने हेतु क्रांतिकी भाषाका प्रयोग करें ! – श्री. अभय वर्तक, प्रवक्ता, सनातन संस्था

प.पू. बापूने ४ करोड लोगोंके जीवनमें ज्ञानका प्रकाश फैलाया है । घर-घरमें साधना करनेवाले साधक आज प.पू. बापूजीको स्मरण करते हैं । उनके मनमें शासनके विरुद्ध आक्रोश है । साध्वी प्रज्ञासिंहके मुंहमें बलपूर्वक गोमांस डालनेवाले विदेशी शासनका यह षडयंत्र है । यह प्रश्न केवल प.पू. बापूजीका नहीं है, अपितु समस्त हिंदू धर्मका है । समाचारप्रणालोंको शांतिकी भाषा नहीं समझमें आती, इसलिए हिंदूउस समय ही क्रांतिकी भाषा बोलते हैं । रजा अकादमीके मोरचामें महिला पुलिसके वस्त्र उतारे गए थे; किंतु उन दो दिनोंमें प्रसारमाध्यमोंनेयह समाचार प्रकाशित नहीं किए । आज एक माससे प.पू. बापूजीकी अपकीर्ति की जा रही है । इस अवसरपर क्रांतिकी भाषा का प्रयोग किया गया, तो ही हिंदू राष्ट्रकी स्थापना होगी ।

नामजप, भजन-कीर्तनके साथ ही अब संतोंको देवताओंके हाथमें होनेवाले शस्त्र भक्तोंको दिखाने चाहिए ! – श्री. सुरेश चव्हाणके, संपादक, सुदर्शन समाचारप्रणाल

हम गुलाम देशके नागरिक आज आजाद मैदानमें बैठे हैं । यदि अब हम यहांसे संकल्प कर जाएंगे, तो ही पूरा देश वास्तविक रूपमें स्वतंत्र बनेगा । साधुसंतोंने भक्तोंको केवल नामजप, भजन-कीर्तन सिखाया; किंतु देवताओंके हाथमें होनेवाले शस्त्रोंकी ओर अनदेखा करनेके लिए बताया । परिणामस्वरूप आज पूर्णिमाके दिन हमारे चंद्रको ग्रहण लगा है । (उस समय उपस्थित एक महिला साधिका जोरजोरसे रोने लगी ।) अब रोनेसे कुछ लाभ नहीं । यदि आक्रामक होंगे, तो ही प्रकाशका प्रसार होगा । यह महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराजका है; किंतु यहां साधुसंतोंपर आक्रमण करनेवाला टोनाटोटका अधिनियम पारित किया गया है । वर्तमानमें कलमाडी, ए. राजा, कोयला घपला करनेवाले प्रधानमंत्री, आदर्श घपलावाले अशोक चव्हाण मुक्त हैं; किंतु केवल प.पू. आसारामबापू कारागृहमें हैं । प.पू. आसारामबापू, सनातन संस्था तथा योगगुरु प.पू. रामदेवबाबाद्वारा इस देशकी संस्कृतिकी वृद्धि हो रही है, अतः चंगलवादी विदेशी आस्थापनोंको पीडा हो रही हैं । अतएव् संतगण तथा सनातन संस्थापर आक्रमण हो रहे हैं । भारतके प्रसारमाध्यम टी.आर.पी.पर निर्भर हैं । यदि देशके ६ करोड हिंदुओंद्वारा इन प्रणालोंका बहिष्कार किया गया, तो ही वे सीधे रास्तेपर आएंगे ।

सुदर्शन समाचारप्रणालके संपादक श्री. सुरेश चव्हाणकेने पीत पत्रकारिताकी पोल खोली !

मंचपर सुरेश चव्हाणकेने बताया कि पत्रकार अच्छे होते हैं; किंतु उनके स्वामी दूषित हैं । इस स्थानपर वरिष्ठ पत्रकार श्री. उमेश कुमावत उपस्थित हैं । वे सामने आएं । तब श्री. कुमावत आगे आए । उस समय श्री. चव्हाणकेने पूछा, क्या आप देशके सर्व संतोंको बदनाम करते हैं ? उस समय उन्होंने अस्वीकृति दर्शाई तथा हास्यवदन कर इस सभाको मूकसम्मति भी दर्शाई । तदुपरांत श्री. चव्हाणकेने बताया, हमारे प्रसारमाध्यमोंमें भी अविवाहित; किंतु लिव इन रिलेशनशिपद्वारा रहनेवाले प्रतिनिधि हैं । आज वे महिलाएं प.पू. बापूजीपर टिप्पणियां प्रदर्शित करती हैं । भविष्यमें अपने समाचारप्रणालमें मैं ऐसी महिलाओंका नामके साथ उल्लेख करूंगा । आप अपने मतदातासंघके संसद सदस्यका घेराव करें तथा उसे स्थानबद्ध करें । केवल ५० संसद सदस्योंको इकट्ठा करें । उन्हें सत्यके पक्षमें खडा रहना ही पडेगा ।

संतोंपर होनेवाले आक्रमणके विरुद्ध किए गए आंदोलनके कारण ही देशमें क्रांति होगी ! – प.पू. स्वामी देवेंद्रानंदगिरी महाराज, महामंत्री, अखिल भारतीय संत समिति

१९४० में तुर्कस्थान एवं इरानके बीच हुए युद्धमें इरानकी जीत हो रही थी, उस समय इरानके संत फकरूद्दीनको तुर्कस्थानने बंदी बनाया।उस समय इराने शस्त्रसंधि घोषित की । तदुपरांत उन्होंने बताया, पूरा देश लीजिए किंतु हमारे संतोंको मुक्त करें । तब तुर्कस्थानने इस विषयमें ज्ञात करनेका प्रयास किया, उस समय इरानने बताया कि धर्म पुस्तकमें नहीं, अपितु संतोंके माध्यमसे अस्तित्वमें रहता है । यदि संत फकरूद्दीन रहेंगे, तो भविष्यमें कभी भी तुर्कस्थानका जीतना सहज है । यह है संतोंका महत्त्व । अब संकल्प करनेका समय आया है । पूरे देशको एक विचारधारामें मिलानेका कार्य शंकराचार्यने किया । वह कार्य प.पू. आसारामबापूने किया है । संतोंपर होनेवाले आघातोंके कारण देश एवं धर्म संकटमें आते हैं । यह आंदोलन बेमुद्दत है, वह बेमुद्दत ही रहे । क्योंकि यह आंदोलन ही देशमें क्रांति लाएगा ।

…तो प.पू. बापूजीके ४ करोड भक्त १०० करोड हिंदुओंका मतपरिवर्तन करेंगे ! – हिंदू जनजागृति समितिके प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे

‘प.पू. बापूजीके आश्रम बंद हुए’, प्रसारमाध्यमोंद्वारा इस प्रकारके अपप्रचार किए जा रहे हैं । किंतु अब प.पू. बापूजी जिस कारागृहमें बंदी हैं, वहींपर नया आश्रम उत्पन्न हो गया है । राजस्थानके मंत्री बाबुलाल नागरपर बलात्कारके आरोप लगाए गए हैं, यदि उस समय ‘अधिनियम अपना कार्य करेगा’, ऐसा कहा जाता है, तो प.पू. बापूके विषयमें भी यह भूमिका क्यों नहीं अपनाई जाती ? अब इस राज्यमें टोनाटोटका विरोधी अधिनियम पारित हुआ है । भविष्यमें इस अधिनियमके कारण साधुसंत कारागृहमें तथा चोर एवं घूसखोर सांसद होंगे । अबतक हम देवताके नामजपका प्रसार करते थे । किंतु यह बात भी ध्यानमें रखें कि हम अन्य प्रसार भी कर सकते हैं । प.पू. बापूजीके ४ करोड भक्त एक मासमें १०० करोडतक पहुंचेंगे तथा मतपरिवर्तन लाएंगे ।

संतगणोंपर अत्याचार करनेके परिणाम कांग्रेसको भुगतने ही पडेंगे ! – गुजरात अ.भा. संत समितिके स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

इस देशमें संत तथा हिंदूनिष्ठ संगठनोंको लक्ष्य किया जाता है । चुनाव समीप आनेके कारण कांग्रेसवाले अपनी वृत्तिका प्रदर्शन कर रहेहैं । इसका परिणाम उन्हें भुगतना ही पडेगा । इससे दुर्बल न बनें, अपितु अधिक आक्रामक तथा सक्षम बनें !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *