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हिंदुत्वनिष्ठ संगठनोंपर अन्याय होनेकी स्थितिमें राष्ट्रीय स्तरपर क्या करें?

(सूचना : यह विषय अधिवेशनमें भाषणके स्वरुपमे प्रस्तुत किया जाएगा |)

प्रस्तावना

        हिंदुवादी संगठनोंपर होनवाले अत्याचारोंका स्वरूप कितना गंभीर है, यह हमने समझ लिया है । इन सब प्रकरणोंमें हिंदुवादी संगठनोंको समूल नष्ट करनेका सत्ताधारियोंका हेतु छिपा नहीं है । किसी हिंदुत्ववादी संगठनका नष्ट होना, यह केवल उस संगठनकी हानितक सीमित नहीं है, अपितु यह संपूर्ण हिंदुत्ववादी कार्यकी ही हानि है । किसी हिंदू-संगठनका कार्य रोकनेमें हिंदू-विरोधियोंको सफलता मिलना, अन्य हिंदुत्ववादी संगठनोंका कार्य रोकनेवालोंकी विचारशक्तिको बल प्रदान करने समान है । अतः, किसी भी हिंदुत्ववादी संगठनपर प्रतिबंध न लगे, इसके लिए प्रयत्न करना, अधिक श्रेयस्कर है । जब हिंदुविरोधी किसी संगठनको घेरनेका प्रयत्न करते हैं, उस समय उस संगठनके समक्ष अनेक चुनौतियां एक ही समय खडी हो जाती हैं । उन सब चुनौतियोंसे एक ही समय लडना उस संगठनके लिए संभव होगा ही, ऐसा नहीं है । इस कारण, अन्य संगठनोंको उन कठिन प्रसंगोंमें पांच पांडवोंके समान एकजुट होकर पूरी शक्तिके साथ उस संगठनके पीछे खडा हो जाना आवश्यक है । किसी संगठनके पीछे ऐसी शक्ति खडी करते समय अपना नियमित कार्य खंडित होनेकी संभावना होती है । उस समय अपने संगठनके नियमित कार्यका विचार न कर, उसकी थोडी हानि हो जाए, हमें कुछ कष्ट भोगना पडे, तो भी चलेगा । किंतु, संकटमें पडे हिंदुत्ववादी संगठनके पीछे पूरी शक्तिके साथ खडे रहना हमारा धर्मकर्तव्य बनता है । कर्तव्यभावसे, मनमें कोई अपेक्षा न कर, यह धर्मकर्तव्य हमें पूरा करना होगा । ऐसे प्रसंगोंमें हम क्या-क्या कर सकते हैं, इसका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करनेके लिए मैं आपके सम्मुख खडा हूं ।


सारणी


 

 

 

१. हिंदुत्ववादी संगठनोंके पीछे पूरी शक्तिके साथ कैसे खडे रहें ?

१ अ. सत्ताधारियोंपर दबाव निर्माण करनेके लिए हिंदुओंके सब संगठनोंद्वारा अपने-अपने राज्योंमें मिलकर वैध मार्गसे एकदिवसीय आंदोलन इत्यादि कार्यक्रम करना

        हिंदुवादी संगठनोंको हानि पहुंचानेका कार्य प्रायः सत्ताधारी लोगही करते हैं । ऐसेमें सत्ताधारियोंपर दबाव निर्माण करनेकी दृष्टिसे कौन-कौनसी बातें वैध मार्गसे की जा सकती हैं, हमें उनका प्रधानतासे विचार करना चाहिए । इन प्रयत्नोंमें आंदोलन एक महत्त्वपूर्ण घटक है । किसी भी राज्यमें कोई संगठन संकटमें पड जाए, तो अन्य राज्योंके सभी संगठन अपने-अपने राज्योंमें उसके बचावके लिए आंदोलन छेडें । अपने-अपने राज्यके शासकोंको उस विषयमें ज्ञापन दें । उस संगठनपर होनेवाले अत्याचारोंके विषयमें अपने राज्यकी जनभावनाएं कितनी उग्र हैं, यह राज्यशासनको समझमें आए, इसके लिए हस्ताक्षर अभियान चलाएं तथा उन हस्ताक्षरोंको अपनी मांगोंके ज्ञापनके साथ जोडकर राज्यशासनको सौंप दें ।

        जो संगठन राज्यकी तथा देशकी राजधानीमें आंदोलन कर सकते हैं, वे उस ढंगसे प्रयत्न करें। आंध्रप्रदेशमें जब श्री. राजा सिंग ठाकुरजीको बंदी बनाया गया, तब भगतसिंह क्रांतिसेनाके कार्यकर्ताओंने समविचारी संगठनोंको साथ लेकर दिल्लीमें आंदोलन आरंभ किया । जनजागृतिकी दृष्टिसे उसका सकारात्मक प्रभाव प्रसारमाध्यमों तथा जनतापर दिखाई दिया ।

१ आ. सब संगठन अपने-अपने राज्योंमें पत्रकार परिषद आयोजित कर शासनकी दमनशक्तिका धिक्कार करें

        सब संगठन अपने-अपने राज्योंमें पत्रकार परिषदोंका आयोजन कर हिंदुत्ववादी संगठनोंपर लादी जानेवाली दमननीतिका तीव्र शब्दोंमें धिक्कार करें । इस पत्रकार परिषदको संबोधित करते समय अन्य हिंदुत्ववादी संगठनके नेताओंको मंचपर आमंत्रित करें तथा उन्हें भी बोलनेका अवसर प्रदान करें । उसी प्रकार, उस दमनकारी नीतिका कितने संगठन संगठितरूपसे विरोध कर रहे हैं, उसका उल्लेख उस पत्रकार परिषदमें अवश्य करें तथा प्रेस-विज्ञप्तिमें उन संगठनोंके नामोंका उल्लेख करें । जिस संगठनपर अन्याय हो रहा है, उस संगठनके प्रतिनिधि आपके क्षेत्रमें हों, तो उन्हें भी उस पत्रकार परिषदके मंचपर आमंत्रित करें । उस समय उन्हें अपने संगठनपर होनेवाला अन्याय व्यक्त करनेका अवसर दें ।

१ इ. जिस संगठनपर अन्याय हो रहा है, उसके द्वारा आयोजित पत्रकार परिषदमें देशभरके अन्य संगठनोंके प्रमुखोंका उपस्थित रहकर राज्यकर्ताओंको चेतावनी देना

        जिस संगठनपर अन्याय हो रहा है, उस संगठनद्वारा आयोजित पत्रकार परिषदमें अन्य संगठनोंके प्रमुख उपस्थित रहकर राज्यकर्ताओंको चेतावनी दें । पत्रकार परिषदमें उपस्थित रहना संभव न होनेपर अपने संगठनका समर्थनपत्र अन्यायपीडित संगठनके पास भेजें ।

१ ई. संगठनोंके पास उपलब्ध प्रचारमाध्यमोंद्वारा हिंदुत्वनिष्ठोंपर होनेवाले अत्याचारको प्रचारित करना

        जिन संगठनोंके अपने मुखपत्र, जालस्थान (वेबसाइट), अन्य सामाजिक जालस्थान अथवा दूरदर्शनप्रणाल (टी.वी. चैनल) है, वे किसी संगठनके साथ होनेवाला अन्याय उजागर करें । ऐसे प्रकरणोंके संदर्भमें होनेवाली गतिविधियोंके विषयमें समय-समयपर समाजको समाचार देते रहें । इससे वह विषय समाजके ध्यानमें रहनेमें सहायता होती है । आगे चलकर इन प्रकरणोंके आधारपर समाजप्रबोधन करना सरल होगा ।

१ उ. स्थानीय कार्यक्रमोंके माध्यसे हिंदुत्वनिष्ठोंपर होनेवाले अत्याचार समाजको बताना

        सभी हिंदुत्ववादी संगठन विविध विषयोंसे संबंधित कार्यक्रमोंका निरंतर आयोजन करते रहते हैं । जब किसी संगठनपर अत्याचार होता है, उस समय ऐसे कार्यक्रमोंके माध्यमसे उसे समाजके सामने रखें । इस प्रकारसे अत्याचार रोकनेके विषयमें समाजप्रबोधन कर समाजको क्रियाशील करनेके लिए प्रत्येक अवसरका प्रभावी उपयोग करें ।

१ ऊ. अत्याचार-पीडित संगठन एवं उनके कार्यकर्ताओंको सांत्वना (मानसिक आधार) देना

        किसी संगठनपर अत्याचार होते समय बार-बार आनेवाले संकटोंके कारण उस संगठनके नेतागण एवं कार्यकर्ताओंपर मानसिक दबाव आनेकी संभावना अधिक होती है । ऐसे प्रसंगोंमें हिंदुओंमें बंधुभाव बढानेके लिए उन नेताओंको सांत्वना दें । उसी प्रकार, उस संगठनके कार्यकर्ताओंका मनोबल न टूटे, इस हेतु उनके संपर्कमें रहकर उनकी पूछताछ करते रहनेके लिए अपने कार्यकताओंको अवश्य कहें ।

१ ए. संगठनके नेताओं तथा कार्यालयको सुरक्षा प्रदान करना

        किसी संगठनकी जांच होते समय अथवा किसी अन्य कारणसे उस संगठनके नेताओंपर अथवा कार्यालयोंपर हिंदूविरोधियोंद्वारा आक्रमण किए जानेकी घटनाएं होती हैं । इस प्रकारकी कोई समस्या उत्पन्न होनेकी संभावना हो, तो सर्व हिंदुत्ववादी संगठन अपने कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओंको उस संगठनके नेताओं, कार्यकर्ताओं की सुरक्षाके लिए अवश्य भेजें । सर्व हिंदुत्ववादी संगठन यहां एक बात ध्यानमें रखें कि आज जिस संगठनपर अत्याचार हो रहा है, कल हमपर भी हो सकता है । उस संगठनके पक्षमें हम आज खडे रहेंगे, तो ही आगामी कालमें हमारी रक्षा होगी ।

 

२. अन्यायपीडित संगठन अन्यायके विरुद्ध कैसे लडें ?

२ अ. स्वयंपर होनेवाले अन्यायके विरुद्ध राज्य तथा ‘केंद्रीय मानवाधिकार आयोग’के पास शिकायत दर्ज करवाना

        अन्यायपीडित संगठन स्वयंपर होनेवाले अन्यायके विरुद्ध राज्य तथा केंद्रीय ‘मानवाधिकार आयोग’में एवं आवश्यकतानुसार ‘महिला आयोग’में भी शिकायत दर्ज करें । ‘राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण’ने (‘एनआईए’ने) मडगांव प्रकरणमें पूछताछके समय ‘सनातन संस्था’के कर्नाटकस्थित कुछ साधकोंसे अन्यायकारी ढंगसे आचरण किया था । उस समय सनातन संस्थाने ‘शून्य सहनशीलता’की नीति अपनाकर उनके विरुद्ध ‘मानवाधिकार आयोग’में तथा ‘महिला आयोग’में तुरंत शिकायतें दर्ज करवार्इं । उसी प्रकार, ‘एनआईए’के अन्यायकारी आचरणके विषयमें पत्रकार परिषद भी बुलाई । परिणामस्वरूप उन अधिकारियोंका अन्यायकारी आचरण तुरंत रुक गया । इसी नीतिका सर्वत्र उपयोग कर हिंदुत्ववादी संगठनोंके साथ अन्वेषी अभिकरणोंका अन्यायकारी व्यवहार रोका जा सकेगा !

२ आ. हिंदुत्वनिष्ठ अधिवक्ताओंकी सहायतासे उच्च न्यायालयमें याचिका दाखिल करना

        हिंदुत्ववादी संगठनोंपर होनेवाले अन्यायकारी आचरणको रोकनेके लिए हिंदुत्वनिष्ठ अधिवक्ता प्रभावी कार्य कर सकते हैं । अधिवक्ता ऐसे प्रकरणोंमें संबंधित न्यायालयमें न्याय मांगकर हिंदुत्ववादी संगठनोंको न्याय दिलवाएं । उसी प्रकार, ऐसी परिस्थितिमें वैधानिक परामर्श भी दें ।

 

३. हिंदू-संगठनोंकी दृष्टिसे एक-दूसरेको सहयोग प्रदान करनेका महत्त्व !

३ अ. अन्य संगठनोंसे निकटता साध्य होकर धर्मकर्तव्य पूरा करनेका संतोष प्राप्त होना

        कोई संगठन संकटमें हो, तो उसे दिया हुआ छोटा-सा आधार भी उस संगठनके लिए बहुमूल्य होता है । उस आधारसे मिले बलके आधारपर वह संगठन, उसके नेता एवं कार्यकर्ता उस संकटसे मुक्त हो जाएंगे । अपने छोटे-से कृत्यसे परस्परमें अपनत्व निर्माण होकर प्रीतिका अनुभव होने लगेगा । हिंदुओंका संगठन प्रबल बनानेके लिए प्रीति, अर्थात निरपेक्ष प्रेम अत्यंत महत्त्वपूर्ण सूत्र है । प्रीति बढानेका प्रयत्न करनेपर हिंदुत्ववादी संगठनोंको सहायता करनेका अपना धर्मकर्तव्य हम पूरा कर पाएंगे ।

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