अश्विन कृष्ण ७, कलियुग वर्ष ५११५
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सांगली ग्रामीण पुलिस थानामें अंनिस तथा दर्गा न्यासियोंकी बैठकमें निर्णय
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मुसलमानोंके इस आश्वासनका कौन विश्वास करेगा ?
जादूटोनाविरोधी अधिनियमके संदर्भमें सीधी कार्यवाही करनेके तथा अप्रतिभू अपराध प्रविष्ट करनेके आदेश होनेपर भी पुलिस एवं अंनिसवाले मुसलमानोंके साथ बातचीत करते हैं ! यही घटना यदि हिंदू संतोंके संदर्भमें घटती, तो अबतक पुलिस उन्हें कारागृहमें बंदी बनाकर पूरे विश्वमें हिंदू धर्मकी अपकीर्ति कर चुकी होती ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
सांगली – मिरज तहसील स्थित नांद्रेके दर्गामें भविष्यमें किसी प्रकारका पाखंड तथा अमानुष प्रकरणोंको बढावा न देनेका निर्णय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति एवं दर्गा न्यासियोंकी संयुक्त बैठकमें लिया गया, दैनिक पुढारीने ऐसा वृत्त प्रसिद्ध किया है । यह बैठक सांगली ग्रामीण पुलिस थानामें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियोंकी उपस्थितिमें आयोजित की गई । इस अवसरपर अंनिसके डॉ. प्रदीप पाटिलने कहा कि कुछ धार्मिक स्थलोंपर अलौकिक शक्तियोंके आधारपर अमानुष, अघोरी प्रकार, तथा चमत्कारका दावा किया जाता है । रुग्ण व्यक्तिपर ‘भंडारा’ अथवा ‘पानी’ की वर्षा की जाती है । देहपर जलानेके चिह्न दिए जाते हैं । ये सारी बातें अघोरी हैं, तथा वे जादूटोनाविरोधी अधिनियमका उल्लंघन करनेवाली हैं । नांद्रेके दर्गामें चलनेवाले कुछ अपप्रकारोंके विषयमें महाजन अहवालमें गंभीरतासे निर्देश दिया गया है । अत: ये घटनाएं रुकनी चाहिए । (दर्गामें ऐसी घटनाएं घटती हैं, यह मालूम होते हुए भी अंनिसके डा. प्रदीप पाटिलने अबतक परिवाद क्यों नहीं किया ? हिंदुओंके हर तीज-त्यौहारोंपर टूट पडनेवाले अंनिसके पदाधिकारी मुसलमानोंके विषयमें केवल मौखिक चेतावनी देनेका कार्य करते हैं ! इससे इनकी दोहरी नीति तथा हिंदू धर्म नष्ट करनेका षड्यंत्र सामने आता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) जादूटोनाविरोधी अधिनियमकी धाराओंका उल्लंघन होनेपर उसके विरुद्ध अंनिसकी ओरसे वैधानिक कार्यवाही की जाएगी ।
दर्गा समितिके न्यासी मुजावरने कहा, नांद्रे दर्गाके विषयमें अपसमज पैâलाए जाते हैं । यहां किसी प्रकारकी (मंत्र-तंत्र) भानामती, जादूटोना, ऐसी घटनाओंको बढावा नहीं दिया जाता । दर्गामें श्रद्धालुओंको परंपरानुसार केवल पानी, विभूति तथा नींबू दिया जाता है । अधिनियमका उल्लंघन न हो, इस हेतु न्यासी प्रामाणिकतासे कार्य करेंगे ।
‘देहमें संचार होनेपर’ भी जादूटोनाविरोधी अधिनियमसे बंदी आनेकी दैनिक सनातन प्रभातकी बात सही निकली !
पुलिस उपाधीक्षक कु. कविता नेरकरने कहा कि दर्गामें दवाईके नामपर पानी तथा और कुछ देनेपर कार्यवाही हो सकती है; क्योंकि धोखा देनेकी बात जहां आती है, वहां यह अधिनियम संबद्ध होता है । (यदि ऐसा है, तो दर्गापर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए; किंतु उपाधीक्षक ऐसा कह रहे हैं कि केवल कार्यवाही हो सकती है । इससे स्पष्ट हो जाता है कि ऐसी घटनाओंके संदर्भमें पुलिसमें भी संभ्रम है ! – संपादक; दैनिक सनातन प्रभात) इस अवसरपर अंनिसके डॉ. पाटिलने कहा, नांद्रेके दर्गामें श्रद्धालुओंकी देहमें संचार होनेपर, उसका दायित्व दर्गा समितिपर रहेगा । `भूत उतार’ नेका प्रयास भी अपराध है । हम ही अपराध प्रविष्ट करें, ऐसा नहीं, प्रशासननियुक्त दक्षता अधिकारी कार्यवाही करेंगे, ऐसा वृत्त दैनिक सकालने प्रसिद्धिको दिए वृत्तमें कहा है । (इससे यही स्पष्ट होता है कि अंनिसवाले ‘देहमें संचार होनेकी प्रथाके पूर्णतः विरुद्ध हैं, तथा वे `किसीने धोखा दिया,’ ऐसा परिवाद प्रविष्ट होनेकी प्रतीक्षा भी नहीं करेंगे । इस अधिनियमके विरुद्ध ८वर्ष पूर्व दैनिक सनातन प्रभातद्वारा की जानेवाली जनजागृति कितनी उचित थी, इससे यह पूर्णतया स्पष्ट होता है । अत: सब इस अधिनियमका वैध पद्धतिसे विरोध कर उसे निरस्त करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात