अश्विन कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५
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चेन्नई – द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने सुप्रीम कोर्ट में सेतुसमुद्रम मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले सॉलिसिटर जनरल मोहन पारासरन की विचारधारा पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कर पारासरन ने सांप्रदायिक होने का संकेत दिया है।
पारासरन ने मुकदमे से हटने का कारण बताते हुए कहा था उनका मत है कि राम सेतु का निर्माण भगवान राम ने किया था और प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे एक याचिकाकर्ता की ओर से उनके पिता भी अदालत में पक्ष रखेंगे। ऐसे में मुकदमे की पैरवी के दौरान हितों का टकराव का मामला बनता है। हालांकि करुणानिधि ने आगे कहा कि धर्मनिरपेक्ष केंद्र सरकार के सॉलीसिटर जनरल का बयान यह स्पष्ट नहीं करता कि वह सांप्रदायिक हैं या नहीं।
करुणानिधि ने कहा कि सेतुसमुद्रम योजना तमिलनाडु के हित में है। ऐसे वक्त में जब केंद्र सरकार योजना को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई हुई है, मोहन पारासरन जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता केंद्र की राय के विरोध में खड़े हो रहे हैं। करुणानिधि ने कहा कि उनका सांप्रदायिकता भरा बयान उनकी समझ से परे है।
स्त्रोत : जागरण