अश्विन कृष्ण ५, कलियुग वर्ष ५११५
‘पाकके कारागृहमें लंबे समयतक बंदी बनाए गए भारतीय सैनिक, यह देशका शल्य’
दीपप्रज्वलन करते हुए पू. डॉ. चारुदत्त पिंगळे तथा मान्यवर |
पंचकुला (हरियाणा) : १९७१ के युद्धके नायक, महावीर चक्रसे सम्मानित, निवृत्त ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरीने यह प्रतिपादित किया कि ‘१९७१ के युद्धमें भारतने पाकिस्तानके ९३ सहस्त्र सैनिकोंको युद्धबंदी कर बादमें मुक्त किया था; किंतु इसी युद्धमें भारतके ६७ सैनिक पाकने बंदी बनाकर उन्हें अपने कारागृहमें रखे हैं । अभीतक उनकी मुक्तिके लिए प्रयास नहीं हुए हैं, यह देशके सामने बडा शल्य है ।’ वे पनून कश्मीर संगठनकी ओरसे २१ से २२ सितंबरकी कालावधिमें पंचकुलामें कश्मीर समस्यापर आयोजित सम्मेलनमें ऐसा कह रहे थे ।
चांदपुरीने आगे बताया, भारतकी सीमापर लडते समय सामने कौनसा शत्रु है, इसका पता होता है; किंतु कश्मीरमें शत्रु कौन एवं मित्रकौन है, यह पहचानना अत्यंत कठिन होता है । अतः प्रतिदिन भारतीय सेनादलके न्यूनतम २-३ सैनिकोंकी मृत्यु होती ही है । बिना युद्धके इतने सैनिकोंकी हत्या होना, देशके लिए यह बहुत बडी हानि है । इस समय उपस्थित व्यक्तियोंके सामने उन्होंने कश्मीरमें हिंदुओंपर हुए अत्याचारोंके कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए ।
पनून कश्मीर संगठनके अध्यक्ष श्री. अश्विनीकुमार च्रोंगूने बताया, ‘आज कुछ लोग पूछते हैं कि कश्मीरी हिंदुओंने विस्थापितहोनेके पश्चात देशके लिए क्या किया ? तो हम उन्हें बता सकते हैं कि सेतु निर्माण करते समय एक छोटीसी गिलहरी उसमें जिस प्रकार सम्मिलित हुई, उसी प्रकार कश्मीरी हिंदू देशके लिए गिलहरीके समान कार्य कर रहे हैं । हमें दुःख होता है कि हमें हमारे ही देशमें विस्थापित होना पडा; किंतु इससे यदि उर्वरित भारतके हिंदू हिंदुओंपर होनेवाले अत्याचारके विरुद्ध जागृत होते हैं, तो इस दुःखमें भी हमें आनंद ही है ।’
इस अवसरपर हिंदू जनजागृति समितिके राष्ट्रीय मार्गदर्शक पू. चारुदत्त पिंगळेने ‘कश्मीरी संस्कृतिकी भारतीयता !’ इस विषयपर उपस्थित व्यक्तियोंका मार्गदर्शन किया ।
क्षणिकाएं
१. हिंदू जनजागृति समितिकी ओरसे कश्मीरी एवं बांग्लादेशी हिंदुओंपर किए गए भीषण अत्याचारोंका दर्शन करनेवाली फैक्ट प्रदर्शनी सभागृहमें आयोजित की गई थी ।
२. कार्यक्रमका अनावरण मोमबत्तीसे दीपप्रज्वलन कर होनेवाला था; किंतु पू. चारुदत्त पिंगळेके प्रबोधनके पश्चात अगरबत्तीसे दीपप्रज्वलन कर कार्यक्रमका अनावरण किया गया ।
३. कुछ कश्मीरी हिंदुओंने प्रदर्शनी देखनेके पश्चात समितिद्वारा आयोजित इस प्रदर्शनीके कारण समितिके कार्यकर्ताओंके आभार व्यक्त किए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात