अश्विन कृष्णपक्ष १२, कलियुग वर्ष ५११५
अब इस बारे में तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादी एवं ईसाई ‘विचारवंत’ क्या कहेंगे, जिन्होंने हिंदूओं पर कंधमल में हुए तथाकथित ईसाईविरोधी हिंसा का आरोप लगाया था । अब स्वामीजी के हत्या के बारे में यह सच सामने आने के बाद, क्या अब ये विचारवंत हिंदू समाज पर गलत आरोप लगाने के लिए हिंदू समाज की क्षमायाचना करेंगे ? क्या मिडिया चैनल इस विषय पर चर्चा लेने का साहस दिखाएंगे ? – संपादक
भुवनेश्वर : स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती हत्याकांड में सोमवार को फुलवाणी अतिरिक्त जिला जज की अदालत ने सभी सात ईसाई अभियुक्तों को दोषी करार दिया है। आगामी तीन अक्टूबर को इनको सजा सुनाई जाएगी।
एक अंग्रेजी रिपोर्ट के अनुसार इन सात ईसाई अभियुक्ताें के नाम है दुर्योधन माजी, मुंडा बडा माजी, सनातन बडा माजी, गर्नाथा चलनसेठ, बिजय कुमार, भास्कर सुना माजी एवं बुद्धदेब नायक । यह सभी धर्मांतरित ईसाई है । इन्होंने अदालत में कहा की इन्होंने स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या की क्योंकि स्वामीजी धर्मांतरित ईसाईयों को हिंदू धर्म में वापस लाने का कार्य कर रहे थे ।
याद रहे २३ अगस्त २००८ को स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की निर्मम हत्या कर दी गई थी। कंधमाल जिले के चकापाद में आश्रम के निकट तुमुडीबंध में कन्याश्रम बनवा कर शिक्षा दान कर रहे लक्ष्मणानंद सरस्वती पहले से ही नक्सलियों के टारगेट पर थे। स्वामी ने धर्मातरण के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था। इस वजह से उन पर कई बार जानलेवा हमले हो चुके थे। जन्माष्टमी के दिन कुछ हमलावरों ने आश्रम परिसर में घुसकर उन्हें गोलियों से भून डाला था। उनके साथ चार सहयोगी भी मारे गए थे।