अश्विन शुक्ल ८ , कलियुग वर्ष ५११५
हिंदुओ, आपके मंदिरोंका सरकारीकरण करनेके कारण ही ये दुष्परिणाम भुगतने पडते हैं । यह ध्यानमें लेकर सरकारको ये मंदिर भक्तोंके नियंत्रणमें देनेके लिए विवश करें !
तुलजापुर – यहांके श्री भवानीदेवीके मंदिरमें दानपेटीकी नीलामीके माध्यमसे १ सहस्र ८०० करोड रुपयोंके धनकी लूट होनेका संदेह है । इस संदर्भमें अपराध अन्वेषण विभागद्वारा (सी.आइडी.द्वारा) जांचके लिए २२ शासकीय अधिकारियोंको पत्र भेजे गए हैं । (आजतक ऐसी अनेक प्रकारकी जांच हुई है, परंतु उसमें कोई सार होनेकी बात सुननेमें नहीं आई । इस लूटके लिए ये अधिकारी तो उत्तरदायी हैं ही, किंतु इनसे भी अधिक उत्तरदायी हैं, हिंदुओंके मंदिर नियंत्रणमें लेनेवाली राज्यसरकार ! अतः हिंदुओंको भक्तोंद्वारा अर्पित धनपर ध्यान रख मिलीभगतसे लूट करनेकी अनुमति देनेवाले मंदिर सरकारीकरणका तीव्र विरोध करना चाहिए ! इसके लिए बारबार आंदोलन न करना पडे, इसलिए ‘हिंदू राष्ट्र’ ही चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
यहांके भोपे पुजारी मंडलके अध्यक्ष श्री. किशोर गंगणेद्वारा अपराध प्रविष्ट करनेपर इस लूटका पता चला । संभवतः वर्ष १९८९ से २००८ की कालावधिमें यह लूट हुई है । इस कालावधिमें मंदिरके व्यवस्थापनमें सम्मिलित अधिकारियोंकी जांच होगी । इनमें कुछ सेवानिवृत्त अधिकारी हैं, जबकि कुछ उच्चपदस्थ अधिकारियोंका भी समावेश है । इनमें कुछ अधिकारी केंद्रीय स्तरपर दायित्व निभा रहे हैं । इसलिए यह प्रकरण देहलीतक पहुंचेगा । भक्तोंकी इच्छा है कि पैसा हडपनेवाले व्यक्तियोंको दंड दिया जाना चाहिए ।
इन अधिकारियोंकी जांच होगी !
१. एम.एस. देवनीrकर, सेवानिवृत्त २. संजयकुमार, सचिव, तंत्रशिक्षा विभाग ३. राजेशकुमार, आयुक्त, संशोधन एवं प्रशिक्षण केंद्र ४. सुरेंद्रकुमार बागडे, खाजगी सचिव, केंद्रीय गृहमंत्री, देहली ५. एस. चोकलिंगम, पंजीकरण महानिरीक्षक ६. आशीष शर्मा, कार्यकारी संचालक ७. संजय अग्रवाल, परामर्शदाता, वर्ल्ड बैंक दक्षिण एशिया ८. अनिल पवार ९. शिरिष कारले, सेवानिवृत्त १०. मधुकर कोकाटे ११. सतीश भिडे १२. वी. एल. देवधर १३. आर.के. पिंगले १४. ए.टी. जोशी १५. दिलिप बंड १६. सी.एस. थोरात १७. आर. बी. बागडे १८. दिलिप जमादार १९. बी.आइ. केंद्रे २०. मिताली सेन गवई २१. डॉ. प्रवीण गेडाम, जनपदाधिकारी सोलापुर २२. डी.आर.बनसोड, विभागीय आयुक्त अमरावती
स्त्रोत : सनातन प्रभात
तुलजापुरके श्री भवानीदेवी मंदिरमें १ सहस्र ८०० करोड रुपयोंकी लूटकी संभावना
अश्विन शुक्ल ७, कलियुग वर्ष ५११५
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हिंदुओ, मंदिरोंके सरकारीकरणके दुष्परिणाम जानें एवं इन मंदिरोंको सरकारके नियंत्रणसे वापस श्रद्धालुओंके नियंत्रणमें आने हेतु तीव्र संघर्ष करें !
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मंदिर संस्थानके कर्मचारी, अधिकारी एवं ठेकेदारोंकी मिलीभगत !
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पुजारी मंडलके अध्यक्ष किशोर गंगणेने इसकी पोल खोली !
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२३ अधिकरियोंकी होगी जांच !
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हिंदू राष्ट्र’ में ऐसे भ्रष्टाचारियोंकी सारी संपत्ति जब्त कर कानूनके अनुसार उन्हें कठोर दंड दिया जाएगा !
तुलजापुर (जनपद धाराशिव, महाराष्ट्र) : वर्ष २००९ से पूर्व यहांके श्री भवानीदेवीके मंदिरमें प्रतिवर्ष दानपेटियोंकी नीलामी होती थी । इन पेटियोंमें श्रद्धालुओंद्वारा अर्पण एवं नीलामीकी राशिमें बडा अंतर होता था । उसीप्रकार २० वर्षोंकी कालावधिमें दानपेटीकी नीलामी करनेवाले ठेकेदार, मंदिर संस्थानके कर्मचारी एवं अधिकारियोंद्वारा नियमोंका उल्लंघन कर लगभग १६० किलो सोना एवं २ सहस्र किलो चांदी तथा मूल्यवान वस्तुएं एवं वस्त्रोंका लगभग १ सहस्र ८०० करोड रुपयोंकी लूट किए जानेके संदर्भमें राज्य पुलिसके अपराध अन्वेषण विभागने संदेह व्यक्त किया है । (तुलजापुरके मंदिरपर सरकारका नियंत्रण है, तो भी उसे भ्रष्टाचारके लिए खुला छोड दिया है; क्योंकि सरकारी नौकरीमें आनेवाला कोई भी भगवानके प्रति भाव नहीं रखता । प्रत्येक सरकारी कर्मचारीको धर्माचरणकी नहीं, अपितु निधर्मिताकी शिक्षा दी गई है । इसलिए वे ऐसे मंदिरोंमें स्वयं भ्रष्टाचार करते हैं एवं अन्योंको भी भ्रष्टाचार करनेकी अनुमति देते हैं । इस स्थितिमें परिवर्तन करने हेतु मंदिर भक्तोंके ही नियंत्रणमें देने चाहिए, जिसके लिए ‘हिंदू राष्ट्र’ स्थापित करना अनिवार्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
१. तुलजापुरके पुजारी मंडलके अध्यक्ष किशोर गंगणेने इस संदर्भमें वर्ष २०१० में लातुरके धर्मादाय आयुक्तको परिवाद प्रविष्ट किया था । तद्नुसार अपराध अन्वेषण विभागको इस प्रकरणका अन्वेषण सौंपा गया ।
२. अपराध अन्वेषण विभागद्वारा किए गए अन्वेषणके अनुसार यह लूट वर्ष १९९१ से २०१० की कालावधिमें की गई है । (इतने वर्षोंसे यह लूट चल रही है, तो भी मंदिर व्यवस्थापन एवं शासक, किसीके भी ध्यानमें नहीं आया अथवा कहीं ऐसा तो नहीं कि संबंधित सभी लोग इस भ्रष्टाचारमें लिप्त हैं ? ऐसे सभी लोगोंको कठोर दंड देना चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. २० वर्षोंकी कालावधिमें मंदिरके सिंहासनकी दानपेटीकी नीलामी करनेवाले ठेकेदारोंके २-३ वर्ग अदल-बदलकर बोली बोलते थे तथा दानपेटी अपने वर्गके पास रखते थे । सभी लोगोंकी मिलीभगत थी ।
४. नीलामीकी शर्तोंके अनुसार सिंहासन दानपेटीमें जमा राशि ठेकेदारको तथा मूल्यवान अलंकार मंदिर संस्थानको देना आवश्यक था; परंतु उपर्युक्त कालावधिमें ठेकेदारोंने मूल्यवान वस्तु तो हडप कर ही ली । इसके अतिरिक्त नीलामके नामपर बोली गई राशि भी जमा नहीं की ।
५. इन २० वर्षोंकी कालावधिमें मंदिर संस्थानके पास केवल ४६.७ ग्राम सोना एवं ५१२.५ ग्राम चांदी संग्रहित हुई ।
६. गंगणेके आवेदन पत्रके अनुसार धर्मादाय आयुक्तके आदेशसे उत्पन्नका अंक जांचने हेतु १९ मार्च २०१० को सीलबंद की गई पेटी ३२ दिनोंके उपरांत खोली गई, जिसमें २३ लाख १३ सहस्र रुपए नगद, ४४१ ग्राम सोना एवं ६ सहस्र १७१ ग्राम चांदी ऐसा कुल ३१ लाख ८६ सहस्र रुपयोंकी संपत्ति जमा हुई थी ।
७. श्रद्धालु देवीको न केवल सोना तथा चांदी, अपितु रत्नजडित अलंकार, हीरे, माणिक आदि मूल्यवान वस्तुएं भी अर्पण करते हैं ।
८. ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रति वर्ष मंदिरकी न्यूनतम ५ करोड रुपयोंकी हानि होनेकी संभावना है ।
९. इस संदर्भमें ८१ लोगोंका साक्ष्य पंजीकृत किया गया है तथा लूटकी कालावधिमें मंदिर प्रशासनके प्रमुख पदपर नियुक्त तथा समकक्ष २३ अधिकारियोंकी जांच की जाएगी ।
१०. अपराध अन्वेषण विभागके निरीक्षणके अनुसार मंदिर प्रशासनके कर्मचारी एवं ठेकेदारोंकी मिलीभगतसे ही यह लूट हुई है । अपर पुलिस महासंचालकको वैसा ब्यौरा भेजा गया है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात