अश्विन कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५
संतोंकी प्रतिमा मलिन कर हिंदू धर्मपर आघात करनेका षडयंत्र ! – मान्यवरोंके स्पष्ट उद्गार
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बायीं ओरसे श्री. चक्रवर्ती, श्री. मोहन गौडा, श्री. रवि, श्री. मोक्ष प्रियनंदा एवं बोलती हुई कु. प्रियांका स्वामी |
बेंगलुरू : प.पू. बापूजीके आश्रममें ‘हिंदू जनजागृति समिति’ एवं ‘भारत जागृत मोर्चा’ संगठनोंद्वारा प.पू. आसारामबापूजीपर लगाए गए आरोप एवं उन्हें बंदी बनाए जानेके निषेधार्थ निषेध सभा आयोजित की गई । इस अवसरपर ‘जागो भारत’के संचालक श्री. चक्रवर्ती, प.पू. आसारामबापू आश्रमके प्रवक्ता श्री. रवि, पू. नित्यांनद आश्रमके श्री. मोक्ष प्रियनंदा, हिंदू जनजागृति समितिके कर्नाटक राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा तथा सनातन संस्थाकी कु. प्रियांकास्वामीने अपने विचार प्रस्तुत किए ।
श्री. मोहन गौडाने कहा कि संत भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्मके आधारस्तंभ हैं । हिंदू धर्म नष्ट करने हेतु ही यह षडयंत्र रचा गया है । इसके माध्यमसे समाजमनमें संतोंका जो सम्मान एवं श्रद्धा है, उसे नष्ट करनेका प्रयास किया जा रहा है ।
श्री. रविने कहा कि पुलिसद्वारा प्रविष्ट अपराध एवं वैद्यकीय अहवालमें कहीं भी नहीं कहा गया कि इस लडकीपर बलात्कार हुआ,। पुलिस उपायुक्त अजय लांबाने भी पत्रकार परिषदमें यही कहा । लडकीने केवल विनयभंग करनेका परिवाद प्रविष्ट किया है; परंतु यह भी षडयंत्रका एक भाग है ।
इस लडकीकी सहेलीने एक समाचार प्रणालको दी जानकारीमें कहा है कि इस लडकीपर अर्थात उसकी सहेलीपर उसके अभिभावक दबावतंत्रका उपयोग कर रहे हैं । इसलिए उसने झूठा परिवाद प्रविष्ट किया । प.पू. बापूजीपर आश्रममें २००८ में काला जादू कर दो छोटे बच्चोंकी हत्या करनेका आरोप भी लगाया गया था ; परंतु २०१२ में सर्वोच्च न्यायालयद्वारा पुलिसको झूठा सिद्ध कर उसमेंसे प.पू. बापूजीको निर्दोष मुक्त किया गया था ।
कु. प्रियांका स्वामीने कहा कि प.पू. बापूजी पिछले ४० वर्षोंसे मानवतावादी कार्य कर रहे हैं । हाल-ही में उन्होंने केदारनाथमें आए महाप्रलयके अवसरपर आपदग्रस्तोंको प्रथमोपचार, अन्न एवं जलकी पूर्ति की थी । ऐसे संतोंपर लगाए गए आरोप उनकी प्रतिमा मलिन करनेका ही षडयंत्र है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात