इतिहासका विकृतिकरण रोकनेमें अग्रणी ‘हिंदू जनजागृति समिति’

(सूचना : यह विषय अधिवेशनमें भाषणके स्वरुपमे प्रस्तुत किया जाएगा |)

विषयप्रवेश

        इतिहास केवल भूतकालका घटनाक्रम नहीं है, अपितु वह भविष्यके मार्गक्रमणका एक प्रेरणादायक ‘दीपस्तंभ’ है । उस इतिहासको यदि असत्य तथा विकृत बनाकर समाजमनपर अंकित किया जाए, तो राष्ट्र और धर्मकी असीमित हानि हो सकती है । भारतमें ब्रिटिश शासनके कालसे ही हिंदुओंकी भावी पीढीको नपुंसक तथा चरित्रहीन बनानेकी एक सुनियोजित योजना कार्यान्वित हो रही है । इस योजनाका प्रमुख केंद्र शिक्षा-क्षेत्रको बनाया गया है । हिंदू जनजागृति समिति समविचारी संगठनोंकी सहायतासे निरंतर इतिहासके विकृतिकरणका विरोध कर रही है । आज मैं इस आंदोलनका संक्षेपमें ब्यौरा लेनेका प्रयास करता हूं ।


सारणी


१. शालेय पाठ्यपुस्तकोंमें विकृतिकरणका किया गया विरोध तथा प्राप्त सफलता !

        शालेय पाठ्यपुस्तकोंका पाठ्यक्रम बनानेवाली ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद’ (एन्सीईआर्टी)के समान कुछ संस्थाएं, विद्यालय एवं विविध राज्योंके शिक्षा मंडल हिंदूविरोधी और विकृत इतिहास प्रस्तुत करते हैं । हिंदुओंका स्वाभिमान जाग्रत न हो, इसके लिए भारतको हर प्रकारसे लूटनेवाले मुसलमान आक्रमणकारियोंकी प्रशंसा, क्रांतिकारियोंका अनादर तथा भारतको नया रूप  देनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराजके समान राजाओंको इतिहासकी पाठ्यपुस्तकोंमें नगण्य स्थान दिया गया है । यह विकृतिकारकोंकी नीति है । इन सर्व शिक्षा मंडलोंके विरोधमें समितिका आंदोलन चल रहा है; परंतु प्रमुखतासे ‘एन्सीईआर्टी’के विरोधमें समितिद्वारा महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गोवा इत्यादि चार राज्योंमें किया गया आंदोलन तथा प्राप्त सफलता आपके समक्ष प्रस्तुत है ।

प्रथम ‘एन्सीईआर्टी’के पाठ्यक्रमके कुछ उदाहरण

        मुगल साम्राज्यकी स्थापना करनेवाला बाबर ‘नीतिवान’ था । हिंदुओंपर अनन्वित अत्याचार करनेवाला एवं सहस्त्रो हिंदू स्त्रियोंका शीलभंग करनेवाला हिंदूद्वेषी अकबर एक ‘महान राज्यकर्ता’ तथा ‘सर्वधर्म-समभावी’ था । तेजोमहालय’ नामक शिवमंदिरके ऊपर ‘ताजमहल’ निर्माण करनेवाले तथा अनेक मंदिर ध्वस्त करनेवाले शाहजहांकी प्रशंसा की गई है । यह असत्य एवं विकृत इतिहास परिवर्तित कर सत्य इतिहास विद्यार्थियोंको पढाए जानेके लिए समितिद्वारा विविध राज्योंमें किए गए प्रयास प्रस्तुत हैं ।

१ अ. महाराष्ट्र

        ‘एन्सीईआर्टी’ने सातवीं कक्षाकी इतिहासकी पुस्तकमें छत्रपति शिवाजी महाराजके दैदीप्यमान इतिहासका उल्लेख बिना उनके चित्रके, केवल ४ पंक्तियोंमें किया है तथा भारतको लूटनेवाले तथा भारतीय संस्कृतिका भंजन करनेवाले मुगल आक्रमणकारियोंका इतिहास ६० पृष्ठोंमें वर्णित किया है । यह जानकारी समितिको प्राप्त होनेपर प्रथम जनप्रतिनिधियोंको जाग्रत करनेके लिए महाराष्ट्र विधानसभाके समक्ष समिति, वारकरी संप्रदाय तथा सनातन संस्थाद्वारा संयुक्त रूपसे मोर्चा निकाला गया; किंतु शासनद्वारा किसी प्रकारकी कार्यवाही नहीं की गई । इस प्रकरणमें समितिद्वारा विविध आंदोलनोंके माध्यमसे अनुवर्ती प्रयास किए जा रहे हैं ।

१ आ. गोवा

        प्रारंभमें ‘एन्सीईआर्टी’के गोवा शासनको ज्ञापन देकर इतिहासका विकृतिकरण करनेवाली पाठ्यपुस्तक परिवर्तित करनेकी मांग की गई तथा हिंदू जनजागृति समितिने महाराष्ट्रसहित गोवा राज्यमें भी राज्यव्यापी आंदोलन प्रारंभ किया । समितिने विविध संगठनोंके पदाधिकारी, प्रधानाध्यापक, अध्यापक, अभिभावक (पालक), शिक्षाप्रेमी, इतिहासप्रेमी और विद्यार्थी इत्यादिको संगठित कर पणजीमें १ अप्रैल २००९ को राज्यव्यापी आंदोलन छेडा एवं शासन, प्रशासन और गोवा शालांत मंडलोंको चेतावनी दी । इस आंदोलनमें मराठी राज्यभाषा प्रस्थापन समिति, शिवसेना, दिव्य जागृति ट्रस्ट और हिंदू महासभा इत्यादि संगठन सम्मिलित हुए थे । आठ माहके आंदोलनके परिणामस्वरूप गोवा शालांत मंडलने उक्त पाठ्यपुस्तकमें मुगलोंकी प्रशंसा करनेवाले दो पाठ हटाकर उनके स्थानपर गोवाका इतिहास समाविष्ट करनेका निर्णय किया । ‘एन्सीईआर्टी’की पाठ्यपुस्तकें केंद्रशासनद्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं; परंतु प्रत्येक राज्यशासनको उनमें २० प्रतिशत परिवर्तन करनेका अधिकार है । उसके अनुसार गोवा राज्यशासनद्वारा यह निर्णय लिया गया । समितिद्वारा मांग की गई है कि ‘छत्रपती शिवाजी महाराजके संपूर्ण कार्यकी जानकारी विद्यार्थियोंको दी जाए’, ‘एन्सीईआर्टी’की इतिहासकी पाठ्यपुस्तकोंमें प्रकाशित अनुचित इतिहासकी जांच की जाए तथा उनका पुनः अभ्यास किया जाए’, प्रत्येक पाठ्यपुस्तकमें राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’का समावेश किया जाए ।’ समिति उक्त मांगोंके संदर्भमें अनुवर्ती प्रयास भी कर रही है ।

१ इ. अन्य राज्य

        आंध्रप्रदेश और कर्नाटक प्रदेशके कुछ जनपदोंमें भी समितिद्वारा इस प्रकारका आंदोलन किया गया है । कर्नाटक राज्यमें इस आंदोलनके निमित्त इतिहासकारोंकी बैठकोंका भी आयोजन किया गया । ऐसे अनेक प्रदेश हैं जहां ‘एन्सीईआर्टी’का विकृत इतिहास पढाया जा रहा है । उस इतिहासको परिवर्तित करनेके लिए हम सभीको संगठित रूपसे प्रयास करने चाहिए ।

२. चलचित्र (चित्रपट) और नाटकोंमेंसे होनेवाले विकृतिकरणके विरोधमें की गई लडाई तथा प्राप्त सफलता !

२ अ. ‘जोधा-अकबर’ चलचित्रका विरोध


स्त्रीलोलुप अकबरसे स्वयंके शीलकी रक्षाके लिए हिंदू स्त्रियोंने जौहार कर आत्मदाह किया । उन स्त्रियोंका अपमान करनेवाले एवं अत्याचारी अकबरकी प्रशंसा करनेवाले जोधा-अकबर नामक चलचित्रके विरोधमें हिंदू जनजागृति समितिने अनेक स्थानोंपर आंदोलन किए । इस आंदोलनके अंतर्गत प्रथम ‘चलचित्र प्रमाणन बोर्ड’ अर्थात ‘सेन्सर बोर्ड’में शिकायत की गई । इसके साथ ही स्थान-स्थानपर चलचित्रगृहके मालिकोंसे समितिके शिष्टमंडलने भेंट की तथा चलचित्र प्रदर्शित न करनेकी मांग की । उस समय स्थानीय राजपूत समाजको जाग्रत किया गया तथा उन्हें भी आंदोलनमें सम्मिलित किया गया । समितिके निवेदनके कारण कुछ चलचित्रगृहोंमें यह चलचित्र प्रदर्शित नहीं किया गया तथा अनेक स्थानोंपर प्रबोधनके कारण हिंदुओंने इस चलचित्रका बहिष्कार किया ।

२ आ. ‘सन्स ऑफ बाबर’


केंद्रीय कानून और अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीदने मुगल सम्राट बाबरकी प्रशंसा करनेवाला नाटक ‘सन्स ऑफ बाबर’ रंगभूमिपर लाया है । इस नाटकका समितिने स्थान-स्थानपर विरोध किया है । गोवामें विरोध होनेके उपरांत भी यह नाटक पुलिसकी सुरक्षामें प्रस्तुत किया गया । राष्ट्रपति भवनमें राज्यपालोंकी परिषदमें यह नाटक प्रदर्शित होनेकी सूचना समितिको मिलनेपर इस नाटकपर रोक लगानेके संदर्भमें समितिद्वारा राष्ट्रपतिको पत्र भेजा गया । समितिके विरोधपर दिल्ली पुलिसद्वारा समितिकी भूमिकाका अवलोकन किया गया । दिल्लीकी ‘सुदर्शन’ वाहिनीद्वारा इस विषयपर समितिकी भूमिकाका प्रसारण किया गया तथा समितिका संदेश जनमानसतक पहुंचाया । समितिके विरोधके कारण मुंबईके ‘इस्कॉन’ मंदिरमें इस नाटकका प्रदर्शन रद्द किया गया ।

३. विकृतिकरण रोकनेके लिए समाजको सत्य इतिहास बतानेका प्रयास

        इतिहासका विकृतिकरण रोकनेके साथ हिंदू समाजद्वारा ही विकृत इतिहासके माध्यमोंको अस्वीकार किया जाना चाहिए । इस हेतु ‘हिंदू जनजागृति समिति’की युवा शाखा ‘धर्मशक्ति सेना’द्वारा हिंदुओंमें हिंदुओंका तेजस्वी इतिहास अंकित करने हेतु आगे दिए गए विविध उपक्रमोंका आयोजन किया जा रहा है ।

३ अ. क्रांतिकारी, राष्ट्रपुरुषोंकी जयंती और पुण्यतिथि मनाना तथा उसके द्वारा उनके चरित्रका प्रसार करना

        क्रांतिकारियोंके स्मृतिस्थलके निकटके नागरिकोंको एकत्रित कर वहां समितिकी ओरसे उनका स्मृतिदिन मनाया जाता है । क्रांतिकारियोंके स्मृतिस्थलका महत्त्व तथा सुव्यवस्था बनाए रखनेके लिए स्थानीय लोगोंका प्रबोधन किया जाता है । इसके साथ ही पाठशालाओंमें क्रांतिकारियोंके स्मृतिदिन मनाकर विद्यार्थियोंके राष्ट्रप्रेममें वृद्धिका प्रयास किया जाता है । व्याख्यान, प्रदर्शन और पत्रक द्वारा क्रांतिकारियों तथा राष्ट्रपुरुषोंकी जीवनीका प्रसार किया जाता है । विविध समाचार-पत्रोंमें लेख छापकर क्रांतिकारियों और राष्ट्रपुरुषोंके त्यागकी स्मृति जाग्रत करनेके लिए ‘हिंदू जनजागृति समिति’की युवा शाखा ‘धर्मशक्ति सेना’ प्रयासरत है ।

३ इ. अफजलखानवधका सिक्का प्रचारित करने हेतु केंद्रीय वित्त मंत्रालयके सचिवको पत्र

        अल्पसंख्यकोंकी चापलूसी करनेवाला केंद्रशासन ‘क्रॉस’, सेंट अल्फान्सो और सेंट मदर टेरेसा इत्यादिके छायाचित्रोंके सिक्के तथा डाक टिकट प्रचलित करता है । इस कारण ‘हिंदू जनजागृति समिति’ने केंद्रशासनके वित्त मंत्रालयसे मांग की है कि छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा किए गए अफजलखानके वध और स्वातंत्र्यवीर सावरकरकी मार्सेलिस बंदरगाहपर ऐतिहासिक छलांगके छायाचित्रके सिक्के तथा डाक टिकट प्रचलित किए जाएं ।

३ ई. जालस्थलके माध्यमसे विशेष प्रबोधन

        समितिके जालस्थलसे विकृतिकरणके विरोधमें निषेध आंदोलन किया जाता है । हिंदुओंके तेजस्वी इतिहासका पृथक स्तंभ समितिके जालस्थानपर उपलब्ध है । प्रतिमाह साधारणतः ३० सहदासे अधिक बार इस संदर्भमें लेख पढे जाते हैं ।

४. विकृतिकरणके विरोधमें कार्यकी आगामी दिशा

        विकृतिकरणके संदर्भमें यह आंदोलन अन्य संगठनोंके माध्यमसे अविरत चलता रहेगा; परंतु भारतके अनेक राज्य ऐसे हैं जहां अल्प मनुष्यबलके कारण समिति पहुंचनेमें असमर्थ है । इस कारण समिति संपूर्ण भारतसे आए हुए सर्व संगठनोंसे निवेदन करती है कि आप भी आपके क्षेत्रमें होनेवाले विकृतिकरणको रोकनेका प्रयास करें ! इस संदर्भमें समितिद्वारा तैयार की गई प्रदर्शनी अथवा अन्य साहित्य हम आपको उपलब्ध करवाएंगे । हमें विश्वास है कि हम सभीके प्रयासोंसे निश्चित ही कुछ वर्षोंमें हिंदू समाज ही विविध माध्यमोंसे होनेवाले विकृतिकरणका विरोध स्वयंकी पद्धतिसे करेगा ।

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