अश्विन कृष्ण ८ , कलियुग वर्ष ५११५
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मोरचामें सम्मिलित भक्त
मुंबई – योग वेदांत समितिके प.पू. आसारामबापूजीको कथित लैंगिक अत्याचारके आरोपके कारण बंदी बनाया गया था । इस घटनाको अब ३ सप्ताह पूरे होनेके कारण अपने गुरुका दर्शन नहीं हो सकता, इस व्यथासे भक्तोंने दादरमें मूक मोरचाद्वारा कांग्रेसपुरस्कृत षडयंत्रका निषेध पंजीकृत किया । प.पू. बापूजीके १२ सहस्र भक्तोंकी उपस्थितिमें यह मोरचा दोपहर ४ बजे शिवाजी पार्कसे निकलकर संध्या ६.३० बजे सिद्धिविनायक मंदिरके पीछे वाले मैदानमें पूर्ण अनुशासनके साथ विसर्जित हुआ ।
क्षणिकाएं
१. मोरचामें सभी आयुके पुरुष तथा महिला साधकोंकी उपस्थिति अधिकांश संख्यामें थी ।
प.पू. बापूजीके भक्तोंने हाथमें निषेधका फलक पकडा था तथा मुंहपर काला फीता लगाया था ।
२. भक्तगण प्रसारमाध्यमोंद्वारा प.पू. बापूजीके संदर्भमें की गई अपकीर्तिके विरोधमें कडे शब्दोंमें निंदा कर रहे थे ।
३. मोरचाकी विशेषता यह थी कि पथकी दाई ओरसे २-२ जनोंकी पंक्ति अनुशासनके अधीन होकर मार्गपर अग्रसर थी । अतः दादरके समान भीडवाले परिसरमें ५ मिनटके लिए भी परिवहनमें रुकावट उत्पन्न नहीं हुई ।
४. इस मोरचाके लिए पुलिसने बडी संख्यामें पुलिसदलका आयोजन किया था, किंतु केवल साधकोंने ही पूरीतरहसे मोरचाका नियंत्रण नियोजनबद्ध किया ।
५. मोरचाका मार्ग : शिवाजी पार्क – सेनाभवन – पोर्तुगीज चर्च – सिद्धिविनायक मंदिर, प्रभादेवी (में समाप्त) इस प्रकार था ।
६. पिछले २ दिनोंसे स्थगित आजाद मैदानका धरणा आंदोलन शुक्रवारसे आरंभ किया जाएगा ।
७. तीव्र गतिसे वर्षा होते हुए भी यह मूक मोरचा अविरतरूपसे आरंभ था ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात