अश्विन कृष्ण १० , कलियुग वर्ष ५११५
महाराष्ट्र शासनद्वारा मदरसोंको १० करोड रुपए वितरित किए जानेकी घोषणाके विषयमें !
मुंबई – शिवसेनाके विधान परिषद गुटनेता श्री. दिवाकर रावतेने अभी ही मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाणको यह निवेदन दिया कि ‘सच्चर समितिके कहनेके अनुसार महाराष्ट्र शासनने मदरसोंमें उच्चस्तरका शिक्षण प्राप्त होने हेतु हाल ही में १० करोड रुपएका अनुदान घोषित किया । वास्तविक शासकीय निधिका अर्थात देशके नागरिकोंके करद्वारा प्राप्त निधिका विनियोग सर्वविदित है, तो भी इसे सच्चर समितिके नामपर थोपा गया । अतः इन मदरसोंमें भारत तथा महाराष्ट्रके शासनमान्य रेखाचित्र इस प्रकार लगाने चाहिए कि वे स्पष्टरूपसे दिखाई दें । प्रत्येक मदरसामें भारतका संविधान, राष्ट्रगीत सामूहिकरूपसे गाएं, उसका पाठांतर करें, साथ ही स्वतंत्रतादिवस, प्रजासत्ताक दिन, महाराष्ट्र दिवस मनाएं, शासनद्वारा मदरसोंको अनुदान देनेके निर्णयमें इन सूचनाओंका अंतर्भाव होना चाहिए ।’ इसकी एक नकल(प्रति) शालेय शिक्षणमंत्री, अल्पसंख्यकमंत्री, शिक्षण विभागके अपर मुख्य सचिव तथा अल्पसंख्यक विभागके सचिवको भी भेजी गई है ।
इस निवेदनमें श्री. रावतेने बताया है कि केवल हिंदुस्थानमें ही नहीं, अपितु पूरे विश्वमें मुल्ला मौलवियोंके अधिकारमें रहनेवाले ये मदरसे कडवी धर्माभिमानी पीढीका सृजन करनेवाली शिक्षाके रूपमें सर्वज्ञात हैं । अमेरिकामें आतंकवादके अड्डोंके रूपमें इन मदरसोंके विषयमें खुली संभावना करते समय ही उनपर कडे बंधन लगाए गए हैं । मदरसोंके माध्यमसे ही विश्वमें आतंकवाद उत्पन्न करनेवाले तालिबानकी स्थापना हुई है, यह सर्वश्रुत है ही । ऐसी धार्मिक शैक्षणिक संस्थाको शासकीय आर्थिक सहायता देना, यह घटना सर्व विदित है । यह मत विभिन्न चर्चाओंके माध्यमसे व्यक्त किया गया था । उसी समय शासनके प्रवक्ताद्वारा बताया गया कि यह सच्चर समितिकी कार्यवाहीका ही एक हिस्सा है । मदरसाके प्रत्येक अध्यापककी स्वीकृति शिक्षण विभागद्वारा लेते समय भारतके संविधान, राष्ट्रगीत, महाराष्ट्रका इतिहास, भूगोल, भारतकी स्वतंत्रताका इतिहास विद्यार्थियोंको पढाया जाएगा, अध्यापकोंसे इस प्रकारका प्रतिज्ञापत्र लिखकर लेना चाहिए । मदरसाके प्रत्येक कार्यालयमें भारतके विद्यमान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, छत्रपति शिवाजी महाराजके साथ अन्य राष्ट्रपुरुषोंके छायाचित्र लगाना अनिवार्य होगा । उपर्युक्त सर्व बातोंकी पूर्ति करनेके संदर्भमें मदरसा प्रमुखद्वारा १०० रुपएकी प्रतिपूर्तिपर प्रतिज्ञापत्र लिखकर लेनी चाहिए । इसके अतिरिक्त उन्हें अनुदान प्रदान न करें, यह अनुदान प्रदानके परिपत्रकमें भी अतंर्भूत करना आवश्यक है ।
श्री. रावतेने शासनको यह विनती की कि राज्यमें किसी भी संस्थापर, यदि वह अनुदानित अथवा बिना अनुदानित हो तो उसपर शासनकी धाक होती ही है । इसके अतिरिक्त शिर्डी संस्थान, तुलजापुर, कोल्हापुर, पंढरपुर देवस्थान आदिपर शासनका अर्थात विधि एवं न्याय विभागका नियंत्रण है । मदरसोंके बच्चोंको उच्चस्तरका शिक्षण प्राप्त हो, इसलिए शासन अनुदान प्रदान करे, अतः प्रत्येक तीन मासके पश्चात गुटशिक्षणाधिकारी एवं शिक्षणाधिकारी (प्राथमिक)द्वारा निरंतर जांच कर शिक्षण उपसंचालकोंको वार्षिक ब्यौरा प्रस्तुत करें । साथ ही शिक्षणाधिकारी तथा जनपद अधिकारी हरवर्ष कुछ मदरसोंको भेंट करनेके विषयमें सूचना प्रदान करें । शासन परिपत्रकमें उपर्युक्त बातें आवश्यक ही हैं, इसलिए शासनको उसमें परिवर्तन करना चाहिए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात