अश्विन कृष्ण १०, कलियुग वर्ष ५११५
कांग्रेसके राजनेता हिंदू संतों तथा हिंदूनिष्ठ संगठनोंकी अपकीर्ति करने हेतु किसी भी स्तरतक गिर सकते हैं; अतः हिंदुओंको ऐसा लगता है कि यह उनका ही षडयंत्र है !
-
प.पू. बापूजीके भक्त निर्मल मनके (पापभीरु) हैं !
-
प.पू. बापूजीद्वारा बताए गए साधनाके मार्गदर्शनके अनुसार भक्त पथक्रमण कर रहे हैं !
-
इस प्रकारके भक्त कभी भी अवैध मार्गका अनुकरण नहीं कर सकते !
जोधपुर – अल्पवयीन लडकीका कथित लैंगिक शोषण करनेके संदर्भमें प.पू. आसारामबापूको बंदी बनाया गया । तदुपरांत उन्हें पहले पुलिस कोठरी एवं तदुपरांत न्यायालयीन कोठरी देनेवाले जोधपुर जनपद न्यायालयके न्यायाधीश मनीषकुमार व्यासको धमकीभरा पत्र प्राप्त हुआ है । ‘मैं प.पू. आसारामबापूका भक्त हूं’,यह बतानेवाले किसी कथित भक्तने यह चेतावनी दी है कि ‘प.पू. बापूको कारागृहमें भेजकर आपने बडा पाप किया है, इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे । यदि प.पू. बापूजीको कारागृहसे त्वरित मुक्त नहीं किय गया, तो ध्यानमें रखें ।’ व्यासको टपालद्वारा कर्नाटकके गुलबर्गासे यह पत्र आया है । इस संदर्भमें परिवाद प्रविष्ट किया गया है तथा पुलिसने जांच आरंभ की है । धमकीके कारण न्यायाधीश व्यासकी सुरक्षामें वृद्धि की गई है ।
स्त्रोत : सनातन प्रभात