ज्येष्ठ पूर्णिमा, कलियुग वर्ष ५११४
छत्रारोहण समारोहमें श्रीशिवप्रतिष्ठानके धारकरियोंके भगवे उत्साहका आवेश
‘छत्रपति शिवाजी महाराजकी जय’, ‘जय भवानी जय शिवाजी’, ‘हर हर महादेव’के जयघोष एवं तुरहीकी गूंजमें शनिवारके दिन रायगढके छत्रपति शिवाजी महाराजके सिंहासनाधीश मूर्तिपर छत्रचामरकी स्थापना की गई । पूरे महाराष्ट्र एवं महाराष्ट्रके बाहरसे आए ५ सहस्त्रसे अधिक धारकरी एवं संतोंकी वंदनीय उपस्थितिमें रायगढमें पुनः एक बार शिवराज्याभिषेकके सात्त्विक वेदमंत्रोंका उच्चारण हुआ । भगवा दुशाला परिधान किए एवं पुष्पादिसे सुसज्जित रायगढने पुनः एक बार आवाज दी, ‘प्रौढ प्रताप पुरंदर, क्षत्रिय कुलवंत, गोब्राह्मण प्रतिपालक, सिंहासनाधीश, राजाधिराज, श्रीमंत श्री शिवछत्रपति शिवाजी महाराजकी जय हो !’
धर्मकार्य हेतु प्राणार्पण करनेकी भी सिद्धता चाहिए ! – पू. संभाजीराव भिडे (गुरुजी)
रायगढमें छत्रपति शिवाजी महाराजकी मूर्ति धूप एवं वर्षामें अनावृत्त रहती थी । हिंदुओंको अपनी विशाल छत्रछायाद्वारा जीनेकी नवप्रेरणा देनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराजकी मूर्तिपर छत्र होना अत्यंत आवश्यक है, यह श्रीशिवप्रतिष्ठानका स्वप्न था । वह आज साकार हुआ । यह सभी ईश्वरकी कृपा एवं समूचे धारकरियोंके अविरत परिश्रमके कारण संभव हो पाया । जो धर्मकार्य शिवरायने प्रदर्शित किया, वह आज धारकरियोंको करना है । अतएव धारकरियोंद्वारा तन, मन, धनके साथ समयानुसार प्राण अर्पण करनेकी भी सिद्धता होनी चाहिए !
स्त्रोत – दैनिक सनातन प्रभात