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इंटरनेट और कूरियर के जरिए चल रहा है ड्रग्स का बाजार

अश्विन कृष्ण ३, कलियुग वर्ष ५११५

दिल्ली – अनमोल की मौत की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है इसमें आए दिन नए खुलासे हा रहे हैं । पुलिस को अब इंटरनेट और कूरियर के जरिए फैल रहे नशे के कारोबार का पता चला है ।

नशा के सौदागरों का तरीका बड़ा ही अजीबो-गरीब है । एक कूरियर वाला एक घर में जाकर कूरियर का पैकेट डिलीवर करता है । सीधी-सादी नजर से देखा जाए तो ये रोजमर्रा की ऐसी बात है, जिस पर शायद ही किसी का ध्यान जाता हो । लेकिन जरूरत की इसी चीज को अब जुर्म की दुनिया से ताल्लुक रखने वाले शातिरों ने अपना हथियार बना लिया है । खासतौर पर नशे के सौदागरों ने इस जरिये को अपने ग्राहकों तक पुहंचने का सस्ता सुंदर और टिकाऊ रास्ते के तौर पर अख्तियार कर लिया है ।

इस सच का एक खुलासा उस वक्त सामने आया जब अनमोल की मौत की गुत्थी सुलझाने की कोशिश में लगी दिल्ली पुलिस ने पूछताछ का सिलसिला आगे बढ़ाया । दिल्ली पुलिस ने जब अनमोल और उसके दोस्तों तक पार्टी के लिए ड्रग्स पहुंचाने वाले तीन लड़कों को खंगाला तो उसके सामने यही राज फाश हुआ ।

नोएडा से पकड़े गए तीन लड़कों में दुष्यंत भी एक है, जिसे पुलिस ने सवालों के दायरे में लाकर खड़ा किया है । यही वो लड़का बताया जा रहा है जिसने उस रात अनमोल के दोस्तों तक ड्रग्स पहुंचाने का इंतजाम किया था । उसी ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वो कुरियर के जरिए ड्रग्स मंगवा चुका है ।

ड्रग्स को मंगवाने के लिए एक खास ईमेल आईडी पर मेल करना होता है, और वो मेल भी कोडवर्ड में होता है । मेल पर दिए जाने वाले ऑर्डर पर 500 डॉलर का भुगतान करना होता है और चीन से आया कूरियर सीधे उस पते पर पहुंच जाता है जहां ड्रग्स की खपत होनी होती है । दुष्यंत पहले भी ऐसे ड्रग्स को मंगवाता रहा है । लिहाजा पुलिस ने उसका मुंह खुलवाकर इस पूरे नेटवर्क का खुलासा करने का इरादा किया है । हालांकि ड्रग्‍स सप्‍लाई का ये अकेला तरीका नहीं हैं ।

किताब में ड्रग्स

अगर कोई किताब हाथ में लेकर दिल्ली की भीड़ में घूमें तो क्या किसी को गुमान हो सकता है कि उस किताब में खौफनाक जुर्म की इबारत दर्ज है । शायद नहीं, लेकिन ये भी तरीका है दिल्ली में ड्रग्स की सप्लाई का । किसी भी मोटी ज़िल्दवाली किताब के बीच के पन्नों को इस तरह काटा जाता है ताकि उसमें खोखली दरार बन जाए । लेकिन किताब को बंद करते समय ऐसा ही लगता है कि वो सामान्य सी किताब है. बस उसकी आड़ में खुलेआम दिल्ली में नशे का सामान एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच जाता है ।

कार्ड्स में छुपा नशा

क्या कभी किसी ने गौर किया है कि ग्रीटिंग कार्ड्स भी ड्रग्स सप्लाई का जरिया हो सकते हैं, लेकिन ऐसा है. कार्ड्स के भीतर छुपा कर ड्ग्स की सप्लाई होती है, क्योंकि कार्ड्स को कोई शक की नज़र से नहीं देखता ।

बस इन्हीं कुछ खुलासों ने अनमोल की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी पुलिस की बेचैनी को बढ़ाया है और उसे पता चल चुका है कि किस तरह इंटरनेट जैसे साधनों के जरिए ड्रग्स का ये कारोबार दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में तेजी से फैलता जा रहा है । पुलिस का इशारा ये भी है कि ड्रग्स के इस धंधे में दिल्ली और उसके आस पास के कई छात्रों को मोहरा बनाया जा रहा है ।

स्त्रोत : आज तक

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