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गोरक्षा, धर्मरक्षा तथा राष्ट्ररक्षा हेतु देशके साधु-संत इकट्ठे आएं ! – ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त

अश्विन कृष्ण १३, कलियुग वर्ष ५११५

नई देहलीमें अखिल भारतीय संत समितिका संत महाअधिवेशन

नई देहली – धर्मरक्षा एवं गोरक्षा करनी हो, तो राजसत्ता धर्माधिष्ठित होनी चाहिए । राजसत्ता यदि नीतिमान न हो, तो वह धर्म, गोमाता, तथा राष्ट्रकी रक्षा नहीं कर सकता । देशका भ्रष्टाचार तथा बलात्कार भी रोक नहीं सकता । इस हेतु भारतके साधु-संतोंको इकट्ठे आना चाहिए, तथा प्रवचन-कीर्तनके माध्यमसे समाजको जागृत करना चाहिए, श्री वारकरी प्रबोधन महासमितिके संस्थापक तथा अखिल भारतीय संत समिति महाराष्ट्रके महामंत्री ह.भ.प. रामेश्वर महाराज शास्त्रीने गोरक्षा, धर्मरक्षा, तथा राष्ट्ररक्षा इस विषयपर बोलते हुए ऐसा आवाहन किया । वे संत समितिकी ओरसे करोल बाग, नई देहलीमें आयोजित संत महाअधिवेशनमें बोल रहे थे । महाराष्ट्र वारकरी संप्रदायकी ओरसे विचार प्रस्तुत करने हेतु वे संत सम्मेलनमें सम्मिलित हुए थे ।

सभी साधुसंतोंको इकट्ठा होकर जादूटोनाविरोधी अधिनियमका विरोध करना आवश्यक ! – ह.भ.प. शास्त्री महाराज

ह.भ.प. शास्त्री महाराजने कहा, महाराष्ट्रमें कार्यान्वित जादूटोनाविरोधी अधिनियमका सभी साधुसंतोंको इकट्ठा होकर विरोध करना आवश्यक है; क्योंकि कुछ नीच लोग इस देशकी संस्कृति, धर्माचरण प्रणाली, शांति आदि नष्ट करने हेतु देशमें इस प्रकारका अधिनियम लानेके प्रयास कर रे हैं । उसका विरोध करने हेतु सबको कमर कसनी चाहिए । अनेक वृत्तवाहिनियोंसे साधुसंतोंकी अश्लाघ्य आलोचना कर तथा उन्हें विडंबनात्मक पद्धतिसे दिखाकर मानहानि करनेका एककलमी कार्यक्रम आरंभ है । वारकरी संप्रदायमें घुसकर कुछ लोग वारकरी संप्रदायको शासनकर्ताओंकी राजसभामें गिरवी रखनेका प्रयास कर रहे हैं । महाराष्ट्रके वारकरी, वारकरी संप्रदायकी निष्ठाका पालन कर किसी भी प्रकार शासनकर्ताओंके हाथकी कठपुतली न बनें, तथा अपनी मांगें पूरी हुए बिना शांत न बैठें । संस्कृतिभ्रष्ट व्यक्ति सत्तामें हैं; अत: वे भगवान, देश, धर्म तथा संस्कृति भूल गए हैं । भ्रष्टाचार करना, अनीतिका आचरण करना, आदि अपना स्थायी स्वभाव बनाया है, अत: उन्हें समझाने हेतु साधु-संतोंको इकट्ठा आकर विचार करनेकी आवश्यकता है ।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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