हिंदुओंकी आकाशवाणी क्यों आवश्यक है ?

(सूचना : यह विषय अधिवेशनमें भाषणके स्वरुपमे प्रस्तुत किया जाएगा |)

प्रस्तावना

         ‘विज्ञान तथा तंत्रज्ञान जैसे-जैसे प्रगत हो रहा है, वैसे-वैसे सूचना एवं तंत्रज्ञान क्षेत्रके प्रत्येक घटकको महत्त्व प्राप्त हो रहा है । जब दूरदर्शनका प्रभाव बढ रहा था, उस समय जन-जन तक पहुंचा आकाशवाणीका माध्यम कालबाह्य हो जाएगा, यह आशंका निर्माण हुई थी । किंतु, वर्तमानमें आकाशवाणीका प्रभाव अचानक बढने लगा है ।

 

सारणी


 

१. हिंदू आकाशवाणी चलानेके लिए हिंदुत्ववादी आगे आएं !

         अधिकांशतः हिंदुत्ववादी संगठनोंके पास नियतकालिक, जालस्थान (वेबसाइट) इत्यादि प्रसारमाध्यम होते हैं । किंतु, हिंदूहितोंकी रक्षा हेतु दूरदर्शन-प्रणाल (टी.वी. चैनल) तथा आकाशवाणी ये दोंनो माध्यम नहीं हैं; इसका ज्ञान सभी हिंदुत्ववादी संगठनोंको है तथा वे ‘हिंदू दूरदर्शन-प्रणाल’की आवश्यकताका अत्यंत तीव्रतासे अनुभव करते हैं । ‘सुदर्शन’ तथा ‘श्रीराम’समान कुछ दूरदर्शन-प्रणाल हिंदुओंका पक्ष दृढतासे प्रस्तुत कर रहे हैं । अर्थात हिंदू दूरदर्शन-प्रणालकी आवश्यकता आंशिकरूपसे ही क्यों न हो, पूरी हुई है । किंतु, आकाशवाणीकी आवश्यकता अभीतक पूरी नहीं हुई है । हिंदुत्ववादी संगठनोंमें हिंदुओंकी आकाशवाणी आरंभ करनेके विचारको गति मिले तथा उपस्थित हिंदुत्ववादियोंको इस कार्यके लिए प्रेरणा मिले, इस उद्देश्यसे यह विषय मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं । हिंदुओंकी आकाशवाणी आरंभ करनी हो, तो वह किस विचारप्रणालीसे चलाई जाएगी, इसकी कुछ प्रमुख बातें आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं ।

२. आकाशवाणी और उसका महत्त्व !

         वर्तमानमें सूचना एवं तंत्रज्ञान प्रगत होनेपर भी आकाशवाणी समान पुराने संचार माध्यमके विषयमें हम क्यों चर्चा कर रहे हैं, यश प्रश्न किसीके भी मनमें उत्पन्न होना स्वाभाविक है । बदलते सामाजिक समीकरणमें ही इस प्रश्नका उत्तर आपको मिलेगा ।

२ अ. लागतमूल्य अल्प

         आकाशवाणी आरंभ करनेमें दूरदर्शन-प्रणालकी तुलनामें धन और श्रमशक्ति अल्प लगती है । आकाशवाणीके माध्यमसे सभी प्रकारके कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं । यह माध्यम सामान्यजनोंके लिए भी अल्प लागतमूल्यका है ।

२ आ. सुलभताके कारण बढता श्रोतावर्ग !

         आकाशवाणीके कार्यक्रम कहीं भी सुने जा सकते हैं । दूरदर्शन-प्रणालके कार्यक्रम जिस प्रकार समय निकालकर देखने पडते हैं, वैसा आकाशवाणीके विषयमें नहीं है । दैनिक कार्य करते हुए भी गृहिणी, वयोवृद्ध, अल्पशिक्षित व्यक्ति आदि सभी जन इस माध्यमका उपयोग कर सकते हैं तथा यह साधन खोलना और बंद करना भी सरल है ।

         आधुनिक विश्व अत्यंत भागदौडभरा होनेके कारण अधिकांश लोगोंको प्रतिदिन यात्रा करनी पडती है । ऐसे कुछ कोटि लोगोंमें आकाशवाणी एक लोकप्रिय माध्यम बनता जा रहा है । आगामी कालमें आकाशवाणीकी लोकप्रियता और बढती जाएगी ।

२ इ. लोकसंग्रहके लिए प्रभावी माध्यम !

         आकाशवाणीपर ‘फोन इन’ कार्यक्रमके माध्यमसे श्रोताओंसे सीधे संबंध बनाना, उनके प्रश्नोंके उत्तर देना इत्यादि संभव है । प्रतिदिन चल रहे संवादके कारण हिंदू आकाशवाणी चलानेवाले संचालकोंके प्रति श्रोताओंके मनमें श्रद्धा निर्माण होती है । इस कार्यक्रमके माध्यमसे हिंदुत्वके लिए कार्य करनेवाले निचले स्तरके धर्माभिमानियोंको ढूंढना भी सरल है । इस प्रकार श्रोताओंसे सीधे संपर्क होनेके कारण लोकसंग्रहके लिए यह एक प्रभावी माध्यम बनेगा ।

२ ई. हिंदुओंसे संपर्क करनेके लिए महत्त्वपूर्ण !

         आकाशवाणीसे संकटपूर्ण कालमें हिंदुओंको महत्त्वपूर्ण सूचना देकर एक-दूसरेकी सहायता करना तथा अत्यावश्यक संदेशोंका आदान-प्रदान करना सुलभ होगा ।

३. श्रोताओंकी अभिरुचि परिष्कृत करनेकी आवश्यकता !

         आजकल इस माध्यमका उपयोग संगीत तथा घटिया विनोद सुननेके लिए हो रहा है । आकाशवाणीके श्रोताओंका रुचिपरिवर्तन कर उन्हें धर्म और अध्यात्मकी ओर मोडना सरल होगा । जब हमने दूरदर्शन-प्रणालके लिए ‘धार्मिक कृत्योंका शास्त्र’ तथा ‘अध्यात्मशास्त्र’ इस विषयसे संबंधित सत्संगश्रृंखलाका चित्रमुद्रण आरंभ किया, उस समय मनोरंजनके लिए एकसे बढकर एक सैकडों दूरदर्शन-प्रणाल थे । इस कारण, ‘क्या सनातन-निर्मित सत्संगश्रृंखला दर्शकोंको भाएगी’, यह शंका हमारे मनमें बार-बार उत्पन्न हो रही थी । किंतु, अल्पावधिमें ही यह सत्संगश्रृंखला न केवल भारतमें, अपितु मध्य-पूर्व एशियामें भी लोकप्रिय हुई । प्रयत्न करनेपर लोगोंकी रुचिमें भी परिवर्तन किया जा सकता है, यह सूत्र इस घटनासे हमें सीखनेके लिए मिला । आकाशवाणी क्षेत्रमें भी ऐसा प्रयत्न करनेपर, आज संगीत तथा विनोद सुननेमें मग्न श्रोतावर्ग राष्ट्र, धर्म एवं अध्यात्मके विषयोंसे संबंधित विचार सुनते दिखाई देंगे ।

४. राष्ट्रहित और धर्महित का पोषण करनेवाले कार्यक्रम आरंभ करना संभव !

         आकाशवाणीके कार्यक्रमोंकी रूपरेखा हिंदुत्व एवं हिंदू राष्ट्रकी स्थापनाके लिए पूरक होनी चाहिए । इसके लिए कार्यक्रमोंकी रचना निम्नानुसार करें –

४ अ. श्रोताओंको प्रत्येक घटनाकी ओर राष्ट्र और धर्म के हितकी दृष्टिसे देखना सिखाना !

         आकाशवाणी माध्यमकी ओर ‘विविध समाचार देनेवाला महत्त्वपूर्ण स्त्रोत’, इस दृष्टिसे देखा जाता है । लोगोंकी यह रुचि ध्यानमें रखकर हिंदू आकाशवाणीपर विविध घटनाओंसे संबंधित समाचार देने चाहिए । किंतु, ऐसा करते समय प्रत्येक घटनाकी ओर राष्ट्र एवं धर्म हितकी दृष्टिसे कैसे देखना चाहिए, इसका प्रशिक्षण भी श्रोताओंको देना होगा । उदा. किसी नगरमें मुसलमानोंने दंगा किया, तो मूर्तिभंजन, धर्म-परिवर्तन आदि घटनाएं रोकनेके लिए क्या किया जाए, इससे संबंधित मार्गदर्शन भी इस आकाशवाणीसे प्रसारित करना चाहिए । उसी प्रकार, राष्ट्रहितके लिए बाधक भ्रष्टाचारकी घटनाएं होनेपर उसके विरोधमें सामान्य जनता कैसे लडे, इससे संबंधित प्रबोधन भी प्रसारित करना चाहिए । इस प्रकारके वार्ता प्रसारणसे श्रोताओंको सर्व घटनाओंका विश्लेषण करनेकी आदत लगेगी, जिससे जनजागृतिका उद्देश्य सफल होगा । समाजको विचार करनेके लिए प्रवृत्त करनेवाले समाचारोंका संकलन एवं मुद्रण ‘सनातन प्रभात’के नियतकालिकोंमें गत १२ वर्षोंसे अविरत हो रहा है तथा उसका सकारात्मक परिणाम भी दिखाई देने लगा है ।

४ आ. धर्मशिक्षा देनेके लिए प्रभावी उपयोग करना

         त्यौहार, धार्मिक उत्सव तथा व्रत क्यों करने चाहिए ? उन्हें धर्मशास्त्रकी दृष्टिसे कैसे मनाना चाहिए ? धार्मिक कृत्योंके पीछे अध्यात्मशास्त्रीय कारण क्या है ? उन्हें कैसे करना चाहिए ? दैनिक धर्माचरणका महत्त्व क्या है, अध्यात्मका जीवनमें क्या महत्त्व है ? प्रतिदिन कौन-सी साधना करनी चाहिए ? इत्यादि विषयोंपर मार्गदर्शक कार्यक्रम आकाशवाणीपर आयोजित किए जा सकेंगे । वर्तमान समाज अपनेआपको कितना भी विज्ञानवादी समझ ले, उसमें अभी भी श्रद्धा शेष है । इस कारण ऐसे कार्यक्रम समाजको निश्चित अच्छे लगेंगे ।

४ इ. धर्मरक्षा हेतु प्रबोधन करना

         हिंदू धर्मपर होनेवाले आघात, उदा. धर्म-परिवर्तन, लव जिहाद, मंदिरोंकी पवित्रता बनाए रखनेके विषयमें तथा उनकी रक्षाके विषयमें अत्यंत अनास्था एवं देवताओंका अनादर ऐसे विविध विषयोंपर समाजका प्रबोधन किया जा सकेगा ।

४ ई. राष्ट्रीय अस्मिता जाग्रत करना

         वर्तमान समाजको प्राचीन ऋषि-मुनियों, राजामहाराजाओंका कार्य ज्ञात नहीं है । इस कारण उनके मनमें यह भावना रूढ हो गई है कि पश्चिमी शोधकर्ता एवं राजाओंका कर्तृत्व अत्यंत महान है । आकाशवाणीसे इस विषयपर लोकशिक्षा प्रदान करनेपर वर्तमान समाजकी राष्ट्रीय अस्मिता जाग्रत होगी ।

४ उ. बच्चोंपर संस्कार करना

         भविष्यकालीन आदर्श समाजरचनाके लिए बच्चोंपर सुसंस्कार होना तथा बाल्यावस्थामें ही उनके मनमें राष्ट्र एवं धर्मके प्रति अभिमान जाग्रत होना अत्यावश्यक है । यह कार्य आकाशवाणीपर बालसंस्कारवर्ग आयोजित कर किया जा सकेगा ।

५. हिंदू आकाशवाणीकी सहायता करना, प्रत्येक हिंदुत्ववादी संगठनका धर्मकर्तव्य !

         हिंदू धर्महितमें आरंभ किया गया कोई भी कार्यक्रम निरंतर जारी रखनेकी क्षमता किसी एक हिंदुत्वनिष्ठ संगठनमें नहीं होती । अतः, इस कार्यमें सर्व हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंका सम्मिलित होना आवश्यक है । कल किसी हिंदुत्वनिष्ठ संगठनने हिंदू आकाशवाणीका प्रारंभ किया, तो उसे सर्व संगठन अपनी-अपनी क्षमतानुसार सहायता करें, यह हमारा धर्मकर्तव्य होगा ।

५ अ. समाचार भेजना

         सर्व हिंदुत्वनिष्ठ संगठन निरंतर कोई-न-कोई कार्यक्रम करते रहते हैं । उससे समाजमें जागृति भी होती रहती है । ऐसे कार्यक्रमोंके समाचार हिंदू आकाशवाणीको भेजनेकी सेवा हम सब अवश्य करें । आधुनिकताके कारण हिंदू राष्ट्रकी स्थापनामें प्रसारमाध्यमोंकी भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहेगी । ‘हिंदू आकाशवाणी’ आरंभ करनेके कार्यको गति प्राप्त हो, यह मैं ईश्वरचरणोंमें प्रार्थना कर, वाणीको विराम देता हूं ।’

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