अश्विन शुक्ल ५ , कलियुग वर्ष ५११५
भाग्यनगर – आंध्रप्रदेशके चार जिलोंमें राष्ट्रीय हिंदू आंदोलनके अंतर्गत तिरुपतिके इस्लामी विश्वविद्यालय तथा संतोंकी अपकीर्ति के विरुद्ध आंदोलन किया गया । आदिलाबाद, करीमनगर तथा निजामाबाद जिलोंमें ७ अक्तूबरको, तो भाग्यनगरमें ८ अक्तूबरको आंदोलन किया गया । यहां ५० हिंदुत्ववादी सम्मिलित हुए थे । सारे स्थानोंपर आंदोलनके पश्चात जिलाधिकारियोंको निवेदन दिया गया । संतोंका अपमान तथा जादूटोनाविरोधी अधिनियमके विरुद्ध ७ अक्तूबरके आंदोलनका संक्षिप्त वृत्त !
रामनाथ (रायगढ)
क्षणिकाएं
१. आंदोलनके स्थानपर कार्यकर्ताओंके पहुंचनेसे पूर्व ही पुलिस उपस्थित थी ।
२. एक महिलाने विषय सुनकर चिढ व्यक्त की तथा कहा कि अगला आंदोलन कब है, मुझे बताएं; मैं उसमें सम्मिलित रहूंगी ।
३. एक जिज्ञासु हर आंदोलनमें उपस्थित रहकर पूरा आंदोलन सुनता है, यह बात ध्यानमें आई ।
४. उत्तरप्रदेशका एक विस्थापित व्यक्ति विषय सुनकर आंदोलनमें उत्स्फूर्त सम्मिलित हुआ तथा उसने भी हाथमें फलक पकडकर घोषणा की ।
नाासिक
उपस्थित लोगोंकी प्रतिक्रिया
१. जादूटोनाविरोधी अधिनियमके विषयमें हिंदुत्ववादी संगठन तथा वारकरी संप्रदायके साथ चर्चा आवश्यक !
प्रशासनने जादूटोनाविरोधी अधिनियम भावनाके आधारपर किया है । प्रशासन सारे हिंदुत्ववादी संगठन तथा वारकरी संप्रदायको विश्वासमें लेकर इसपर चर्चा करे । – श्री. गौरव पंडित, परशुराम उत्सव समिति
२. धर्मतत्त्वोंके मूलपर आघात करनेवाला विधेयक निरस्त ही करना चाहिए !
अनेक चुकें अंतर्भूत होनेवाला तथा जिन धर्मतत्त्वोंपर देश आधारित है, उनके मूलपर ही आघात करनेवाला विधेयक निरस्त ही होना चाहिए ! – ज्यो. श्री. अनिल चांदवडकर, अध्यक्ष, धर्मप्रचार समिति, विश्व हिंदू परिषद, नासिक.
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात