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हिंदुओ, धर्मरक्षा एवं स्वसुरक्षा हेतु सज्ज रहें !

अश्विन कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५

दैनिक सामनाद्वारा हिंदुओंको आवाहन !

मुंबई – केनियाके एक मॉल तथा पाकिस्तानके पेशावरमें एक चर्चमें जो घृणित हत्याकांड हुआ, उसे केवल भयंकर नहीं कह सकते, अपितु जिहादके नामपर आरंभिक आतंकवादका अमानवीय स्वरूप ही कहना पडेगा । जिहादि आतंकवाद किस स्तरपर आ गया है, यह इसीका रक्तरंजित रूप है । जो जिहादि नहीं हैं, उन्हें जीनेका कोई अधिकार नहीं । उन्हें समाप्त करना है एवं पूरे विश्वमें जिहादियोंका राज्य प्रस्थापित करना है, इसी धर्मांध विकृतिसे आक्रमण हो रहे हैं । आक्रमण करनेवाले छोटे बच्चे, स्त्रियां, अपंग एवं नि:शस्त्र लोगोंकी हत्या नहीं करते । इसे शौर्य नहीं कह सकेंगे । इसे युद्ध भी नहीं कह सकेंगे । केनिया तथा पाकिस्तानके गैरमुसलमानोंका हत्याकांड अर्थात विश्वको सावधान रहनेकी चेतावनी है । जो मुसलमान नहीं हैं, वे मरेंगे, जिहादि आतंकवादियोंने ऐसे धोखेकी बांग दी है । हिंदू यह बांग सुनकर केवल घंटा न बजाएं, न्यूनतम धर्मरक्षा एवं स्वसुरक्षा हेतु सज्ज रहें ! अन्यथा बार-बार २६/११ घटता रहेगा, ऐसी चेतावनी दैनिक सामनाके अग्रलेखमें हिंदुओंको प्रकाशित किया गया है ।

दैनिक सामनाके अग्रलेखके अन्य सूत्र

१. हिंदुस्थानमें लक्षावधि लोग सिरफिरे हैं । इन सिरफिरोंके साथ अधिकांश लोग वोट बैंककी राजनीति करते हैं । अतएव आतंकवादियोंका दुस्साहस बढता है । आतंकवादियोंके अड्डे तथा मिनी पाकिस्तानपर निडरतासे टैंक चलानेवाला कोई नेता यदि सत्तामें होता, तो हमारे देशकी जिहादि मस्ती औरंगजेब एवं अफजलखानके अनुसार कभीकी दफन हो गई होती । अमेरिका तथा यूरोपके समान राष्ट्रोंमें इस जिहादि बिच्छूके लिए डंक उठाना भी असंभव है ।

२. अमेरिकाने पाकिस्तानमें बलपूर्वक प्रवेश कर लादेनकी हत्या की एवं फ्रान्स शासनने मुस्लिम समाजकी धर्मांधतापर वैध मार्गसे बंधन डालकर उन्हें पराजित किया है । ब्रिटेनमें जिहादी मुल्ला-मौलवियोंको भगाया गया है एवं ऑस्ट्रेलियाके प्रधानमंत्रीने धमकाया कि धर्मके नामपर चल रही जिहादियोंकी यह मस्ती नहीं सह सकेंगे । अर्थात इन जिहादियोंकी मस्ती इस्लामी राष्ट्रके गैरमुसलमानोंको कष्ट देने हेतु ही है अथवा हिंदुस्थानके समान नकली निधर्मी राष्ट्रमें यह सहा जा रहा है, इसलिए खुले आम चल रहा है । (विश्वके सर्व महत्त्वपूर्ण देशोंमें आतंकवादविरोधी नीतिका आयोजन कर आतंकवादको प्रतिबंधित किया जाता है, किंतु उस समय केवल भारतके प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारतकी संपत्तिपर प्रथम अधिकार जिहादियोंका है । भारतमें उनके लिए सच्चर आयोग लागू किया जा रहा है तथा मदरसोंको अनुदान प्रदान किया जा रहा है । विश्वमें आतंकवादियोंकी सहायता करनेवाला जिहादियोंका पालन करनेवाला देश अन्य कहीं न होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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